ऐसा कैसे: ड्रंकन ड्राइव का दो साल में कोई चालान नहीं

ऐसा कैसे: ड्रंकन ड्राइव का दो साल में कोई चालान नहीं

Drunken Drive

Drunken Drive

कैमरों से चालान पर ही फोकस, ड्रंकन ड्राइव के नाके ट्रैफिक पुलिस ने कर दिये बंद

चंडीगढ़, 11 नवंबर (साजन शर्मा): Drunken Drive: चंडीगढ़ की सडक़ों पर ट्रैफिक पुलिस(traffic police) की केवल कैमरों पर ही निर्भरता बढ़ गई है। सडक़ों पर ड्रंकन ड्राइव(drunken drive) के नाके तक नहीं लग रहे हैं। बीते दो साल के आंकड़े तो यही बयान कर रहे हैं। 2021 में ड्रंकन ड्राइव(drunken drive) का पुलिस ने एक भी चालान नहीं किया। यही हाल 2022 के पहले दस माह से ज्यादा वक्त में है। 2020 में शायद ड्रंकन ड्राइव को लेकर कुछ मुस्तैद थी लिहाजा यही वजह रही कि इस वर्ष इस जुर्म में 317 चालान(Challan) किये गए। डिप्टी सुपरिटेंडेंट पुलिस हरजीत कौर(Deputy Superintendent of Police Harjeet Kaur) की ओर से यह जानकारी उपलब्ध कराई गई है। पुलिस का कहना है कि कैमरे ट्रैफिक पुलिस(traffic police) की मददगार के तौर पर सामने आ रहे हैं।
कैमरे लगने से सरकार की चालानों के जरिये धड़ाधड़ कमाई जरूर बढ़ी है लेकिन ट्रैफिक पुलिस(traffic police) सडक़ों पर पहले से कम नजर आ रही है। सेक्टर 17 के कंट्रोल सेंटर में बैठकर ही ज्यादा चालान किये जा रहे हैं। ज्यादातर इसमें वो चालान हैं जो कैमरे से पकड़े जाते हैं। जिन चालानों में कैमरे का रोल नहीं, उन चालानों की संख्या लगातार घट रही है। यह साबित कर रहा है कि ट्रैफिक पुलिस सडक़ों पर कम बल्कि कैमरों पर ज्यादा है।

ओवर-स्पीडिंग, रेड-लाइट जंपिंग, जैबरा क्रांसिंग के चालानों में बढ़ोतरी

एक आरटीआई(RTI) में मिली जानकारी के अनुसार 27 मार्च 2022 से अब तक ट्रैफिक पुलिस ने ओवर-स्पीडिंग के 91,235 चालान कर दिये हैं। रेड लाइट जंप के भी इसी अवधि में 1,04543 चालान किये जा चुके हैं। जेबरा क्रॉसिंग के भी कैमरों में कई केस पकड़े जा चुके हैं। इसके इस अवधि में 29,372 चालान हो चुके हैं। बिना हेलमेट के भी पुलिस ने 1629 चालान किये हैं। कु ल मिलाकर लगभग 8 महीनों की अवधि में 2,26,779 चालान काटे जा चुके हैं जिससे सरकार को करोड़ों रुपये की अतिरिक्त आमदन हुई है।

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2022 में बीते दो साल की तुलना में 1,77,454 ज्यादा चालान, 2021 से 1,21,754 चालान ज्यादा

बात अगर वर्ष 2020 की करें तो पुलिस ने पूरे साल भर में ही 1,76,619 चालान काटे थे। 2021 में 2,32,319 चालान कटे थे। 2022 में 1 जनवरी से 18 अक्तूबर तक ही 3,54,073 चालान हो चुके हैं। 2020 के मुकाबले 2022 के पहले दस माह में ही 1,77,454 ज्यादा चालान कैमरों की मदद से किये जा चुके हैं। इसी तरह वर्ष 2021 के मुकाबले 1,21,754 ज्यादा चालान किये जा चुके हैं। यानि लाखों अतिरिक्त चालानों से प्रशासन ने अतिरिक्त कमाई की है।

कैमरे व यू टर्न के बोर्ड लगने से घट गए इसके चालान

बिना हेलमेट या उत्तम क्वालिटी के हेलमेट न होने के 2020 में 19,739 लोगों के ट्रैफिक पुलिस ने चालान किये थे जो 2021 में बढक़र 14,103 पर जा पहुंचे । 2022 में इन चालानों की संख्या बढक़र 21,676 तक पहले दस माह में ही पहुंच चुकी है। ट्रिपल राइडिंग करने में भी लोग पीछे नहीं है। 2020 में 1359 लोगों के इस जुर्म में चालान हो चुके जबकि 2021 में 972 लोगों और 2022 में अब तक 914 लोगों के चालान हो चुके हैं। यू टर्न के बोर्ड लगाने के बाद अब लोगों के इसमें कम चालान हो रहे हैं। 2020 में 16,491 लोगों जबकि 2021 में 21,294 लोगों जबकि 2022 में महज 5712 लोगों के ही चालान हुए हैं। बिना सीट बेल्ट 2020 में 6632 लोगों, 2021 में 15,000 लोगों जबकि 2022 के पहले दस माह में 8806 लोगों के चालान हुए। जेब्रा क्रॉसिंग के 2020 में सबसे ज्यादा 55,255 चालान हुए थे जो 2021 में घटकर 38,180 पर पहुंच गए। कैमरे लगने के बाद इन चालानों में कमी दिखाई दे रही है। 2022 के पहले दस माह मं 29,879 लोगों के चालान हुए हैं।

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कैमरों से डेंजरस ड्राइविंग और रेड लाइट जंपिंग के ज्यादा चालान

डेंजरस ड्राइविंग और रेड लाइट जंपिंग के 2020 में महज 2615 मामले सामने आए थे जो 2021 में बढक़र 4097 हो गए लेकिन 2022 के दस माह में इनकी संख्या बढक़र 97,172 चालान पर पहुंच गई। यानि जेब्रा क्रॉसिंग के चालान अब कैमरे लगने के बाद तेजी से बढ़ रहे हैं। साइकिल ट्रैंकों व फुटपाथ पर डेंजरस ड्राइविंग के मामले भी 2020 में महज 578 थे जो 2021 में बढक़र 2565 पर जा पहुंचे। अब 2022 के दस माह में यह संख्या 4052 पर पहुंच गई है। ओवर स्पीडिंग के 2020 में 32,497 मामले चालान के थे जो 2021 में बढक़र 64132 पर पहुंच गए। 2022 में यह संख्या 1,08331 यानि लाखों तक जा पहुंची। यानि ओवर स्पीडिंग शहर में तेजी से बढ़ रही है और ट्रैफिक कैमरे इन्हें तेजी से दर्ज भी कर रहे हैं। बिना सिगनल के लेन चेंज व जिग जैग ड्राइविंग के 2020 में केवल 59 चालान हुए थे जो 2021 में 10,087 तक पहुंच  गए लेकिन 2022 में यह संख्या बढक़र 23,499 पर पहुंच गई है। रॉंग स्टॉपिंग के भी चालान कैमरों की मदद से बढ़े हैं। 2022 में इनकी संख्या 3525 पहुंच गई जो 2021 में 5163 थी और 2020 में यह महज 2652 थी। रांग पार्किंग के चालान भी कैमरों की मदद से पकड़े जा रहे हैं। 2022 के दस माह में 19,816 केस सामने आ चुके हैं। 2021 में यह चालान 20566 तक थे और 2020 में तो महज 9460 ही थे।

ब्लैक फिल्म के मामले घटे

हैरानी वाली बात यह है कि अब शराब पीकर गाड़ी चलाने के 2022 के दस माह में कोई चालान नहीं हो पाए हैं। 2021 में भी ड्रंकन ड्राइव का कोई चालान नहीं हुआ। हालांकि 2020 में ऐसे 317 चालान हुए थे। ब्लैक फिल्म लगाकर गाड़ी चलाने के मामलों में कमी देखी गई है। इसकी एक वजह यह भी बताई जा रही है कि ट्रैफिक पुलिस के सिपाही सडक़ों पर अब कम फिजिकल चैकिंग करते हैं। 2020 में ब्लैक फिल्म या कर्टन के 3853 चालान हुए थे। 2021 में यह 5668 पहुंच गए जो 2022 में 639 ही हो पाये हैं। विदआउट नंबर प्लेट के 2020 में 376 मामले सामने आए थे जबकि 2021 में यह संख्या 371 पहुंच गई। अब कैमरों से इनके चालान भी पहले दस माह में ही 2022 में 853 तक जा पहुंचे हैं। इनमें भी तीन गुणा से ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। विशेष नंबर प्लेट के चालान के मामले भी 2022 में अब तक 5361 सामने आए हैं। 2021 में 9109 चालान थे जबकि 2020 में इस ऑफेंस के उल्लंघन के महज 2612 मामले थे। यानि कैमरों की नजर से गाडिय़ों की नंबर प्लेट पर भी विशेष नजर चल रही है। रांग पार्किंग और व्हील लॉक क्लैंप के मामलों में 2022 के दस माह में 5904 चालान हुए हैं जो 2021 में महज 547 हुए थे जबकि 2020 में यह संखया 2615 थी। इन चालानों को बढ़ाने में भी कैमरों ने खूब मदद ट्रैफिक पुलिस की की है।

शहर से जुड़े लोग मांग कर रहे हैं कि चालान के केस तो सडक़ों पर इंस्टाल किए गए कैमरों ने बढ़ा दिए हैं लेकिन करोडों रुपये सालाना की जो अतिरिक्त आमदनी सरकार या प्रशासन को हुई है, उसमें से कुछ रकम वापिस ट्रैफिक पुलिस को दी जानी चाहिए ताकि इससे पुलिस नये उपकरण खरीद सके या कुछ नए तरह के शोध कर नया कर सकें। लोगों का कहना है कि चालानों से जो भी पैसा एकत्रित होता है वह कंसोलीडेटिड फंड में चला जाता है। ट्रैफिक पुलिस को लोगों को जागरुक करने की दिशा में भी कदम उठाने चाहिएं। केवल आमदनी बढ़ाना ही मकसद नहीं होना चाहिए बल्कि लोगों को अवेयरनेस भी मुख्य मुद्दा है।