दिल की बीमारी, स्ट्रोक और मधुमेह दुनियाभर में मौतों और दिव्यांगता की बड़ी वजह, शोध ने चौंकाया

Heart disease, stroke and diabetes are the leading causes of death and disability worldwide

Heart disease, stroke and diabetes are the leading causes of death and disability worldwide

Heart disease, stroke and diabetes are the leading causes of death and disability worldwide- नई दिल्ली। दुनियाभर में हो रही कुल मौतों और दिव्यांगता के करीब दी तिहाई मामलों की वजह हृदय रोग, स्ट्रोक और मधुमेह जैसे गैर-संचारी रोग है। यह चौंकाने वाला अध्ययन सोमवार को 'द लैंसेट' पत्रिका में  प्रकाशित हुआ। 

इस अध्ययन के अनुसार हृदय रोग, स्ट्रोक और मधुमेह जैसे गैर-संचारी रोग (एनसीडी) दुनियाभर में मृत्यु दर और दिव्यांगता के प्रमुख कारण हैं।

यह अध्ययन ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) के नवीनतम विश्लेषण पर आधारित है और बर्लिन में विश्व स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन में भी प्रस्तुत किया गया था। यह दर्शाता है कि संक्रामक रोगों से ज्यादा अब मृत्यु का कारण गैर-संचारी रोग बन रहे हैं।

इस्केमिक हृदय रोग (दिल का दौरा), स्ट्रोक और मधुमेह को भारत समेत दुनियाभर में मृत्यु दर और रुग्णता के प्रमुख कारणों के रूप में पहचाना गया है। इसके बाद क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), निचले श्वसन संक्रमण और नवजात विकार आते हैं।

1990 में जहां डायरिया संबंधी बीमारियां मृत्यु का प्रमुख कारण थीं। अधिक उम्र की वजह से प्रति लाख जनसंख्या में से 300.53 लोगों की मौत होती थी। 2023 में इस्केमिक हृदय रोग के कारण सबसे अधिक मौतें हुईं, जिसकी आयु-मानकीकृत मृत्यु दर (एएसएमआर) 127.82 प्रति लाख जनसंख्या थी।

अध्ययन के अनुसार, 2021 में मृत्यु की सबसे बड़ी वजह कोविड-19, 2023 में 20वें स्थान पर आ गई। इसके बाद क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, निचले श्वसन संक्रमण और नवजात विकार आते हैं।

शोधकर्ताओं ने बताया कि उल्लेखनीय रूप से उच्च रक्त शर्करा और उच्च बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को कम करने जैसे कुछ प्रमुख जोखिम कारकों को संशोधित करके लगभग आधी मौतों और दिव्यांगता को रोका जा सकता है।

वाशिंगटन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई) के निदेशक डॉ. क्रिस्टोफर मरे ने कहा, "दुनिया की बढ़ती उम्र की आबादी और उभरते जोखिम कारकों में तेजी से हो रही वृद्धि ने वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों के एक नए युग की शुरुआत की है।"

उन्होंने आगे कहा, "ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज अध्ययन में प्रस्तुत साक्ष्य एक चेतावनी है, जिस पर सरकार और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से जुड़े लोगों को रणनीतिक रूप से प्रतिक्रिया देनी चाहिए।

इस अध्ययन में 1990 से 2023 तक 204 देशों और क्षेत्रों और 660 उप-राष्ट्रीय स्थानों के स्वास्थ्य आंकड़ों का विश्लेषण करके वैश्विक स्तर पर आयु और लिंग के आधार पर 375 बीमारियों और चोटों तथा 88 जोखिम कारकों का अनुमान लगाया गया है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि जनसंख्या वृद्धि और बढ़ती उम्र के बावजूद 2023 की वैश्विक आयु-मानकीकृत मृत्यु दर में 1950 के बाद से 67 प्रतिशत की गिरावट आई है।

वैश्विक औसत आयु भी महामारी से पहले के स्तर पर लौट आई है, जहां महिलाओं के लिए औसत आयु 76.3 साल और पुरुषों के लिए 71.5 साल है, जो 1950 की तुलना में 20 वर्ष से भी अधिक है। शिशु मृत्यु दर में भी वैश्विक स्तर पर कमी आई है।

इस प्रगति के बावजूद, किशोरों और युवा वयस्कों में मृत्यु दर में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई, जिसका मुख्य कारण आत्महत्या, नशीली दवाओं और अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन था।

शीशे की अधिकता, वायु प्रदूषण और गर्मी का वैश्विक स्वास्थ्य पर अधिक महत्वपूर्ण प्रभाव जारी रहा।

अध्ययन के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य विकारों में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसमें चिंता विकारों में 63 प्रतिशत और अवसादग्रस्तता विकारों में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।