क्या इस्तीफे के बाद जगदीप धनखड़ का दफ्तर सील कर दिया गया है? जान लीजिए सच्चाई

Jagdeep Dhankhar Residence Sealed

Jagdeep Dhankhar Residence Sealed

नई दिल्ली: Jagdeep Dhankhar Residence Sealed: हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. इस बीच सोशल मीडिया पर उनके आधिकारिक आवास को सील करने और उन्हें तुरंत अपना आवास खाली करने के आदेश दिए जाने की झूठी खबरें तेजी से फैल रही थीं. इन अफवाहों को प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) ने स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है.

वहीं, पीआईबी ने जनता से अपील की है कि वे इन फर्जी खबरों के झांसे में न आएं और हमेशा आधिकारिक स्रोतों से ही जानकारी प्राप्त करें.

पीआईबी ने अपने तथ्य जांच पोस्ट में कहा, “सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से दावा किया जा रहा है कि उपराष्ट्रपति के आधिकारिक आवास को सील कर दिया गया है और पूर्व वीपी को तुरंत अपना आवास खाली करने के लिए कहा गया है. ये दावे फर्जी हैं. गलत सूचना के झांसे में न आएं.” इस प्रकार की अफवाहें न केवल देश की संवैधानिक गरिमा को प्रभावित करती हैं, बल्कि आम जनता के बीच भ्रम और गलतफहमी भी पैदा करती हैं. इसलिए, किसी भी सूचना को साझा करने से पहले उसके आधिकारिक और विश्वसनीय स्रोत से सत्यापन करना बेहद जरूरी है.

उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की तैयारियां शुरू

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद भारत के चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. चुनाव आयोग के अनुसार, निर्वाचक मंडल की तैयारी, जिसमें राज्यसभा और लोकसभा के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य शामिल हैं, रिटर्निंग ऑफिसर और सहायक रिटर्निंग ऑफिसर को अंतिम रूप देना, और सभी पिछले उपराष्ट्रपति चुनावों की पृष्ठभूमि सामग्री की तैयारी और प्रसार जैसे काम पहले ही शुरू हो चुके हैं. यह चुनाव दो साल पहले संपन्न होने वाले उनके कार्यकाल के अचानक समाप्त होने के कारण आवश्यक हो गया है. चुनाव आयोग ने चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए हैं.

विपक्षी दलों का सवाल

पूर्व उपराष्ट्रपति के अचानक इस्तीफे ने विपक्षी दलों के बीच सवाल खड़े कर दिए हैं. खासतौर पर कांग्रेस पार्टी ने इस इस्तीफे को राजनीतिक दबाव का नतीजा बताया है और केंद्र सरकार से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने स्पष्ट रूप से कहा है कि "दाल में कुछ काला है". उन्होंने सरकार से जवाब मांगा है कि आखिर पूर्व उपराष्ट्रपति को इस्तीफा क्यों देना पड़ा, जबकि उनकी सेहत ठीक थी और वे हमेशा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा का समर्थन करते रहे हैं.

खड़गे ने आगे कहा, "उनके इस्तीफे के पीछे कौन और क्या है, यह देश को पता होना चाहिए. सरकार को जवाब देना चाहिए." इस प्रकार की टिप्पणियां सरकार के इरादों पर सवाल खड़े करती हैं और राजनीतिक माहौल में अनिश्चितता पैदा करती हैं.

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के उपनेता (एलओपी) गौरव गोगोई ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणियों को लेकर पूर्व उपराष्ट्रपति के इस्तीफे को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के ट्वीट से इस्तीफे की राजनीतिक प्रकृति उजागर हो गई है और संवैधानिक पद की गरिमा को बनाए रखना जरूरी है.

तृणमूल कांग्रेस का आरोप और महाभियोग की धमकी

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद कल्याण बनर्जी ने भी इस मामले में आरोप लगाए हैं कि पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों द्वारा पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था. टीएमसी ने यह भी दावा किया है कि धनखड़ को महाभियोग की धमकी दी गई थी, जिससे वे इस्तीफा देने पर मजबूर हो गए.