When Mahesh Navami 2023 Celebrated Know The Puja Muhurat Here

Mahesh Navami 2023: जानिए इस साल कब है महेश नवमी? यहां पढ़े क्या करने से शिव जी होंगे प्रसन्न, हर इच्छा होगी पूरी

When Mahesh Navami 2023 Celebrated Know The Puja Muhurat Here

When Mahesh Navami 2023 Celebrated Know The Puja Muhurat Here

Mahesh Navami 2023 : हिन्दू पंचांग के अनुसार 29 मई को महेश नवमी है। महेश नवमी का पर्व ज्येष्ठ महीने में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महादेव संग जगत जननी आदिशक्ति माता पार्वती की पूजा की जाती है। महादेव को कई नामों से जाना जाता है। उन्हीं में से एक महेश भी है। धार्मिक मान्यता है कि महेश नवमी तिथि को भगवान शिव की पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। साथ ही जीवन में मंगल का आगमन होता है। इस दिन खास विधि से भगवान शिव की पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं। आइए महेश नवमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व जानें।

Aaj Ka Panchang 23 May 2023: हनुमान जी की प्रिय दिन है मंगलवार, पंचांग अनुसार जानें शुभ-मुहूर्त और आज राहुकाल

महेश नवमी की पूजा का महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार यदि कोई व्यक्ति महेश नवमी वाले दिन पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करता है या फिर किसी शिव धाम पर जाकर दर्शन करता है तो उसके जीवन से जुड़े सभी दुख दूर और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। महेश नवमी के दिन भगवान शिव के रुद्राभिषेक का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। मान्यता है कि श्रद्धा और विश्वास के साथ शिव का पावन अभिषेक करने पर साधक की सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी होती हैं। 

महेश नवमी पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार नवमी तिथि 28 मई को सुबह 09 बजकर 56 मिनट पर शुरू होकर 29 मई को सुबह 11 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। 29 मई को प्रातः काल और संध्याकाल में देवों के देव महादेव की पूजा उपासना के लिए उत्तम समय है।

महेश नवमी पूजा विधि
महेश नवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान शिव का स्मरण कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद नित्य कर्मों से निवृत्त होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। आचमन कर अपने आप को शुद्ध करें। इसके बाद नए स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब सबसे पहले भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान शिव जी, माता पार्वती की पूजा फल,फूल, धूप, दीप, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध, दही और पंचामृत से करें। इस दौरान शिव चालीसा का पाठ और मंत्रों का जप जरूर करें। अंत में आरती अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। शाम में आरती अर्चना कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।