चंडीगढ़ में पूर्व DIG सड़कों पर कूड़ा बीनते; 87 साल के इंदरजीत सिंह ने कहा- मुझे साफ-सफाई पसंद, लोग देखते हैं तो पागल बोलते

Chandigarh Retired DIG Inderjit Singh Sidhu Picks Up Garbage
Chandigarh Retired DIG Story: निस्वार्थ सेवा का भाव भी हर किसी में नहीं आता। यह किसी भी रूप में हो सकता है। चाहें फिर वो साफ-सफाई ही क्यों न हो। आज हम आपको एक ऐसी शख्सियत से मिलाने जा रहे हैं। जिन्होंने सार्वजनिक रूप से सफाई के खातिर अपनी उम्र और अपनी हैसियत की भी परवाह नही की। हम बात कर रहे हैं पंजाब पुलिस से रिटायर्ड डीआईजी इंदरजीत सिंह सिद्धू की। जो कि चंडीगढ़ के सेक्टर-49 में रहते हैं और सफाई बनाए रखने के लिए रोज सड़कों पर कूड़ा बीनते हैं।
पिछले 3-4 सालों से सफाई का बीड़ा उठा रखा
इंदरजीत सिंह सिद्धू को अगर स्वच्छता अभियान का असली सिपाही कहा जाये तो कुछ गलत नहीं है। उन्होंने पिछले 3-4 सालों से अकेले ही सफाई का बीड़ा उठा रखा है। इंदरजीत सिंह का कहना है कि, उन्हें साफ-सफाई पसंद है, हर जगह सफाई बनी रहे। ये उन्हें अच्छा लगता है। लेकिन उन्हे दुख होता है, जब वह चंडीगढ़ जैसे शहर के पढ़े-लिखे लोगों को कहीं भी चलते-फिरते कूड़ा फेंकते हुए देखते हैं। कई लोग तो उन्हें देखकर उनके सामने ही कूड़ा फेंक देते हैं। वह सोचते हैं कि ये उठा ही लेगा। लोग वीडियो बनाते हुए जाते हैं और पागल समझते हैं।
इंदरजीत सिंह सिद्धू के लिए सफाई एक मिशन
इंदरजीत सिंह सिद्धू के लिए सफाई एक मिशन बन चुका है। उनका कहना है कि, चंडीगढ़ हमेशा ही अपनी सफाई और सुंदरता के लिए जाना जाता है। चंडीगढ़ को खूबसूरत शहर (Chandigarh City Beautiful) कहते हैं। वहीं इस बार स्वच्छ सर्वेक्षण में चंडीगढ़ दूसरे नंबर पर आया है। लेकिन दूसरे नंबर के स्वच्छ शहर के अंदर हाल क्या हैं? ये देखा जा सकता है। इंदरजीत सिंह सिद्धू ने कहा कि वह चाहते हैं कि लोग खुद से सफाई की ज़िम्मेदारी निभाएं और यह कोशिश करें कि चंडीगढ़ पूरे देश में पहले नंबर पर रहे।
विदेश में हो सकता तो भारत में क्यों नहीं?
इंदरजीत सिंह सिद्धू से जब पूछा गया कि, उनके मन में कैसे यह ख्याल है कि उन्हें सफाई की इस सेवा में लगना चाहिए तो इस पर उन्होंने सबसे पहली बात जो कही वो ये कि सफाई उन्हें अच्छी लगती है और हर किसी को अच्छी लगनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने एक किस्सा सुनाया। उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले वह यूएसए गए हुए थे। वहां वह एक युवक के साथ गाड़ी में जा रहे थे। इस बीच उन्होंने एक कागज गाड़ी से बाहर फेंकने की कोशिश की तो युवक ने उनका हाथ पकड़ लिया और कहा कि चालान करवाओगे क्या?
इंदरजीत सिंह सिद्धू ने कहा कि, जिस युवक ने हाथ पकड़ा वो उनका जानकार था और उनका बहुत सम्मान करता था लेकिन उसने उनका पकड़ लिया। इससे उन्हें यह एहसास हुआ कि उन्होंने वाकई गलती की है। इसके बाद उनके मन में और ज्यादा यह द्रढ़ संकल्प हो गया कि उन्हें सार्वजनिक रूप से भी सफाई का ध्यान रखना है और सफाई करनी भी है। इस तरह से वह चंडीगढ़ में साफ-सफाई के काम में लग गए। इंदरजीत सिंह सिद्धू ने कहा कि, जब विदेश की सड़कें और ज़मीनें बहुत साफ दिखाई दे सकती हैं, तो भारत में ऐसा क्यों नहीं हो सकता।
लोग मजाक बनाते, शिक्षा नहीं देना चाहता
इंदरजीत सिंह सिद्धू से जब कहा गया कि वह सफाई के लिए प्रेरणा बन रहे हैं तो इसपर उन्होंने कहा कि वह किसी को भी सफाई के लिए शिक्षा नहीं देना चाहते। वह किसी से कहेंगे तो वह कहेगा कि तू ही कर लें, क्या मैं तेरे जैसा घटिया हूं... इसलिए वह किसी से न कहकर खुद ही लोगों का कूड़ा उठा रहे हैं और अपना काम करते जा रहे हैं। बस वह लोगों से ये अपील करेंगे कि लोग सफाई का ध्यान रखें। मन में सफाई की भावना लाएं। इंदरजीत सिंह सिद्धू ने कहा कि, कूड़ा बीनने पर कई लोग उनका मजाक उड़ाते हैं। पागल कहते हैं। लेकिन इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।
जब तक शरीर साथ, यह काम करता रहूंगा
इंदरजीत सिंह सिद्धू सेक्टर-49 स्थित आईएएस/आईपीएस सोसाइटी में रहते हैं। वह सुबह 5 बजे उठते हैं और घर से निकलकर कूड़ा बीनने लगते हैं। वह सेक्टर 49 में अपनी सोसाइटी और आसपास साफ-सफाई करते हैं। सड़कों पर या मैदान में जहां भी उन्हें कूड़ा दिखता है वह उसे उठाते हैं और किसी कट्टे में इकट्ठा कर या रेहड़ी में डालकर ले जाते हैं। इंदरजीत सिंह सिद्धू का कहना कि, जब तक शरीर साथ देता रहेगा। ये काम वह करते रहेंगे। वास्तव में पूर्व DIG इंदरजीत सिंह सिद्धू सफाई से प्रेरणादायक संदेश दे रहे हैं। आज की युवा पीढ़ी इसे समझे।
1986 में पंजाब से चंडीगढ़ आए
आज सड़कों पर कूड़ा बीनते दिख रहे इंदरजीत सिंह सिद्धू पंजाब पुलिस में कभी DIG सीआईडी हुआ करते थे। इंदरजीत सिंह सिद्धू पंजाब के संगरूर जिले के मूल निवासी हैं। वह पंजाब में आतंकवाद के दौरान अमृतसर में एसपी सिटी भी रहे हैं। उसके बाद वह 1986 में चंडीगढ़ आ गए। प्रोमोशन के साथ वह डीआईजी बने। इसके बाद वह 1996 में रिटायर हो गए। उनकी पत्नी का निधन हो चुका है। एक बेटा है जो परिवार के साथ विदेश में सेटल है। इस काम के लिए इंदरजीत सिंह सिद्धू सम्मान के हकदार हैं।