Petition against CM Nayab Saini's Karnal by-election rejected

सीएम नायब सैनी के करनाल उप चुनाव के खिलाफ याचिका खारिज,  जजपा नेता की पिटीशन पर हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

Petition against CM Nayab Saini's Karnal by-election rejected

Petition against CM Nayab Saini's Karnal by-election rejected

Petition against CM Nayab Saini's Karnal by-election rejected- करनाल (शैलेंद्र जैन)। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बड़ी राहत देते हुए करनाल विधानसभा सीट के उपचुनाव को चुनौती देने वाली याचिका रद्द कर दी है। याचिका के रद्द होने के साथ उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि अभी यह फैसला एक जनहित याचिका पर हुआ है। यह फैसला एक जजपा नेता की याचिका पर हुआ है।

एक याचिका पर निर्णय सुरक्षित रख लिया है। है। बीते कल हाईकोर्ट याचिका पर लंच के बाद सुनवाई हई। दोनो पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने र्णिज्य सुरक्षित रख लिया।  बीते कल हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस सीट पर 25 मई को उपचुनाव होना हैं। बीजेपी ने हरियाणा सीएम नायब सैनी को यहां से कैंडिडेट बनाया है।

हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल एक साल से कम होने की दलील देते हुए चुनाव रद्द करने की मांग की गई थी। इस याचिका में बीते दिनों आए महाराष्ट्र के अकोला उप-चुनाव को रद्द करने के मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर बैंच के फैसले को आधार बनाया गया है। वहां पर विधानसभा कार्यकाल एक वर्ष से कम होने के चलते उपचुनाव रद्द करने का आदेश जारी किया गया था। हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा था जवाब हरियाणा के नए सीएम नायब सैनी की उम्मीदवारी वाली करनाल सीट पर विधानसभा उप-चुनाव के खिलाफ याचिका को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को मंजूर कर लिया था।

हाईकोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग समेत केस से जुड़े दूसरे पक्षों को नोटिस जारी कर 30 अप्रैल तक जवाब देने को कहा गया था। करनाल विधानसभा सीट पूर्व सीएम  मनोहर लाल खटूटर के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी। नायब सैनी को हरियाणा का सीएम बने रहने के लिए 6 महीने के भीतर विधायक बनना जरूरी है। चूंकि हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल अभी इससे ज्यादा बचा है, इसलिए चुनाव लडक़र जीतना उनकी मजबूरी है।

एक वर्ष से कम कार्यकाल में श्वष्ट को चुनाव कराने का अधिकार नहीं नियम के तहत जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151ए के अनुसार, यदि विधानसभा का कार्यकाल एक वर्ष से करके तो चुनाव आयोग के पास उपचुनाव कराने का अधिकार नहीं होता है। महाराष्ट्र के अकोला के लिए भी चुनाव आयोग ने 15 मार्च को अधिसूचना जारी कर 26 अप्रैल को चुनाव करवाने का निर्णय लिया था। मामला सीएम से  से जुड़ा आयोग चुनाव करा सकता है एडवोकेट हेमंत कुमार का इस मामले में कहना है कि यदि मामला केवल एक विधानसभा सीट का होता तो चुनाव रोका जा सकता था, लेकिन यहां मामला मुख्यमंत्री से जुड़ा है, जिन्हें 6 माह के भीतर चुनाव जीतना है। 

ऐसे में चुनाव आयोग को अधिकार है कि वह उपचुनाव करवा सकता है। तोशाम सीट और ओडिशा मामले में ऐसा हो चुका 1986 में भी भिवानी जिले की तोशाम सीट पर ऐसे ही उप-चुनाव कराया गया था। वर्ष 1999 में ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री और लोकसभा सांसद गिरिधर गमांग के लिए भी एक वर्ष से कम अवधि के लिए विधानसभा उप-चुनाव कराया गया था। नायब सैनी के सांसद रहते ष्टरू की नियुक्ति भी विवादों में हरियाणा में नए सीएमनायब सैनी की नियुक्ति को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पहले ही चुनौती दी जा चुकी है। 

हाईकोर्ट ने इस मामले में हरियाणा सरकार, केंद्र सरकार, विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। याचिका एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने दायर की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि नायब सैनी की मुख्यमंत्री के तौर पर नियुक्ति नियमों के खिलाफ जाकर की गई है। याचिका में हर शरण वर्मा बनाम उत्तर प्रदेश व अन्य मामले का हवाला देते हुए कहा है कि राज्यपाल अनुच्छेद-164 के तहत राज्य की विधानसभा के बाहर के किसी व्यक्ति को मंत्री पद पर नियुक्त नहीं कर सकते हैं। सैनी अभी सांसद हैं और ऐसे में वह विधानसभा का हिस्सा नहीं हैं।