चंडीगढ़ पंजाब का है, इस पर कोई विवाद बर्दाश्त नहीं: सुनील जाखड़

Lok Sabha Elections 2024

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-- जाखड़ ने पूरे मामले में मुख्यमंत्री भगवंत मान से मांगी सफाई

चंडीगढ़, 20 मई: Lok Sabha Elections 2024: पंजाब भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने दो टूक शब्दों में कहा चंडीगढ़ पंजाब का है। इस बाबत कोई समझौता या विवाद नहीं होना चाहिए। चंडीगढ़ कांग्रेस प्रत्याशी मनीष तिवारी के घोषणा पत्र के वायदे पर चंडीगढ़ को सिटी स्टेट बनाने का वायदा किया है । इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त देते हुए जाखड़ ने कहा कि चंडीगढ़ को सिटी स्टेट बनाने का वायदा कर तिवारी ने पंजाब के दावे को कमजोर किया है। तिवारी ने कांग्रेस की मंशा को जगजाहिर किया है। कांग्रेस दबाव में झुक गई है। किसी के पास कमान नहीं है और पार्टी नेता पंजाब की कीमत पर अपने अलग –अलग सुर अलाप रहे हैं।

-- चंडीगढ़ को पंजाब से अलग करने की कोशिश बर्दाश्त नहीं

जाखड़ ने कहा कि कांग्रेस में नीति बनाने और निर्णय लेने में कोई सामंजस्य या एकजुटता नहीं है। कांग्रेस ने अपनी नीतियों को अंबिका सोनी, सैम पित्रोदा और अन्य लोगों को आउटसोर्स कर दिया है जो पंजाब समेत अन्य जगहों पर जमीनी हकीकत के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। चंडीगढ़ को पंजाब से अलग करने की कांग्रेस की कोशिश का भाजपा की ओर से हर संभव विरोध किया जाएगा।

-- मनीष तिवारी से समर्थन वापस लें मुख्यमंत्री भगवंत मान

इस मुद्दे पर पंजाब कांग्रेस को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। मुख्यमंत्री भगवंत मान को भी पंजाब के हकों को छीनने वाली बात पर अपनी राय देनी चाहिए, ताकि लोग किसी तरह की दुविधा में न रहे और मतदान करने से पहले अपनी एक राय बना सकें। प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री ने भी एक तरह से चंडीगढ़ पर पंजाब के दावे को कमजोर किया है। मुख्यमंत्री ने चंडीगढ़ में पंजाब की एक नई अलग विधानसभा बनाने की बात की थी, जबकि चंडीगढ़ में पहले से ही एक विधानसभा मौजूद है। इस मामले पर कांग्रेस और आप दोनों का रुख अलग-अलग है, जबकि चंडीगढ़ में गठबंधन के तौर पर दोनों पार्टियां साथ मिलकर लड़ रही हैं। आप को इस मुद्दे पर सफाई देने के लिए तुरंत मनीष तिवारी से अपना समर्थन वापस लेना चाहिए, अन्यथा यह स्पष्ट हो जाएगा कि आप चंडीगढ़ पर पंजाब का दावा खोना चाहती है।

--  हिंदू –सिख आधार पर पंजाब को विभाजित करने की साजिश

कांग्रेस के वैचारिक दिवालियापन पर अफसोस जताते हुए जाखड़ ने कहा कि  अंबिका सोनी, चन्नी, वाडिंग या रंधावा जैसे नेताओं ने पंजाब को हिंदू-सिख आधार पर विभाजित करने की कोशिश की।  सैम पित्रोदा ने राज्यों में भारतीय समुदायों को उनके रंग के आधार पर अलग करने की बेतुकी बात की, जबकि कांग्रेस नेता सुखपाल खैरा ने गैर-पंजाबियों को यहां काम करने या संपत्ति रखने पर रोक लगाकर पंजाब को भौगोलिक रूप से अलग करने की मूर्खतापूर्ण बात की।