नाग पंचमी: आस्था, पूजा और पौराणिक रहस्यों का पर्व

नाग पंचमी: आस्था, पूजा और पौराणिक रहस्यों का पर्व

 साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है।

 

Naag Panchmi 2025: साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। यह पर्व नाग देवताओं को समर्पित होता है। भारत के कई हिस्सों में इस दिन नागों की पूजा की जाती है ताकि जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा बनी रहे। विशेष रूप से शिव भक्तों के लिए यह दिन अत्यंत महत्व रखता है क्योंकि नाग को भगवान शिव का गहना और उनका वाहन माना गया है।

शिवलिंग पर नाग पंचमी के दिन क्या करना चाहिए?

नाग पंचमी के दिन शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर विशेष पूजा करना बेहद फलदायक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो भक्त शिवलिंग पर दूध, जल, बेलपत्र, काले तिल और पुष्प अर्पित करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

शिवलिंग पर क्या करें:

  • सबसे पहले जल और दूध से अभिषेक करें।
  • बेलपत्र, धतूरा और सफेद पुष्प चढ़ाएं।
  • नाग देवता की मूर्ति या चित्र पर हल्दी, चंदन लगाकर दूध अर्पित करें।
  • “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ नागाय नमः” मंत्रों का 108 बार जाप करें।
  • काले तिल का दान करना और काले कपड़ों का प्रयोग विशेष रूप से शुभ माना गया है।

नाग पंचमी का महत्व

 

हिंदू धर्म में नागों को धरती के रक्षक के रूप में माना गया है। कहा जाता है कि नाग देवता धरती के अंदर छुपे जल स्रोतों और खनिजों की रक्षा करते हैं। प्राचीन समय से ही यह विश्वास किया जाता रहा है कि नागों की पूजा करने से सर्प दोष, कालसर्प योग और पितृ दोष जैसे कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन सांपों को दूध पिलाना, नाग मंदिरों में दर्शन करना और ब्राह्मणों को भोजन कराना भी पुण्यकारी माना जाता है।

जानिए क्यों मनाते हैं नाग पंचमी?

महाभारत के अनुसार, एक बार जनमेजय नामक राजा ने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए सर्पों का यज्ञ (सर्पसत्र) आरंभ किया था जिसमें सभी नाग मारे जा रहे थे। इस यज्ञ को रोकने के लिए आस्तिक मुनि ने भगवान विष्णु की स्तुति की और जनमेजय को समझाया, जिससे नागों की रक्षा हुई। उसी दिन को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।

शिव और वासुकी की कथा

भगवान शिव के गले में जो नाग है वो वासुकी है। जब समुद्र मंथन हुआ था, तब वासुकी नाग को मंथन की रस्सी बनाया गया था। उसकी भूमिका को सम्मान देने के लिए भी नागों की पूजा की जाती है।नाग पंचमी केवल एक पौराणिक पर्व नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और जीव-जंतुओं के प्रति सम्मान और संतुलन का प्रतीक है। इस दिन की गई नाग पूजा, न केवल आध्यात्मिक लाभ देती है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण और परंपराओं के प्रति सम्मान का भाव भी जगाती है।