पंजाब में सरकारी स्कूलों की संख्या हजारों में, सफाई मुलाजिमों 350 से भी कम

पंजाब में सरकारी स्कूलों की संख्या हजारों में, सफाई मुलाजिमों 350 से भी कम

Sweepers in Punjab

Sweepers in Punjab

शिक्षा विभाग सूचना के अधिकार के तहत ली गई जानकारी से हुआ खुलासा
स्कूलों में केंद्र की ग्रांटों से शौचालय बना दिए, लेकिन सफाई करने का कोई इंतजाम नहीं

मोहाली। Sweepers in Punjab: पंजाब सरकार भले ही राज्य के प्राइमरी स्कूलों में सफाई व्यवस्था(sanitation in primary schools) के लिए बड़े -बड़े दावे कर रही है। लेकिन शिक्षा विभाग से सूचना(Information from the Department of Education) के अधिकार के तहत ली गई जानकारी ने सरकार के दावों की पोल खोल दी है। पंजाब में प्राइमरी स्कूलों की संख्या हजारों में है, लेकिन सफाई मुलाजिम मात्र साढ़े तीन सौ के करीब है। यह जानकारी नगर निगम मोहाली(Municipal Corporation Mohali) के डिप्टी मेयर कुलजीत सिंह बेदी ने ली थी। बेदी ने अब सरकार से मांग की है कि इस दिशा में तुरंत‌ कार्रवाई की जाए, वरना वह मामले को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में लेकर जाएंगे। किसी भी कीमत पर बच्चों की सेहत से खिलवाड़ नहीं होने देंगे।

सूचना के अधिकार के तहत दी गई जानकारी में खुलासा हुआ है कि राज्य में प्राइमरी स्कूलों की कुल संख्या  12826 हैं। बेदी ने बताया कि  उन्होंने सभी स्कूलों की सफाई व्यवस्था के बारे में जानकारी मांगी थी। लेकिन उन्हें केवल 3943 स्कूलों की जानकारी मिली है। जांच में पता चला है कि स्कूलों में सफाई सेवकों की केवल 227 नियमित पद है। सरकार की तरफ से सिर्फ 22 पदों पर ही भर्ती की गई है, जबकि शेष खाली पड़े हैं। सरकार की तरफ से सफाई के लिए ग्रांट भी नहीं दी गई। स्कूल अपने स्तर पर सफाई व्यवस्था संभाल रहे हैं। सूचना में बताया कि 295 कच्चे सफाई सेवक रखे गए हैं। अधिकतर स्कूलों में केंद्र की ग्रांट से शौचालय बन गए हैं। लेकिन शौचालय में सफाई का कोई इंतजाम नहीं है।डिप्टी मेयर ने बताया कि उन्होंने कुछ समय लुधियाना के स्कूलों की खबर देखी थी। इसमें स्कूल के बच्चे बाथरूम साफ करते हुए नजर आए थे। इस खबर और तस्वीर से उन्हें काफी दर्द हुआ था। इसके बाद उन्होंने यह जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांगी तो यह खुलासा हुआ है। उन्होंने सरकार से मांगी है कि स्कूलों की शिक्षा व सेहत से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। उन्होंने साफ किया है कि अगर सरकार ने इस दिशा में कदम नहीं उठाया तो वह अदालत की शरण लेंगे। याद रहे कि यह पहला मौका नहीं इै इससे पहले भी डिप्टी मेयर कई मामलों को ंपजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट तक लेकर गए थे। जिसके बाद अदालत के आदेश पर लोगों को जरूरी सुविधाएं मिल पाई है।

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