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नेपाल के बाद अब फ्रांस जल उठा; सड़कों पर लोगों के गुस्से की आग भड़की, हिंसक प्रदर्शन में भीड़ का उत्पात, आगजनी-तोड़फोड़, झड़प

France Violent Protests against Macron Government After Nepal

France Violent Protests against Macron Government After Nepal

France Violent Protests: एक तरफ जहां नेपाल में युवाओं के विद्रोह और हिंसक प्रदर्शन ने देश में ओली सरकार का तख्तापलट कर दिया तो वहीं अब फ्रांस की सड़कों पर लोगों के गुस्से की आग भड़क उठी है। मैक्रों सरकार के खिलाफ हजारों की संख्या में लोग फ्रांस की राजधानी पेरिस समेत कई शहरों में उग्र प्रदर्शन करते हुए देखे जा रहे हैं। इस हिंसक प्रदर्शन में भीड़ का उत्पात इस कदर है कि पेरिस धुआं-धुआं है। प्रदर्शनकारियों द्वारा नारेबाजी के साथ जगह-जगह आगजनी और तोड़फोड़ की जा रही है।

प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा कर्मियों से झड़प

बताया जा रहा है कि, फ्रांस के लोगों ने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ सोशल मीडिया पर 'ब्लॉक एवरीथिंग' नाम का आंदोलन छेड़ा और जिसके बाद पेरिस समेत कई शहरों में प्रदर्शन हिंसक होता चला गया। सड़कों पर अव्यवस्था का माहौल बन गया। सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के बावजूद राजधानी पेरिस समेत कई बड़े शहरों में हालात बिगड़ गए. प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा कर्मियों से झड़प भी हुई। लोग जहां पथराव कर रहे थे। वहीं सुरक्षा कर्मियों द्वारा उन्हें खदेड़ा जा रहा था. इस बीच कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया गया।

 

मैक्रों सरकार की नीतियों के खिलाफ गुस्सा

हिंसक प्रदर्शन में भीड़ ने उत्पात मचाते हुए पेरिस की सड़कों पर कई गाड़ियों और बसों को भी आग के हवाले कर दिया। पुलिस की गाड़ियां भी फूंकी गईं। दरअसल, फ्रांस में हिंसक हुए इस प्रदर्शन की वजह मैक्रों सरकार की नीतियों के खिलाफ लोगों का गुस्सा है। खासकर मैक्रों सरकार की आर्थिक नीतियों ने लोगों को भड़का दिया है। लोगों का कहना है कि, राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की नीतियों से उन्हें नुकसान हो रहा है। साथ ही यह देश भी पीछे जा रहा है और यहां विकास नहीं हो पा रहा है।

फिलहाल मैक्रों सरकार के खिलाफ यह बगावत ऐसे समय हो रही है जब फ्रांस की राजनीति पहले से ही संकट में है। हाल ही फ्रांस के प्रधानमंत्री ने विश्वास मत खो दिया था। जिसके बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के सामने नया प्रधानमंत्री बनाने को लेकर चुनौती है। इमैनुएल मैक्रों की सरकार के सामने राजनीतिक दबाव साफ तौर पर बना हुआ है। विपक्ष की साख फ्रांस में बढ़ती हुई देखी जा रही है। बता दें कि, फ्रांस की नीतियों का असर पूरे यूरोप को प्रभावित करता है। क्योंकि फ्रांस और जर्मनी यूरोप की दो अहम अर्थव्यवस्था हैं।