अखिलेश से नाराज और भाजपा से मायूस शिवपाल ने किया पार्टी का पुनर्गठन, घोषित किए फ्रंटल संगठनों के प्रदेश अध्यक्ष

अखिलेश से नाराज और भाजपा से मायूस शिवपाल ने किया पार्टी का पुनर्गठन, घोषित किए फ्रंटल संगठनों के प्रदेश अध्यक्ष

अखिलेश से नाराज और भाजपा से मायूस शिवपाल ने किया पार्टी का पुनर्गठन

अखिलेश से नाराज और भाजपा से मायूस शिवपाल ने किया पार्टी का पुनर्गठन, घोषित किए फ्रंटल संगठनों के प्र

लखनऊ. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के चीफ शिवपाल सिंह यादव ने भाजपा का दामन थामने के बजाए अपनी ही पार्टी को मजबूत करना शुरू कर दिया है. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के बाद उन्‍होंने प्रसपा की सभी इकाईयों को भंग कर दिया था और सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मतभदों के चलते ये कयास लगाए जा रहे थे कि वह भाजपा का दामन थाम सकते हैं. हालांकि पार्टी की पुनर्गठन की प्रक्रिया से तय हो गया है कि वह खुद को मजबूत कर रहे हैं. इस बीच प्रसपा चीफ शिवपाल सिंह यादव ने पार्टी के नौ प्रकोष्‍ठों के प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान कर दिया है.

शिवपाल सिंह यादव ने आशुतोष त्रिपाठी को युवजन सभा का प्रदेश अध्‍यक्ष घोषित किया है. इसके अलावा नितिन कोहली को यूथ ब्रिगेड, दिनेश यादव को छात्र सभा, मोहम्‍मद आलिम खान को लोहिया वाहिनी, अनिल वर्मा को पिछड़ा वर्ग, शम्‍मी वोहरा को महिला सभा, संगीता यादव को सांस्‍कृतिक प्रकोष्‍ठ, अजीत चौहान को अधिवक्‍ता सभा और रवि यादव को शिक्षक महासभा का प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया है. बता दें कि नौ प्रकोष्‍ठों में से दो की महिलाओं को जिम्‍मेदारी दी गई है. इस सभी प्रकोष्‍ठों के प्रदेश अध्‍यक्ष का नियुक्‍ति पत्र प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ( लोहिया) के राष्‍ट्रीय महासचिव और शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्‍य यादव ने जारी किया है. इसके साथ पार्टी के राष्‍ट्रीय महासचिव ने उम्‍मीद जताई है कि आप सभी के प्रयासों से पार्टी की नीतियों एवं कार्यक्रमा को जन जन तक पहुंचाने और संगठन को मजबूत, प्रभावशाली और सुगठित करने में सहयाता मिलेगी.

अखिलेश से नाराज और भाजपा से मायूस शिवपाल ने किया पार्टी का पुनर्गठन, घोषित किए फ्रंटल संगठनों के प्रदेश अध्यक्ष

भतीजे से नाराज होकर 2018 में बनाई थी प्रसपा
शिवपाल सिंह यादव ने अपने भतीजे और सपा प्रमुख अखिलेश यादव से नाराज होकर 2018 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन किया था. हालांकि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में वह भाजपा को सत्‍ता से बेदखल करने के लिए अपने भतीजे के साथ आ गए. यही नहीं, उन्‍होंने सपा प्रमुख से 100 सीटों की मांग की थी, लेकिन बात एक सीट पर आकर थमी. सपा ने उनको अपने सिंबल पर इटावा की जसवंतनगर सीट से मैदान में उतारा था. हालांकि उन्‍होंने अपनी पार्टी का विलय सपा में नहीं किया था.