Delhi Commission For Women- दिल्ली महिला आयोग के 223 कर्मियों को हटाने का आदेश; LG का बड़ा एक्शन, नियमों के खिलाफ नियुक्ति

दिल्ली महिला आयोग के 223 कर्मियों को हटाने का आदेश; LG का बड़ा एक्शन, आरोप- बिना मंजूरी और नियमों के खिलाफ नियुक्ति की गई

Delhi Commission For Women 223 Employees Removed Order By LG

Delhi Commission For Women 223 Employees Removed Order By LG

Delhi Commission For Women: दिल्ली महिला आयोग के 223 संविदा कर्मियों को तत्काल हटाने का आदेश जारी हो गया है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के आदेश पर यह एक्शन हो रहा है। आरोप है कि दिल्ली महिला आयोग की तत्कालीन अध्यक्ष ने सरकार की बिना मंजूरी और निर्धारित नियमों के खिलाफ जाकर इन 223 संविदा कर्मियों की नियुक्ति की और वित्त विभाग पर अवैध तरीके से वित्तीय बोझ बढ़ाया। उपराज्यपाल का कहना है कि, स्वीकृत पदों के बिना और उचित प्रक्रियाओं का पालन किए बिना DCW में लगे इन संविदा कर्मियों की सेवा जारी नहीं रखी जा सकती है।

2016 में आयोग में अतिरिक्त 223 पद निकाले

बताया जाता है कि, दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली महिला आयोग अधिनियम 1994 की धारा 9 (ii) के साथ पठित धारा 11(ii) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 09/09/2016 को आयोजित अपनी बैठक में 223 अतिरिक्त पदों का सृजन किया। जिसके बाद महिला एवं बाल विकास विभाग (DCDW) ने डीसीडब्ल्यू की तत्कालीन सदस्य सचिव को 27.09.2016 को पत्र के माध्यम से वित्त विभाग की मंजूरी के साथ विभाग द्वारा जारी सहायता अनुदान के नियमों और शर्तों के बारे में डीसीडब्ल्यू को अवगत कराने की सलाह दी थी। डीडब्ल्यूसीडी ने डीसीडब्ल्यू को सूचित किया था कि अनुदान प्राप्त संस्थान प्रशासनिक विभाग और वित्त/योजना विभाग की मंजूरी के बिना कोई ऐसा कार्य नहीं करेंगे या ऐसी कोई गतिविधि नहीं करेंगे। जिसमें सरकार के लिए अतिरिक्त वित्तीय दायित्व शामिल हो, जैसे पदों का निर्माण इत्यादि।

वहीं डीडब्ल्यूसीडी ने 05.10.2016 को फिर एक पत्र के माध्यम से डीसीडब्ल्यू को सूचित किया कि डीसीडब्ल्यू द्वारा दिनांक 10.09.2016 को जारी आदेश में डीसीडब्ल्यू में उक्त 223 पदों के सृजन के लिए सक्षम प्राधिकारी यानी माननीय उपराज्यपाल की कोई मंजूरी नहीं है। क्योंकि दिल्ली महिला आयोग अधिनियम, 2013 की धारा 05 की उपधारा (i) के अनुसार, सरकार ही आयोग को ऐसे अधिकारी और कर्मचारी प्रदान करेगी जो आयोग के कार्यों के कुशल प्रदर्शन के लिए आवश्यक हो सकते हैं। इसलिए, DCW के पास कर्मचारियों को स्वयं नियुक्त/नियुक्त करने का अधिकार नहीं है।

इसके बाद तत्कालीन सदस्य सचिव (डीसीडब्ल्यू) ने उपराज्यपाल को 28.11.2016 को एक विस्तृत नोट भेजा था। जिसमें डीसीडब्ल्यू के कामकाज में विभिन्न अपर्याप्तताओं और अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया था। इसके अलावा, नोट में यह कहा गया था कि डीसीडब्ल्यू ने सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना विभिन्न श्रेणियों में व्यक्तियों को नियुक्त किया।

तत्कालीन सदस्य सचिव, डीसीडब्ल्यू ने आगे कहा कि, आयोग की विभिन्न बैठकों में अध्यक्ष, डीसीडब्ल्यू को सदस्य सचिव द्वारा वित्त विभाग, जीएनसीटीडी की मंजूरी प्राप्त करने के लिए बार-बार सलाह दी गई थी। लेकिन सुझावों को अध्यक्ष (डीसीडब्ल्यू) द्वारा स्वीकार नहीं किया गया था। जिसके परिणामस्वरूप, सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना नियुक्त अधिकारियों को भुगतान सदस्य सचिव, डीसीडब्ल्यू द्वारा जारी नहीं किया गया था।

चूँकि, डीसीडब्ल्यू तत्कालीन सदस्य सचिव ने पाया था कि इन कर्मियों की नियुक्तियाँ निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार नहीं थीं। वहीं डीसीडब्ल्यू के संविदा कर्मचारी द्वारा दिल्ली के माननीय उच्च न्यायालय में पारिश्रमिक जारी करने की प्रार्थना के साथ एक याचिका दायर की गई थी। जहां दिल्ली उच्च न्यायालय ने वेतन जारी करने का निर्देश दिया था। लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय को महिला एवं बाल विकास विभाग के हलफनामे के माध्यम से अवगत कराया गया था कि डीसीडब्ल्यू ने निर्देशों और दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है। जिसमें स्पष्ट रूप से गंभीर वित्तीय अनियमितता और अनुचितता पैदा हुई।

नियुक्तियों की जांच के लिए समिति का गठन

वहीं तत्कालीन सदस्य सचिव के नोट के आधार पर उपराज्यपाल ने इन अवैध नियुक्तियों और कई मुद्दों की जांच करने के लिए 13.02.2017 के आदेश के तहत एक समिति का गठन किया। समिति का गठन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में किया गया था और प्रधान सचिव (वित्त), सचिव (कानून एवं न्याय) और सचिव (डीडब्ल्यूसीडी) समिति के सदस्य थे। वहीं समिति ने जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट एलजी को दिनांक 02.06.2017 को सौंप दी थी।

समिति ने निष्कर्ष निकाला था कि, सरकार द्वारा जारी नियम/प्रक्रिया/दिशानिर्देशों से यह स्पष्ट रूप से सामने आता है कि दिल्ली महिला आयोग के कामकाज में बड़े पैमाने पर प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताएं/उल्लंघन देखे गए हैं। डीसीडब्ल्यू में अनियमित नियुक्तियां, जनशक्ति की अनधिकृत नियुक्ति, सलाहकार, सह सलाहकार, सह सदस्य सचिव की नियुक्तियों में अनियमितताएं, एलजी द्वारा नियुक्त सदस्य सचिव की अस्वीकृति और डीसीडब्ल्यू द्वारा अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ डीसीडब्ल्यू द्वारा सदस्य सचिव की अवैध नियुक्ति शामिल है।

इस प्रकार निर्धारित विभिन्न प्रक्रियाओं का पालन किए बिना और सरकार द्वारा जारी डीसीडब्ल्यू अधिनियम/नियमों/विनियमों/दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए, डीसीडब्ल्यू द्वारा लिए गए निर्णय और कार्रवाई उनकी प्रत्यायोजित शक्ति से परे हैं। समिति की राय थी कि DCW द्वारा सृजित 223 पद और संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति अनियमित थी क्योंकि निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था और एलजी की मंजूरी नहीं ली गई थी।

दिल्ली सरकार ने दिल्ली महिला आयोग अधिनियम, 1994 (डीसीडब्ल्यू अधिनियम, 1994) की धारा 5 की उप-धारा (i) के अनुपालन में डीसीडब्ल्यू में 40 स्वीकृत पद प्रदान किए हैं, जिसका अर्थ है- ऐसे अधिकारी और कर्मचारी जो इस अधिनियम के तहत आयोग के कार्यों के कुशल निष्पादन के लिए आवश्यक हो सकते हैं। सरकार आयोग को प्रदान करेगी।

Delhi Commission For Women 223 Employees Removed Order By LG

Delhi Commission For Women 223 Employees Removed Order By LG

Delhi Commission For Women 223 Employees Removed Order By LG