यूरिया वितरण के बारे में यथार्त बताना चाहिए बहुत छुपा रही है सरकार : नागीरेड्डी
Government should Reveal the Truth about Urea Distribution
(अर्थ प्रकाश / बोम्मा रेडड्डी )
गुडीवाड़ा : : (आंध्र प्रदेश) राज्य में पर्याप्त यूरिया की बहुत कमी के चलते किसान करो में खड़े रह रहे हैं दिनभर राज्य के किसान कई मुश्किलों में इस तरह की खबरें अनेक अखबार लिखने के बाद भी कोई सुधार नहीं आया : नागी रेड्डी
एग्रीकल्चर और फार्मर्स वेलफेयर तथा वाईएसआर पार्टी के जनरल सेक्रेटरी MVS नागी रेड्डी ने गुडीवाड़ा में एक प्रेस वार्ता के दौरान राज्य में यूरिया की बहुत कमी और किसानों की बड़ी मुश्किलों पर एक वीडियो जारी किया।
सरकार को यूरिया के बारे में फैक्ट्स बताने चाहिए जो छुपा कर रख रही है और किसानों को तंग कर रहीहै ।
मार्कफेड के ज़रिए कितना बेचा गया?
प्राइवेट डीलरों को कितना दिया गया, कितना अभी बचा है
यह बताया जाना चाहिए वरना हम कोर्ट के माध्यम से विस्तृत जानकारी हासिल कर सकते हैंकहा वितरण आधा भी सही नहीं किया गया कहा ।
नागी रेड्डी ने मांग की
नागी रेड्डी ने खुलासा किया कि राज्य में यूरिया की सप्लाई के बारे में सरकार के अंदाज़ों का कोई कनेक्शन नहीं है। फैक्ट्स फैक्ट्स से मेल नहीं खाते। उन्होंने सवाल किया कि रबी की खेती पूरी तरह शुरू होने से पहले यूरिया की कमी कैसे हो जाएगी। नागी रेड्डी ने शक जताया कि राज्य में यूरिया की ब्लैक मार्केटिंग हो रही है। वीडियो में MVS नागी रेड्डी ने और क्या कहा..
उम्मीद और फैक्ट्स मेल नहीं खाते:
राज्य में रबी सीजन की खेती पूरी तरह शुरू होने से पहले ही खेतों में यूरिया की कमी देखकर कई शक पैदा हो रहे हैं। सरकार के अंदाज़ों और फैक्ट्स में कोई मेल नहीं है। हैरानी की बात है कि अगर दिसंबर के आखिर तक 3.93 लाख टन यूरिया की ज़रूरत का अंदाज़ा है, तो रिकॉर्ड में दिखाया गया है कि 3.23 लाख टन पहले ही बिक चुका है। सरकार को कम से कम अब तो राज्य में यूरिया के इस्तेमाल और स्टोरेज के बारे में फैक्ट्स बताने चाहिए।
फैक्ट्स कम से कम एक बार तो बताने चाहिए:
इस रबी सीजन के लिए 4.5 लाख टन यूरिया की ज़रूरत का अंदाज़ा है, लेकिन दिखाया गया है कि 9.38 लाख टन यूरिया की डिमांड है। धान, ज्वार और मक्का को छोड़कर किसी दूसरी फसल को यूरिया से ज़्यादा दिक्कत नहीं होगी। एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के अंदाज़े के मुताबिक, 20.69 लाख हेक्टेयर में रबी की खेती होनी थी, लेकिन अभी तक सिर्फ़ 23 परसेंट धान और 20 परसेंट मक्का की खेती हुई है। ऐसा लगता है कि रबी सीज़न के शुरुआती दौर में यूरिया की कमी के पीछे कोई साज़िश है। क्या राज्य के किसानों को सच में यूरिया मिलेगा? या इसे ब्लैक मार्केट में भेज दिया जाएगा? सरकार को इस पर तुरंत जवाब देना चाहिए और सच सामने लाना चाहिए।
किसानों को परेशान करना:
हालांकि केंद्र सरकार ने नैनो यूरिया ज़बरदस्ती न बेचने का आदेश दिया है, लेकिन किसानों को खेत पर ही इसे खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह बहुत शर्मनाक है। अगर उन्हें रेगुलर यूरिया पैकेज चाहिए, तो डीलर किसानों को 450 रुपये के पेलेट या नैनो यूरिया खरीदने के लिए परेशान कर रहे हैं। किसानों को इस तरह परेशान करना ठीक नहीं है।
राज्यमें दूसरी परेशानी, किसानों ने यूरिया के लिए कोऑपरेटिव सोसाइटियों और किसान सर्विस सेंटरों पर लाइन लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें जवाब मिल रहा है कि स्टॉक नहीं है। इसका मतलब है कि यूरिया कब आएगा? कब खत्म होगा? इसमें भी कंफ्यूजन है।
इसलिए इस रबी सीजन की शुरुआत में सरकार के पास यूरिया का जो स्टॉक था। मार्कफेड के जरिए कितना बेचा गया? प्राइवेट डीलरों को कितना दिया गया? स्टैटिस्टिक्स के साथ पूरी जानकारी दी जानी चाहिए। साथ ही, MVS नागिरेड्डी ने वीडियो में उन डीलरों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने को कहा जो जबरदस्ती नैनो यूरिया डालते हैं।