The atmosphere of the city was completely colored in the color of Baba Balak Nath Ji on Friday morning.

ऊना शहर बाबा की जयकारों से गूंजा,अमृतसर के भक्तों की पैदल यात्रा दियोटसिद्ध के लिए हुई रवाना

The atmosphere of the city was completely colored in the color of Baba Balak Nath Ji on Friday morning.

The atmosphere of the city was completely colored in the color of Baba Balak Nath on Friday morning.

ऊना:शहर का माहौल शुक्रवार सुबह सवेरे बाबा बालक नाथ के रंग में पूरी तरह रंग गया। जिला मुख्यालय के पुराना बस अड्डा से शुरू हुए बाबा बालक नाथ के जयकारों से जल्द ही पूरा शहर गुंजायमान हो गया। पंजाब के अमृतसर से करीब 62 वर्ष से प्रतिवर्ष चल रही बाबा बालक नाथ के लिए पैदल यात्रा शुक्रवार को ऊना से दियोटसिद्ध के लिए रवाना हुई। अमृतसर से 18 अप्रैल को यह यात्रा शुरू हुई थी, जिसमें अमृतसर ही नहीं बल्कि पंजाब के विभिन्न शहरों के साथ-साथ हरियाणा और दिल्ली आदि के श्रद्धालु शामिल है। अमृतसर के इन सैकड़ों श्रद्धालुओं का जत्था गुरुवार रात ऊना पहुंचा। जहां प्रतिवर्ष की तरह स्थानीय लोगों द्वारा पुराना बस अड्डा परिसर में इन श्रद्धालुओं के ठहरने और खाने की व्यवस्था भी की गई। जबकि शुक्रवार सुबह तमाम श्रद्धालु एक बार फिर अपने अंतिम पड़ाव बाबा बालक नाथ मंदिर के लिए बाबा जी के जयकारे लगाते हुए निकल पड़े।

62 वर्षों से प्रति वर्ष चल रहा पैदल यात्रा का क्रम

बाबा बालकनाथ पर अगाध आस्था का यह परिणाम है कि पंजाब के अमृतसर से पिछले 62 वर्षों से प्रति वर्ष लगातार पैदल यात्रा का क्रम जारी है। इसी यात्रा के चलते शुक्रवार सुबह जिला मुख्यालय का माहौल भी बाबा बालक नाथ के रंग में पूरा रंगा नजर आया। 18 अप्रैल को अमृतसर के थाना सदर के समीप संत बाबा मोहन लाल के आश्रम से शुरू हुई इस यात्रा में छोटे बच्चों के साथ बुजुर्ग और महिलाएं भी भारी संख्या में शामिल हुई हैं। जबकि शुक्रवार सुबह श्रद्धालु एक बार फिर बाबा बालक नाथ के जयकारे लगाते हुए शाहतलाई की तरफ रवाना हुए। रास्ते में पीर निगाह में शीश नवाने के बाद गोविंद सागर झील पार करते हुए शाहतलाई और दियोटसिद्ध पहुंचेंगे।

बच्चे बूढ़े जवान और महिलाएं सब लेते हैं हिस्सा यात्रा में

करीब 46 वर्ष से लगातार यात्रा में शामिल हो रहे अमृतसर निवासी राकेश शर्मा ने कहा कि बाबा बालक नाथ के प्रति सभी श्रद्धालुओं की अगाध आस्था है और उसी का परिणाम है कि बच्चे बूढ़े जवान और महिलाएं सब लोग इस यात्रा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। उन्होंने कहा कि करीब 700 श्रद्धालु प्रतिवर्ष पैदल यात्रा में शामिल होकर बाबा बालक नाथ के मंदिर में शीश नवाते हैं। दिल्ली से यात्रा में शामिल होने के लिए पहुंचे श्रद्धालु दीपक चोपड़ा ने बताया कि वह खुद कई वर्षों से इस यात्रा में शामिल हो रहे थे जबकि अब उनका 21 वर्षीय बेटा भी लगातार इस यात्रा में भाग ले रहा है। उन्होंने कहा कि सात समंदर पार ही क्यों न चले जाए लेकिन इस यात्रा में शामिल होने के लिए अवश्य पहुंचते हैं।