SYL बैठक के बाद CM भगवंत मान का बयान; कहा- कुछ चीजें अब पॉजिटिव हो रहीं, मैं पंजाब का पक्ष रखने में कामयाब रहा

SYL Meeting Between Punjab-Haryana CM In Delhi Breaking News
SYL Meeting in Delhi: सतलुज-यमुना लिंक नहर (SYL) का मुद्दा पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों में गरमाया हुआ है। इस बीच आज (5 अगस्त) को SYL मुद्दे को लेकर पंजाब-हरियाणा के बीच एक बार फिर अहम बैठक हुई है। यह बैठक दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल की अध्यक्षता में की गई। बैठक के बाद पंजाब सीएम भगवंत मान ने मीडिया से बातचीत में जानकारी दी।
सीएम मान ने कहा- कुछ चीजें अब पॉजिटिव हो रहीं
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, SYL का मामला (Punjab Haryana SYL Issue) बहुत लंबे समय से चल रहा है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी है। आज की बैठक में अच्छे माहौल में बातचीत हुई है। हम दोनों मुख्यमंत्री (पंजाब और हरियाणा के) और जल शक्ति मंत्री ने बैठक की और इस बैठक में सकारात्मक चीजें निकली हैं। आगे बढ़ने का रास्ता बन सकता है, आज की बैठक के बाद ऐसी उम्मीद कायम है।
सीएम मान ने आगे कहा कि, 13 तारीख को सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले पर सुनवाई होनी है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि बातचीत से ये मामला सुलझता है तो बैठकें की जाएं तो हमने बैठकें की हैं। कुछ सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। ऐसी उम्मीद है कि आगे भी सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे क्योंकि यह मुद्दा दोनों राज्यों के बीच अब नासूर बन चुका है।
सीएम मान ने कहा कि, ये राजनीतिक मुद्दा बन चुका है और हमें ये विरासत में मिला है। जबकि पंजाब और हरियाणा के लोगों के बीच कोई लड़ाई नहीं है लेकिन राजनीतिक लोगों ने इस मुद्दे को विवाद का कारण बना दिया है। वहीं सीएम मान ने कहा कि, मैं पंजाब क पक्ष रखने में कामयाब रहा हूं और मुझे उम्मीद है कि केंद्र सरकार उस पर विचार करेगी। पंजाब में पानी भी कम हो रहा है, इसका रिव्यू भी किया जाना चाहिए।
पंजाब-हरियाणा में टकराव की जड़ है SYL मुद्दा
सतलुज-यमुना लिंक नहर (SYL) मुद्दा बार-बार पंजाब-हरियाणा में टकराव बढ़ाने का काम करता है। इस मुद्दे को लेकर जहां एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में सालों से सुनवाई चल रही है तो वहीं केंद्र सरकार की अध्यक्षता में भी पंजाब-हरियाणा के बीच SYL मुद्दे पर कई बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन न तो कोई नतीजा निकलता है और सहमति बन पाती है। मामला वहीं का वहीं खड़ा रहता है। पंजाब-हरियाणा के बीच दशकों से विवादित SYL मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट कड़ी टिप्पणी भी कर चुका है।
SYL पर 1966 से विवाद है
बता दें कि 1966 में पंजाब से जब अलग हरियाणा राज्य बना तभी से यह विवाद है। विभाजन के समय पंजाब और हरियाणा के बीच पानी को छोड़कर सभी संपत्तियां 60 और 40 के आधार पर बांटी गईं। वहीं पानी को लेकर 10 साल के लंबे विवाद के बाद 1976 में दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारे को अंतिम रूप दिया गया और इसी के साथ सतलुज यमुना नहर बनाने की बात कही गई। 24 मार्च 1976 को केंद्र सरकार ने पंजाब के 7.2 एमएएफ यानी मिलियन एकड़ फीट पानी में से 3.5 एमएएफ हिस्सा हरियाणा को देने की अधिसूचना जारी की थी। जिसके बाद पंजाब भड़क उठा।
इसके बाद साल 1981 में समझौता हुआ और पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने 8 अप्रैल 1982 को पंजाब के पटियाला जिले के कपूरई गांव में एसवाईएल नहर का उद्घाटन किया था। हालांकि, इसके बाद भी विवाद नहीं थमा बल्कि या यूं कहें कि विवाद और भी बढ़ता गया। वहीं इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इस मामले को लेकर एसएडी प्रमुख हरचंद सिंह लोंगोवाल से मुलाकात की और फिर एक नए न्यायाधिकरण के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
इधर हरचंद सिंह लोंगोवाल को समझौते पर हस्ताक्षर करने के एक महीने से भी कम समय में आतंकवादियों ने मार दिया था। वहीं 1988 में मजत गांव के पास परियोजना पर काम कर रहे कई मजदूरों की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिससे एसवाईएल नहर का निर्माण कार्य ठप हो गया. 1990 में, आतंकवादियों ने नहर से जुड़े मुख्य अभियंता एमएल सेखरी और अधीक्षण अभियंता अवतार सिंह औलख की भी हत्या कर दी।
हरियाणा सरकार ने 1996 में सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी
यह सब देखते हुए हरियाणा सरकार ने 1996 में सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी. इसके बाद 15 जनवरी 2002 को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब को एक साल में एसवाईएल बनाने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 4 जून 2004 पंजाब सरकार ने अपनी याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। हालांकि, पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं माना। पंजाब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राजी नहीं हुआ और पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट एक्ट-2004 बनाकर हरियाणा के साथ तमाम जल समझौते रद्द कर दिए।
इस तरह से पंजाब ने हरियाणा को पानी देने वाले समझौते को मानने से ही साफ इनकार कर दिया। 2017 में तो एसवाईएल पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का मुकदमा भी पंजाब सरकार के खिलाफ दर्ज हुआ था। बता दें कि, सतलज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर पंजाब में लगभग 121 किमी और हरियाणा में 90 किमी तक फैली हुई है, हरियाणा में नहर का 90 किलोमीटर के हिस्से में निर्माण कार्य 1980 तक पूरा हो चुका है, वहीं पंजाब में शेष 121 किलोमीटर के हिस्से में निर्माण कार्य रुका हुआ है।