बेगूसराय की लड़ाई में गिरिराज के सामने कितने मजबूत हैं अवधेश राय

बेगूसराय की लड़ाई में गिरिराज के सामने कितने मजबूत हैं अवधेश राय

Lok Sabha Election 2024

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क्या बिहार के लेनिनग्राद में फिर से लहराएगा भगवा ?

अर्थप्रकाश / मुकेश कुमार सिंह
 पटना / बिहार । Lok Sabha Election 2024: 
डेढ़ दशक पूर्व तक, बेगूसराय को वामपंथियों का गढ़ कहा जाता था। यहीं नहीं पुराना कालखण्ड यह बताता है बेगूसराय, "बिहार का लेनिनग्राद" रहा है। लेकिन 2009 से परिस्थियों ने करवट बदली, जिससे बेगूसराय का लाल ब्रिगेड कमजोर पड़ने लगा। पिछले 10 साल से बेगूसराय में भगवा लहरा रहा है। इस बार भी भाजपा यहाँ से भगवा लहराने के लिए, कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। भाजपा ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पर एक बार फिर से भरोसा जताया है और उन्हें प्रत्याशी बनाया है। महागठबमधन ने सीपीआई के अवधेश राय को इस सीट से खड़ा किया है। ऐसे में "बिहार का लेनिनग्राद" इस बार किस ओर जाएगा, इस पर सियासी कयासों का बाजार गर्म है। जाहिर तौर पर, बीते डेढ़ दशक से सियासी बदलाव हुए हैं और मतदाताओं की मानसिकता भी बदली है। दिवंगत भोला सिंह ने सीपीआई के विधायक के रूप में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी लेकिन वर्षों बाद दिवंगत भोला सिंह ही 2014 के चुनाव में, भाजपा के टिकट पर बेगूसराय सीट जीती थी। 2019 में जब भोला सिंह नहीं रहे, तो भाजपा ने यहाँ से गरजने वाले नेता गिरिराज सिंह को टिकट दिया। इस चुनाव में बेगूसराय के रहने वाले युवा नेता कन्हैया कुमार को सीपीआई ने अपना उम्मीदवार बनाया लेकिन गिरिराज सिंह ने बड़े अंतर से जीत हासिल की और कन्हैया कुमार करारी हार मिली। हालांकि यह साफ तौर पर स्पष्ट दिख रहा है कि इस बार की चुनावी लड़ाई उतनी दिलचस्प नहीं है, जितनी 2019 में थी। दीगर बात है कि 2019 की टक्कर का पूरा श्रेय कन्हैया कुमार को जाता है। कन्हैया कुमार के बूते उनके चुनाव प्रचार में  जावेद अख्तर, शबाना आज़मी, स्वरा भास्कर और प्रकाश राज जैसी कई मशहूर हस्तियों ने अपनी बड़ी भूमिका निभाई थी।

हालाँकि तमाम जुगत और जोगाड़ के बाद भी कन्हैया को यहाँ शिकस्त का सामना करना पड़ा। इस बार के चुनाव में चुनाव गंगा के उस पार, लखीसराय जिले के बड़हिया के रहने वाले गिरिराज सिंह के खिलाफ "बाहरी व्यक्ति" का टैग भी एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना है। यही नहीं, कन्हैया कुमार पर देशद्रोही होने वाले गिरिराज के बयान का भी महागठबन्धन जम कर उपयोग कर रहा है। वही नहीं बेगूसराय में कई ऐसी योजनाएँ हैं जो ससमय पूरी नहीं हो सकी है, जिसके पूर्ण होने की आस आज तक लोगों को है। चुनाव पूर्व पीएम मोदी के बेगूसराय की सभा में, नमामि गंगे सहित कई बड़ी-बड़ी सौगातें मिली हैं। गिरिराज सिंह उन योजनाओं को भी भुनाने में लगे हुए हैं। गिरिराज सिंह को बीजेपी का फायर ब्रांड नेता कहा जाता है। इसमें कोई शक-शुब्बा नहीं है कि बेगूसराय में गिरिराज का उग्र हिंदूवादी व्यक्तित्व, एक बार फिर युवाओं के सिर चढ़ कर बोल रहा है। इसकी बानगी उस समय भी दिखी, जब गिरिराज ने एक चुनावी भाषण में कहा कि "हमें पाकिस्तान समर्थक गद्दारों के वोटों की आवश्यकता नहीं है।" जमीनी स्तर पर ऐसे उत्साही भाषणों और नारों का बड़ा असर देखने को मिलता है। इसी का नतीजा है कि जिस बेगूसराय की पहचान  "बिहार का लेनिनग्राद" के रूप में थी, वहाँ अब हिंदुत्व का परचम लहरा रहा है। यही गिरिराज केअब तक के चुनाव प्रचार में भी देखने को मिला है। वे खूब बढ़ चढ़ कर इस मुद्दे को केंद्र में रख कर चुनाव प्रचार को आगे बढ़ा रहे हैं। 

दूसरी ओर वामपंथी उम्मीदवार पूर्व विधायक अवधेश राय को कई मोर्चों पर जूझना पड़ रहा है। इसमें सबसे खास, बेगूसराय का जातीय समीकरण है। भूमिहार बहुल इस सीट पर पिछले चुनावों को देखें, तो 2009 को छोड़ कर हमेशा उच्च जाति के भूमिहार को ही सांसद चुना गया है। सिर्फ 2009 में जेडीयू के मोनाजिर हसन बेगुसराय के सांसद बने थे। गिरिराज भी भूमिहार जाति से आते हैं। अवधेश राय ओबीसी, यानी यादव जाति से आते हैं। वे अपने चुनाव प्रचार के मामले में भी गिरिराज सिंह और एनडीए की तुलना में काफी पिछड़े हुए दिख रहे हैं। अवधेश राय के लिए अभी तक, अलग और ताक़तदार अभियान नहीं देखा गया है। हालांकि गिरिराज सिंह पर निशाना साधते हुए अवधेश राय लगातार कह रहे हैं कि "पिछले पाँच वर्षों में, हिंदू बनाम मुस्लिम के अलावा गिरिराज सिंह ने कुछ नहीं किया है।" इतना ही नहीं, राजद नेता ने एक चुनावी रैली में मतदाताओं से यहाँ तक कह डाला कि 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी पर भरोसा ना करें।' ये लोग चीनी सामान की तरह हैं, जो बिना किसी गारंटी के आते हैं।'

सबसे अहम बात यह है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में, बेगूसराय में सीपीआई को दो सीटें मिली थी, जबकि भाजपा-जदयू गठबंधन केवल तीन सीटें ही जीत सकी थी। इन आंकड़ों को आगे रख कर अवधेश राय दावा कर रहे हैं कि इस बार वे बेहतरीन प्रदर्शन करेंगे और उनकी जीत होगी। 13 मई को तीसरे चरण के चुनाव में, बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र के लिए 2,070 मतदान केंद्र पर मतदान होंगे। जिसमें कुल 21,94,833 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें 11 लाख 54 हजार 336 पुरुष मतदाता, 10 लाख 40 हजार 438 महिला मतदाता एवं 59 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल है। दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 21,774 है। वहीं युवा मतदाताओं की संख्या 35,648 है। इन तमाम रस्साकसी का नतीजा 4 जून को ही निकलेगा, जिसमें यह पता चल सकेगा कि "बिहार का लेनिनग्राद" में लाल ब्रिगेड मजबूत होता है या फिर भगवा ही लहराता है।