शराबबन्दी कानून को सफल बनाने के लिए सीएम नीतीश कुमार निकलेंगे यात्रा पर

शराबबन्दी कानून को सफल बनाने के लिए सीएम नीतीश कुमार निकलेंगे यात्रा पर

शराबबन्दी कानून को सफल बनाने के लिए सीएम नीतीश कुमार निकलेंगे यात्रा पर

शराबबन्दी कानून को सफल बनाने के लिए सीएम नीतीश कुमार निकलेंगे यात्रा पर

महिलाओं की गोलबंदी के बीच जाएंगे नीतीश कुमार

महिला वोट को अपनी तरफ खींचने के लिए व्याकुल हैं सीएम

मुकेश कुमार सिंह

पटना (बिहार) : बेहद दीगर बात है कि बिहार में शराबबंदी पर, सीएम नीतीश कुमार का दांव उलटा पड़ता जा रहा है। नीतीश भले ही जितने दावे कर रहे हों लेकिन शराबबंदी के नाम पर बिहार में जो कुछ हो रहा है उससे सरकार और जेडीयू मुसीबत में फंसी नजर आ रही है। सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी के मुताबिक, शराबबन्दी की इस मुसीबत से निकलने के लिए नीतीश कुमार अब, शराबबंदी यात्रा पर निकलेंगे। वे महिलाओं से मिलेंगे और उनसे फीडबैक लेंगे।


नीतीश की शराबबंदी यात्रा

सरकारी सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक बिहार में फिलहाल पंचायत चुनाव चल रहा है। पंचायत चुनाव खत्म होते ही, नीतीश कुमार शराबबंदी यात्रा पर निकल जायेंगे। वे बिहार के हर जिले में घूम-घूम कर अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। लेकिन सबसे अहम रणनीति होगी महिलाओं के साथ मीटिंग और सीधा संवाद करना। नीतीश कुमार हर जिले में महिलाओं के साथ मीटिंग करेंगे। वे महिलाओं को बतायेंगे कि सरकार ने ऐतिहासिक काम किया है और उनसे जानेंगे कि इस ऐतिहासिक काम का कितना बेहतर रिजल्ट आ रहा है।

क्या शराबबन्दी की वजह से फँस गये हैं नीतीश कुमार

सवाल ये उठ रहा है कि शराबबंदी लागू करने के करीब 6 साल बाद, नीतीश कुमार को शराबबंदी यात्रा पर निकालने की क्या जरूरत आ पड़ी है ? हम दावे के साथ कह रहे हैं कि नीतीश कुमार अपने वोट बैंक की राजनीति में खुद फंसे हुए नजर आ रहे हैं। सियासी और सामाजिक जानकार बताते हैं कि शराबबंदी लागू करने के पीछे नीतीश कुमार की सबसे बडी रणनीति ये थी कि इससे महिलायें खुश होंगी और वे सभी जेडीयू की वोट बैंक बन जायेंगी। महिलाओं को अपना वोट बैंक बनाने के लिए नीतीश कुमार ने ना केवल शराबबंदी लागू की बल्कि महिलाओं के लिए, कई अन्य फैसले भी लिये हैं। लेकिन इनमें सबसे खास वे शराबबंदी को ही मान रहे हैं। गौरतलब है कि शराबबंदी के इस जाल में अब, नीतीश कुमार खुद फंसते हुए नजर आ रहे हैं। बिहार में सरकारी शराब बंद हुई तो अवैध शराब का इतना बड़ा कारोबार फैल गया कि पूरा सूबा इसके जाल में फंस गया है। शराब पीने वाले अब भी शराब पी रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि शराब खरीदने में पहले के मुकाबले दो से तीन गुणा ज्यादा पैसा खर्च करने पड़ रहे हैं। बिहार में ताबड़तोड़ जहरीली शराब कांड हुए और सैकड़ों लोगों की असमय मौत हो गयी। शराब के नाम पर पुलिस जो खेल कर रही है, उससे भी लोगों में खासा आक्रोश है। लिहाजा, नीतीश कुमार अपने महिला वोट बैंक को दुरूस्त करने के लिए, यात्रा पर निकलने की तैयारी में है। हालांकि नीतीश कुमार की पहले की यात्राओं का अनुभव यही बताता है कि महिलाओं से फीडबैक लेने के सरकारी जलसे में आने वाली महिलायें पहले से ही सीखा-पढ़ा कर ही लायी जायेंगी। लेकिन नीतीश को उम्मीद है कि इससे उनका वोट बैंक दुरूस्त हो जायेगा। शराबबन्दी को वे अपनी राजनीति का सबसे बड़ा हथियार मान चुके हैं।