सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए क्या करें? 14 साल से कम उम्र की लड़कियों के लिए एचपीवी वैक्सीन क्यों जरूरी

सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए क्या करें? 14 साल से कम उम्र की लड़कियों के लिए एचपीवी वैक्सीन क्यों जरूरी

सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए क्या करें? 14 साल से कम उम्र की लड़कियों के लिए एचपीवी वैक्सीन क्यों जरूरी

सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए क्या करें? 14 साल से कम उम्र की लड़कियों के लिए एचपीवी वैक्सीन क्यों ज

नई दिल्लीI सर्विक्स गर्भाशय का निचला हिस्सा होता है, जो पेल्विक जांच में दिखाई देता है। जब सर्विक्स में कोशिकाएं असामान्य रूप से बंटने और वृद्धि करने लगती हैं, तो इससे एक ट्यूमर बन जाता है, जिसे सर्वाइकल कैंसर कहते हैं। इस प्रकार का कैंसर ‘ह्यूमन पैपिलोमा वायरस’ के कारण होता है, जो मुख्यतः एचपीवी-16 एवं एचपीवी-18 टाइप का होता है। यह संक्रमण यौन साथियों के बीच आसानी से फैल जाता है। इसके लक्षणों में गर्भ से असामान्य रक्तस्राव, यौन संसर्ग के बाद रक्तस्राव, माहवारी के चक्रों के बीच में, दुर्गंधयुक्त स्राव, कमर और पेट दर्द शामिल हैं। ये लक्षण केवल बीमारी के विकसित होने के बाद ही प्रकट होना शुरू होते हैं, जिसके कारण इसके इलाज के विकल्प सीमित और ठीक होने की संभावनाएं कम हो जाती हैं।

आमतौर से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली एचपीवी वायरस को पहचान लेती है और उसे शरीर को नुकसान पहुंचाने से रोकती है, लेकिन यह वायरस शरीर में ही बना रहता है। एक लंबे समय, यानि 10 से 15 सालों के बाद, धीरे-धीरे परिवर्तन शुरू होता है और एचपीवी सर्वाइकल कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाना शुरू करता है, और वो कैंसर की कोशिकाओं में बदलने लगती हैं। स्तन कैंसर के बाद, सर्वाइकल कैंसर भारत जैसे विकासशील देश में महिलाओं को प्रभावित करने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है। एचपीवी वायरस के संक्रमण को सर्वाइकल कैंसर में फैलने से रोकने के लिए विभिन्न उपाय किए गए हैं, जैसे जांच (पैप स्मियर या एचपीवी डीएनए जांच) और एचपीवी के टीकाकरण को विभिन्न देशों में सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया गया। हालांकि सामाजिक-सांस्कृतिक मान्यताओं और इस कैंसर के जुड़ी भ्रांतियों के कारण जांच करवाने या टीका लगवाने के प्रति महिलाएं काफी झिझक महसूस करती हैं।

सर्वाइकल कैंसर का टीका

इसका टीका सर्वाईकल कैंसर की प्राथमिक रोकथाम करता है। बाजार में उपलब्ध टीके वर्तमान में नौ तरह के एचपीवी वायरस, खासकर एचपीवी 16 और 18 के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं, जो उच्च जोखिम वाले वेरिएंट्स माने जाते हैं और सर्वाइकल कैंसर से जुड़े सबसे आम टाइप हैं। यह टीका लड़कियों को 9 वर्ष से 26 वर्ष की आयु के बीच उनके यौन रूप से सक्रिय होने से पहले लगाया जाना चाहिए। यह टीका कम उम्र में लगाए जाने का कारण है कि एंटीबॉडी ज्यादा तेजी से विकसित होती हैं और शरीर में ज्यादा लंबे समय तक बनी रहती हैं। एचपीवी टीके में महिला की उम्र के अनुरूप आमतौर से 2 से 3 खुराक होती हैं। यद्यपि टीका सर्वाइकल कैंसर से सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन महिलाओं को समय-समय पर सर्वाइकल कैंसर की जांच कराना बंद नहीं करना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन इस बात पर बल देता है कि देशों में विस्तार योग्य टीकाकरण कार्यक्रमों के अलावा, रोकथाम के लिए जांच के उपायों का पालन करते रहना चाहिए। सही समय पर टीका न लगवाने का परिणाम आगे चलकर काफी खतरनाक साबित हो सकता है।