Dispute Over Illegal Tree Pruning in Delhi: MCD and Forest Department at Odds
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दिल्ली में पेड़ों की अवैध छंटाई पर विवाद, एमसीडी और वन विभाग आमने-सामने!

Dispute Over Illegal Tree Pruning in Delhi: MCD and Forest Department at Odds

Dispute Over Illegal Tree Pruning in Delhi: MCD and Forest Department at Odds

नई दिल्ली, 22 जनवरी: Tree Pruning Controversy in Delhi: दिल्ली के पश्चिम विहार में पेड़ों की कथित अवैध छंटाई का मामला तूल पकड़ रहा है। वन विभाग ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सूचित किया है कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने अनुमति से अधिक पेड़ों की छंटाई की है। दूसरी ओर, एमसीडी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पेड़ों की छंटाई स्थानीय आरडब्ल्यूए के अनुरोध और वन विभाग की अनुमति के बाद की गई थी।

याचिका में 250 पेड़ों की अवैध छंटाई का आरोप

पश्चिम विहार निवासी ख्याति आनंद ने एनजीटी में याचिका दाखिल कर फरवरी और मार्च 2024 के दौरान विभिन्न ब्लॉकों में 250 से अधिक पेड़ों की अवैध छंटाई का आरोप लगाया है। याचिका के जवाब में वन विभाग ने कहा कि एमसीडी को छंटाई की अनुमति मिली थी, लेकिन कई पेड़ों की छंटाई तय सीमा से अधिक की गई।

वन विभाग ने दी 1,000 पौधे लगाने के निर्देश

वन विभाग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यह दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1994 का उल्लंघन है। रिपोर्ट के अनुसार, 27 नवंबर 2024 को क्षेत्र में एमसीडी की बागवानी टीम के साथ निरीक्षण के दौरान नियमों के उल्लंघन की पुष्टि हुई। इसके बाद उप वन संरक्षक (उत्तर) ने 9 जनवरी 2025 को आदेश जारी कर एमसीडी को आगामी वृक्षारोपण सत्र (फरवरी 2025 से जून/जुलाई 2025) में वार्ड 58 और 59 के इलाकों में 1,000 देशी प्रजातियों के पौधे जैसे अमलतास, अर्जुन, नीम, जामुन और गूलर लगाने के निर्देश दिए। इन पौधों की ऊंचाई छह फीट से कम नहीं होनी चाहिए।

एमसीडी ने किया गड़बड़ी से इनकार

एमसीडी ने 14 जनवरी 2025 को दिए गए अपने बयान में किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया। नगर निगम का कहना है कि छंटाई का काम स्थानीय आरडब्ल्यूए के अनुरोध पर किया गया और इसके लिए वन विभाग की पूर्व अनुमति ली गई थी।

एनजीटी में मामला जारी

एनजीटी में यह मामला विचाराधीन है। जहां वन विभाग ने प्रतिपूरक वनरोपण के जरिए नुकसान की भरपाई की योजना बनाई है, वहीं एमसीडी ने सभी आरोपों को खारिज कर अपनी सफाई दी है। अब देखना होगा कि एनजीटी इस मामले में क्या निर्णय लेती है।