Serious incident at Bathinda Military Station

Editorial : बठिंडा मिलिट्री स्टेशन में वारदात गंभीर, जिम्मेदारी हो तय

Edit

Serious incident at Bathinda Military Station

Serious incident at Bathinda Military Station देश के सबसे बड़े सैन्य अड्डों में से एक बठिंडा मिलिट्री स्टेशन पर हुए हमले में चार जवानों का शहीद होना अपने आप में हैरान कर देने वाली वारदात है। इस मिलिट्री स्टेशन में किसी सामान्य व्यक्ति का प्रवेश ही संभव नहीं है, लेकिन यहां बुधवार की अलसुबह इसी मिलिट्री स्टेशन से चुराई गई इंसास राइफल और कुल्हाड़ी के हमले से चार जवानों की हत्या कर देना बेहद गंभीर मामला है और सैन्य संस्थान की सुरक्षा में भारी चूक है। निश्चित रूप से देश में जितने भी सैन्य एवं अर्ध सैन्य संस्थान हैं, उनकी सुरक्षा के संबंध में यह समीक्षा का समय है।

संभव है, वहां पर पहले ही सुरक्षा के तमाम इंतजाम हो रहे हैं और इस वारदात के बाद उनमें और बढ़ोतरी की जाएगी, लेकिन इसके बावजूद सैन्य संस्थान की सुरक्षा को सामान्य तरीके से संचालित नहीं किया जा सकता। बताया गया है कि बठिंडा मिलिट्री स्टेशन से चुराई गई इंसास राइफल के संबंध में सेना ने पुलिस को मंगलवार शाम को सूचना दे दी थी। इसके बाद से सेना और पुलिस अपने-अपने तौर पर इस मामले की जांच कर रही थी। हालांकि किसी को भी इसका अंदाजा नहीं था कि उसी चुराई गई राइफल से मिलिट्री स्टेशन पर हमला हो जाएगा।

 गौरतलब है कि अलसुबह जब मिलिट्री स्टेशन पर हमला हुआ, तब जवान बिना हथियारों के तैनात थे। इस वारदात के बाद नकाबपोश हमलावर जंगल एरिया में फरार हो गए। सेना और पुलिस ने इस संबंध में किसी आतंकी वारदात होने से इनकार किया है, हालांकि जिस तरह का रवैया हमलावरों ने पेश किया है, वह किसी आतंकी हमले से कम नजर नहीं आता। सवाल यह है कि आखिर नकाबपोश हमलावरों को मिलिट्री स्टेशन में तैनात किसी व्यक्ति विशेष से बदला लेना था या फिर वे मिलिट्री स्टेशन पर हमला करके अपने खूनी मंसूबों को जाहिर करना चाहते थे।

पंजाब पुलिस के डीजीपी की ओर से इस संबंध में पुलिस से रिपोर्ट मांगी गई है। हालांकि बताया गया है कि मिलिट्री एरिया होने के कारण सेना ने पुलिस को भी प्रवेश देने से इनकार कर दिया लेकिन सेना की ओर से मुहैया कराई गई रिपोर्ट को ही आगे भेजा गया है। पंजाब पहले ही दहशतगर्दों के निशाने पर है। राज्य में जांच एजेंसियों, पुलिस थानों की सुरक्षा संदेहपूर्ण है। मोहाली में राज्य पुलिस जांच एजेंसी के कार्यालय पर हमला हो चुका है। इसके बाद से पुलिस थानों की सुरक्षा भी बढ़ाई गई है। हाल ही में खालिस्तान समर्थकों ने पुलिस थाने पर हमला करके अपने साथियों को छुड़वा लिया था। यह सभी वारदातें एक सीरीज में संचालित होती नजर आती हैं। ऐसे में क्या इसकी आशंका नहीं है कि बठिंडा मिलिट्री स्टेशन पर हुआ हमला भी आतंकी वारदात हो।

 गौरतलब है कि बठिंडा कैंट पर पश्चिमी क्षेत्र में सैन्य ऑपरेशन की जिम्मेदारी है। इस मिलिट्री स्टेशन की की बाउंड्री 45 किलोमीटर लंबी है, यहां का एम्युनिशन डिपो देश के सबसे बड़े डिपो में से एक है। इसी मिलिट्री स्टेशन के बीच से नेशनल हाईवे भी गुजरता है। बुधवार की सुबह जब स्टेशन पर हमला हुआ तो उसके बाद देर शाम तक भी सेना और पुलिस अपराधियों की धरपकड़ नहीं कर पाई। जबकि अपराधी हमले के बाद जंगल की तरफ भाग गए थे। इस मामले में एक सैन्य कर्मी को भी हिरासत में लिया गया है। बेशक जांच एजेंसियां विभिन्न स्तर पर काम कर रही हैं, लेकिन यह वारदात अपने आप में हैरत में डालने वाली है। आशंकाएं इसकी भी प्रबल हो रही हैं कि किसी सैन्य कर्मी की चूक की वजह से इसे अंजाम देेने में अपराधी कामयाब रहे हों। हालांकि प्रश्न यह भी है कि आखिर सो रहे जवानों पर हमला करके अपराधी क्या साबित करना चाहते थे। यह भी अपने आप में चकित करने वाली बात है कि जब यह मिलिट्री स्टेशन सबसे सुरक्षित एरिया में है, तब हमलावर यहां दाखिल कैसे हो गए।

जिस जगह पर वारदात को अंजाम दिया गया है, वहां सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, अगर कोई व्यक्ति यहां बाहर से अंदर आता है तो उसकी दो बार चेकिंग होती है, सेना और संबंधित व्यक्ति व सैनिकों के परिवार के लोगों को भी दो जगह चेकिंग के बाद ही प्रवेश मिलता है। इतना कुछ होने के बाद भी अगर बाहरी तत्व चोरी की राइफल और कुल्हाड़ी लेकर अगर सैन्य संस्थान में प्रवेश कर गए तो यह बेहद गंभीर घटना है। रक्षा मंत्रालय को इस संबंध में संबंधित सैन्य अधिकारियों से गहन रिपोर्ट मांगी जानी चाहिए। गौरतलब है कि पंजाब में इस मामले को लेकर राजनीतिक बयान भी सामने आए हैं। राज्य में विपक्षी कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि यह मामला सेना और पंजाब से जुड़ा हुआ है, ऐसे में इसकी गहन जांच जरूरी है। निश्चित रूप से ऐसा होना चाहिए और हो भी रहा होगा। लेकिन यह जरूरी है कि ऐसी वारदातों के भविष्य में होने की तमाम आशंकाओं को खत्म किया जाए। इस संबंध में सभी जिम्मेदारों से जवाबतलबी जरूरी है। 

ये भी पढ़ें ...

Editorial: शाह का अरुणाचल दौरा सही, चीन को मिला करारा जवाब

ये भी पढ़ें ...

Editorial: क्या इस बार आम चुनाव से पहले विपक्ष हो पाएगा एक!