बहुत आसान है नकली GST बिल की पहचान करना, कन्फ्यूज हैं तो तुरंत कर लें ये काम

बहुत आसान है नकली GST बिल की पहचान करना, कन्फ्यूज हैं तो तुरंत कर लें ये काम

Fake GST Bill

Fake GST Bill

नई दिल्ली. Fake GST Bill: गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) लागू हुए करीब 4 साल होने को हैं. अभी भी कई ऐसे मामले सामने आ रहे है जिनमें GST के नाम पर ग्राहकों को नकली बिल दिया जा रहा है. ऐसे में यदि ग्राहक को इनपुट क्रेटिड लेना है तब दिक्कत हो सकती है. लिहाजा, जीएसटी बिल असली है या नकली इसकी पहचान करना बेहद जरूरी है.

विशेषज्ञों के मुताबिक कुछ दुकानदार GSTIN यानी जीएसटी आईडेंटिफिकेशन नंबर की जगह अपने बिल पर VAT/TIN और सेंट्रल सेल्स टैक्स नंबर्स दिखा रहे हैं और सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (CGST) और स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (SGST) चार्ज कर रहे हैं.जबकि, किसी भी बिजनेस में ग्राहकों को दिए गए बिल पर GSTIN दिखाना अनिवार्य है. वे बिल पर VAT, TIN या सर्विस टैक्स रजिस्ट्रेशन नंबर दिखाकर GST नहीं वसूल सकते. आपको बता दें की सभी दुकानदारों और व्यवसायों के लिए अभी जरूरी नहीं है कि वो GST के लिए रजिस्टर्ड हों और GSTIN नंबर प्राप्त करें.

ऐसे चेक करें जीएसटी बिल रियल है या फेक (How to check GST bill is real or fake)

GSTIN असली है या नकली, यह चेक करने के लिए सबसे पहले GST के आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं. इसके बाद सर्च टैक्सपेयर के लिंक पर क्लिक करके ड्रॉपडाउन मेन्यू में सर्च GSTIN/UIN पर क्लिक करें. फिर, बिल पर अंकित GSTIN एंटर करें और कैप्चा कोड भरने के बाद Search बटन पर क्लिक करें. अगर GSTIN नंबर गलत होगा तो इनवैलिड GSTIN लिखा दिखाई देगा. लेकिन अगर यह सही होगा तो बिजनेस की सभी जानकारियां नजर आएंगी. यदि एक्टिव पेंडिंग वेरिफिकेशन दिखाई दे रहा है तो वह बिजनेस के लिए प्रोविजनल आईडी होगा. इसका मतलब है कि बिजनेस एंटिटि ने GSTIN के लिए अप्लाई किया है.

GSTIN के अंकों से समझ सकते हैं बिल की असलियत (The reality of the bill can be understood from the numbers of GSTIN)

GSTIN यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स आइडेंटिफिकेशन नंबर 15 अंकों की वह संख्या है जो बिजनेस के GST का साथ रजिस्टर कराने पर मिलता है. हरेक GST Invoice पर अनिवार्य रूप से 16 फील्ड्स होते हैं जिनमें खरीदारी या ट्रांजैक्शन से जुड़ी सभी जानकारियां रहती हैं. GSTIN में पहला 2 अंक स्टेट यानी राज्य का कोड होता है. इसके बाद का 10 अंक बिजनेस या व्यक्ति का PAN नंबर होता है. वहीं 13वां अंक राज्यों के रजिस्ट्रेशन की संख्या के आधार पर आवंटित होता है. 14वां अंक डिफॉल्ट रूप से Z होता है और अंतिम यानी 15वां अंक चेक कोड होता है. अगर इस क्रम में कोई गड़बड़ी है तो समझ लीजिए कि GST बिल फर्जी है.

20 लाख से टर्नओवर कम होने पर जीएसटी की जरूरत नहीं (GST is not required if the turnover is less than 20 lakhs.)

छोटा बिजनेस जिनका सलाना टर्नओवर 20 लाख रुपए से कम है, उन्हें जीएसटी के लिए रजिस्टर्ड नहीं करना होगा. वहीं, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और नॉर्थ-ईस्ट के सभी राज्यों में यह सीमा 10 लाख रुपए है. लेकिन जिस बिल में GST लगेगा उसके लिए दुकानदारों और व्यवसायियों को सामान पर लगने वाले टैक्स को सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (CGST) और स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (SGST) में बांटकर बिल में दिखाना होगा.

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