महाराजा अग्रसेन जयंती उत्सव में आयोजित कवि सम्मेलन में झूमे श्रोतागण

महाराजा अग्रसेन जयंती उत्सव में आयोजित कवि सम्मेलन में झूमे श्रोतागण

Maharaja Agrasen Jayanti Celebration

Maharaja Agrasen Jayanti Celebration

बल्लभगढ़। दयाराम वशिष्ठ: Maharaja Agrasen Jayanti Celebration: वैश्य केवल जाति नहीं है यह एक विचार है, जो धन कमाने के साथ अपनी आय का एक भाग समाज के उत्थान के लिए खर्च करता है। उक्त विचार हरियाणा सरकार  में कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने अग्रवाल समिति बल्लभगढ़ द्वारा आयोजित महाराजा अग्रसेन जयंती उत्सव में व्यक्त किए। जयंती उत्सव पर आयोजित कवि सम्मेलन में बल्लभगढ़ के विधायक पं मूलचंद शर्मा, वरिष्ठ नेता लखन सिंगला, एम सी मित्तल, अग्रवाल समाज के नेता मनोज अग्रवाल, नरेश गोयल, रमेश अग्रवाल, राजेश अग्रवाल, नीरज गुप्ता, भगवान दास गोयल, पंकज गर्ग, पार्षद दीपक यादव एवं महेश गोयल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कर जयंती उत्सव का शुभारंभ किया। समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सिंगला, उपाध्यक्ष विजय मंगला, महासचिव लोकेश अग्रवाल, सचिव पंकज सिंगला, कोषाध्यक्ष घनश्याम मित्तल, राजू मित्तल, राकेश गुप्ता, दीपक मित्तल, गौरव अग्रवाल, दीपक सिंगला, सुनील गोयल, ललित मित्तल, दिनेश मंगला एवं प्रवीण गर्ग ने आए हुए अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। मुख्य अतिथि विपुल गोयल का जयंती उत्सव में पहुंचने पर नगर की अनेकों क्षेत्र की संस्थाओं ने शाल, स्मृति चिन्ह एवं माल्यार्पण कर स्वागत किया। स्वागत की इस कड़ी में समिति की लेडीज विंग ने विपुल गोयल को शक्ति का प्रतीक त्रिशूल भेंट कर उनका अभिनंदन किया। स्वागत कार्यक्रम का मंच संचालन पूनम गोयल एवं ललित गोयल ने किया।

कवि सम्मेलन में कोटा से आए डॉ आदित्य जैन ने शहीदों के नाम कविता सुनाकर श्रोताओं की वाहवाही लूटी। उन्होंने कहा - परिवार छोड़ कर गए सरहद के नाम पर, आजादी छीन लाए जो सांसों के दाम पर। अपने घरों में दीप जलाओ तो साथ में दीपक जलाना एक शहीदों के नाम पर। औरैया से से आए अजय अंजाम ने महाराजा अग्रसेन  की महिमा का गुणगान कुछ इस प्रकार किया- एक ईंट और एक रुपैया देकर सबको ताकत दी, अग्रसेन महाराज सा कोई महाराज नहीं होगा। दिल्ली से आई मोनिका देहलवी ने श्रृंगार रस में डूबी रचना सुनाकर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया - चाहत में तेरी खुद को डुबाते चले गए, आंखों में तेरी खोए तो खोते चले गए। बस में कहां था मेरे कि मैं शायरी करूं, कुछ शेर तेरी याद में होते चले गए। इसके अतिरिक्त इटावा से आए देवेंद्र प्रताप सिंह, वाराणसी से आए दमदार बनारसी, बलिया से आई प्रतिभा यादव, दीपक शुक्ला दनादन एवं खंडवा से आए अकबर ताज ने भी अपनी रचनाओं से सुबह 4 बजे तक कवि सम्मेलन में कविताओं  के सागर में श्रोताओं को आनंद की डुबकी लगवाई। जयंती उत्सव में नगर के अनेकों गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।