Makar Sankranti will be celebrated on January 15

Makar Sankranti: 15 जनवरी को मनाई जाएगी मकर सक्रांति, पढ़ें शुभ मुहूर्त; जानें क्या है महत्व

Makar Sankranti will be celebrated on January 15

Makar Sankranti will be celebrated on January 15

Makar Sankranti will be celebrated on January 15- भारत देश में वैसे तो बहुत से पर्वों का महत्व मिलता है। इन सब में मकर संक्रांति को भी एक महान पर्व माना जाता है। षड्दर्शन साधु समाज के संगठन सचिव वैद्य पंडित प्रमोद कौशिक ने जानकारी देते हुए बताया कि मकर संक्रांति पर्व वैदिक कालीन पर्वों में से एक है। यह भारत के संपूर्ण प्रांतों में विविध नामों और रूपों में अति प्राचीन काल से मनाया जा रहा है।

मकर संक्रांति एक ऋतु पर्व के रूप में भी मनाई जाती है क्योंकि इस दिन भगवान सूर्य नारायण उत्तरायण हो जाते है और देवताओं का ब्रह्म मुहूर्त प्रारंभ हो जाता है। अत: उत्तरायण काल को शास्त्रकारों ने साधनाओं एवं परा-अपरा विद्याओं की प्राप्ति हेतु सिद्धकाल बताया है। सूर्य उपासना के लिए इस दिन का विशेष महत्व माना जाता है। सूर्य को हिन्दू धर्म के लोग प्रधान देवता के रूप में मानते एवं पूजते हैं। सूर्य उन्नति और निरंतर आगे बढऩे की प्रेरणा देता है। ज्योतिष व मुहूर्त ग्रंथों के अनुसार मेहारम्भ, गृहप्रवेश, देव प्रतिष्ठा, सकाम यज्ञ-यज्ञादि अनुष्ठानों के लिए उत्तरायण काल को ही प्रशस्त कहा गया है। जीवन तो जीवन मृत्यु तक के लिए भी उत्तरायण काल की विशेषता शास्त्रों में बताई गई है।

कौशिक जी ने बताया कि इस बार मकर सक्रांति का पावन पर्व 15 जनवरी रविवार  को मनाया जाएगा। क्योंकि भारतीय पर्वों में मकर संक्रांति एक ऐसा पर्व है जिसका निर्धारण सूर्य की गति के अनुसार होता है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो यह संक्रांति कहलाती है। संक्रांति का नाम करण इस राशि से होता है जिस राशि में सूर्य प्रवेश करता है मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। पंचांग के अनुसार इस बार सूर्य 14 जनवरी को रात्रि में मकर राशि में प्रवेश करेगा। हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार मकर संक्रांति में पुण्य काल का विशेष महत्व  माना जाता है। इस पर्व का पुण्य काल 15 जनवरी को सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहेगा।

ज्योतिष शास्त्र अनुसार मकर संक्रांति इस दिन गृहपति और भगवान सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश होता है और शिशिर ऋतु में सूर्य उत्तरायण में भी प्रवेश करता है क्योंकि शास्त्र अनुसार दो आयनों की संज्ञा दी गई है - दक्षिणायन व उत्तरायण। उत्तरायण में देवताओं का वास समझा जाता है व दक्षिणायन में असुरों का वास कहा गया है। अत: उत्तरायण को महान पुण्य दायक समय समझा जाता है। इसका प्रमाण महाभारत में भी दिया गया है कि जिसमें भीष्म पितामह ने भी शर-शैय्या पर लेटे-लेटे प्राण त्यागने हेतु सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा की थी।

इस बार मकर संक्रांति पर बन रहा है विशेष संयोग

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक ने बताया कि इस वर्ष मकर संक्रांति की शुरुआत चित्रा नक्षत्र में हो रही है जो संध्या काल तक रहेगा। चित्रा नक्षत्र को बेहद शुभ माना जाता है शास्त्रों के मुताबिक इस नक्षत्र में दान धर्म के कार्य और पूजा करना बेहद फलदाई होता है।

इस दिन गंगासागर में स्नान करना महत्वपूर्ण फल दायक कहा गया है। कोलकाता से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर एक टापू है, जहां पर गंगा का सागर में मिलन होता है जो गंगासागर के नाम से विख्यात है। वहीं पर भगवान कपिल मुनि का प्राचीन मंदिर व तपोभूमि पर विशाल मेले का आयोजन  इसी का परिचायक समझा जाता है। इस दिन स्नान करते समय प्राय: तीर्थ में नाभि तक जल में खड़े होकर सूर्य भगवान को जल देना अत्यधिक पुण्यदायी माना जाता है।

मकर सक्रांति पर संन्यासी व गृहस्थियों को तीर्थ पर स्नान करना विशेष पुण्यदायी है। इस दिन चावल, दाल, खिचड़ी, गुड़, तिल, फल, का दान उत्तम है जिन व्यक्तियों का कारोबार मंदी के दौर से गुजर रहा है या जो व्यक्ति मानसिक रुप से तनाव ग्रस्त है उनको इस दिन का लाभ उठाना चाहिए और गऊशालाओं में अपने वजन के बराबर हरि घास व गु? दान करना चाहिए और मेवा व ऊनी वस्त्र आदि का  दान करने का भी विशेष पुण्यदायक  फल माना जाता है। मकर संक्रांति में 'मकर' शब्द मकर राशि को अंकित करता है जबकि 'संक्रांति' का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। एक राशि को छो?कर दूसरे में प्रवेश करने की इस विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहते हैं। 

मकर संक्रांति का महत्व

माना जाता है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी भुलाकर उनके घर गए थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा आदि करने से व्यक्ति का पुण्य प्रभाव हजार गुना बढ़ जाता है।इस दिन से मलमास खत्म होने के साथ शुभ माह प्रारंभ हो जाता है। इस खास दिन को सुख और समृद्धि का दिन माना जाता है।

मकर संक्रांति को क्यों कहा जाता है पतंग महोत्सव पर्व यह पर्व 'पतंग महोत्सव' के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग छतों पर खड़े होकर पतंग उड़ाते हैं। हालांकि पतंग उ?ाने के पीछे कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना मुख्य वजह बताई जाती है। सर्दी के इस मौसम में सूर्य का प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवर्द्धक और त्वचा और हड्डियों के लिए बेहद लाभदायक होता है। 

 

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