साइबर जालसाजों ने बैंक अधिकारी बनकर ठगा

साइबर जालसाजों ने बैंक अधिकारी बनकर ठगा

साइबर जालसाजों ने बैंक अधिकारी बनकर ठगा

साइबर जालसाजों ने बैंक अधिकारी बनकर ठगा

( अर्थ प्रकाश/बोम्मा रेडड्डी)

हैदराबाद :: (तेलंगाना)  साइबर जालसाजों ने एक व्यक्ति को अपराधी ने बैंक अधिकारियों बनकर परिचय देकर  2,48,498 लाख रुपए ठगा लिया ।   

 घटना इस तरह बताया गया कि साइबर अपराधियों ने कामारेड्डी मंडल के देवुनीपल्ली गांव के निवासी शेख शकील को फोन किया, और बैंक कर्मचारियों के रूप में अपने को पेश किया और आगे उसे क्रेडिट कार्ड का अपना सीवीवी नंबर रद्द करने के लिए कहा।

 साइबर अपराधियों ने पीड़िता के मोबाइल नंबर पर तीन ओटीपी भेजे हैं.  साइबर जालसाजों की बातों पर विश्वास करने वाले शैक शकील ने उन्हें तीन संदेश भेजे।जिसके माध्यम से  साइबर अपराधी में  2,48,498 लाख।  उन्होंने तीन किस्तों में राशि निकाल लिया है।  शकील को ठगी का अहसास होने पर पीड़ित ने देवुनीपल्ली थाने में शिकायत दर्ज कराई।
उक्त मामले की जांच जारी  पुलिस सूत्रों ने बताया इस तरह का ठगने वाले  जालसाजों के पास बैंकिंग क्षेत्र में बहुत बड़ा अनुभव है और वे बैंक विवरण जैसे नाम, मोबाइल नंबर, कार्ड का प्रकार, आंशिक कार्ड नंबर आदि एकत्र करने का प्रबंधन करते हैं। उसके बाद, वे लोगों को कॉल करेंगे और ओटीपी से पैसे लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ।

 इस मामले में अनुभवी लोगों का कहना है हिंदुस्तान में संपूर्ण शिक्षा जब तक नहीं रहते तब तक इस तरह के ऑनलाइन पेमेंट पर प्रतिबंध लगना चाहिए हर कस्बे में लाखों लोग बर्बाद हो रहे हैं साइबर अपराधों के प्रभावित होकर कुछ लोग शिकायत नहीं करते हैं कुछ लोग आपस में ही चर्चा करके छोड़ देते हैं क्या यह परिणाम देश के लिए घातक नहीं है आखिर क्या चाहता है सरकार इस पर या तो अमल करें कि एक भी मामला ना बने तब कहीं ऑनलाइन पेमेंट जारी रखें ऐसे भी ऑनलाइन पेमेंट के लिए करोड़ों रुपए खर्च भी हो रहा है फिर भी प्रतिबंध नहीं लग पा रहा है ? क्या मतलब है ,? ऐसी व्यवस्था को बनाए रखने के पीछे सरकार का उद्देश्य ?  

देश मै जितने मामले हुए इस को कोर्ट में ले जाकर सरकार को तथा आरबीआई को प्रतिवादी बनाकर मामला दायर कर ना चाहिए  क्योंकि बिना जानकारी के लोगों को ऑनलाइन में है धकेलने की आदेश एक अपराध के दायरे में भी आता है कहा एक अनुभवी हाई कोर्ट का वकील ने .