Day 2 of Gursharan Singh Naat Utsav

मंच पर साकार हुई 'नटी बिनोदनी' की सच्ची कहानी

Day 2 of Naat Utsav

गुरशरण सिंह नाट उत्सव का दूसरा दिन

चंडीगढ़ 4 दिसंबर - Day 2 of Gursharan Singh Naat Utsav

सुचेतक रंगमंच मोहाली (Suchetak Rangmanch Mohali) द्वारा हर वर्ष आयोजित होने वाले 'गुरशरण सिंह नट उत्सव' के दूसरे दिन बांग्ला रंगमंच की जीवित शहीद नटी बिनोदनी की गाथा प्रस्तुत की गई। यह नाटक बता रहा था कि डेढ़ सदी में कला जगत भी ज्यादा नहीं बदल सका। नाटक 'नटी बिनोदनी' बंगाली थिएटर अभिनेत्री बिनोदनी दासी की आत्मकथा पर आधारित है, जिसे पंजाब कला परिषद (Punjab Arts Council) और संस्कृति मंत्रालय (Cultural Ministry) का सहयोग  प्राप्त था।

यह नाटक नटी बिनोदनी की आत्मकथा (Autobiography) और उनके जीवनीकारों की कृतियों पर आधारित था, जिसकी स्क्रिप्ट शब्दीश (Shabdeesh) ने लिखी थी। वह थिएटर में कैसे आई और किन परिस्थितियों में अंधेरी गलियों में खो गई; यह कहानी केवल नाटक का वर्णन करती है।

अनीता शब्दीश द्वारा रहा निर्देशन व मुख्य भूमिका  
अनीता शब्दीश (Aneeta Shabdeesh), जो नाटक की निर्देशक (Director) भी हैं, ने नटी बिनोदनी की मुख्य भूमिका निभाई थी। वह रंगमंच को पूजा मानती हैं; इसलिए वह प्यार को भी ठुकरा देती है और थिएटर कंपनी को बचाने के लिए खुद को अमीरजादे को बेच देती है। तन-मन को निछावर करने वाली इस महिला की पीड़ा संवेदनशील दर्शकों को बार-बार हिलाती है क्योंकि वे देखते हैं कि उसके साथी कलाकार थिएटर कंपनी पर कब्ज़ा करते के लिए किस हद्द तक साजिश रचते हैं। वह उनके सामने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री नहीं, बल्कि एक वेश्या की बेटी है, हालांकि दर्शकों के लिए वह सती सावित्री, सीता और द्रौपदी थीं, जिनकी भूमिकाए उन्होंने निभाईं। अपने पुरुष साथियों की साजिशें और पुरुष प्रधान (Patriarchal) रवैये से दुखी नटी बिनोदनी हमेशा के लिए मंच छोड़ देती हैं और गंभीर सवाल उठाते हुए दर्शकों में खो जाती हैं।

इन स्थितियों को एक अभिनेत्री के रूप में निर्देशक अनीता शबदीश ने जीवंत किया। जसवीर सिंह (Jasveer Singh) ने तत्कालीन टीम निदेशक गिरीश घोष (Girish Ghosh) की भूमिका निभाई। वह टीम को बचाने के लिए सहायक कलाकारों के साथ मिलकर काम करता है; नटी बिनोदनी को भीतर से तोड़ने वाली मानसिक यातना (Mental Torture) की साजिशों में भागीदार बन जाता है, हालांकि वह बिनोदानी के प्रति सहानुभूति भी रखता है। हरमनपाल सिंह (Harmanpal Singh) ने राजा बाबू की भूमिका निभाई, जो प्यार तो करता है, लेकिन पत्नी के बजाय एक रखैल मानता है। तेजभान गांधी (Tejbhan Gandhi) ने उनके बूढ़े आशक गुरुमुख बाबू की भूमिका निभाई। रमन ढिल्लों (Raman Dhillon) ने नटी बिनोदानी की दादी और माँ की भूमिकाएँ निभाईं और मिष्टी (Mishti) ने बिनोदनी के बचपन की भूमिका निभाई, जिसका गुरजीत दिओल (Gurjeet Deol) के साथ छोटा सा रोल था।

इस नाटक का सेट लख्खा लहरी (Lakha Lehri) द्वारा डिजाइन किया गया था, जबकि संगीत दिलखुश थिंद (Dilkhush Thind) द्वारा रचित था। इसके गाने सलीम सिकंदर (Salim Sikandar) और मिनी दिलखुश (Mini Dilkhush) ने गाए थे।

5 दिसंबर को होगा 'लच्छू कबरिया' 

अभिनेता मंच मोहाली की तरफ से डॉ. साहिब सिंह (Dr. Sahib Singh) दलित समाज के जीवन को प्रस्तुत करने वाला नाटक 'लच्छू कबरिया' प्रस्तुत करेंगे।