इस साल का आखिरी 'सूर्य ग्रहण' कल; पितृ पक्ष अमावस्या पर बेहद दुर्लभ संयोग, कितने बजे शुरू होगा-कब खत्म, टाइमिंग यहां जान लीजिए

Last Surya Grahan 2025 on Pitru Paksha Amavasya Impact Upay Timing
Last Surya Grahan 2025: आप इस दुर्लभ संयोग को देखिए कि 7 सितंबर को जहां पितृ पक्ष शुरू होने के साथ ही पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगा और अब जब पितृ पक्ष की समाप्ती हो रही है तो आखिरी दिन अमावस्या पर 'सूर्य ग्रहण' लगने जा रहा है। 21 सितंबर को लगने वाला यह 'सूर्य ग्रहण' इस साल 2025 का आखिरी 'सूर्य ग्रहण' होगा। वहीं यह पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं होगा। यह सूर्य ग्रहण भी आंशिक होने वाला है। ग्रहण की यह खगोलीय घटना वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दोनों ही दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है।
'सूर्य ग्रहण' की टाइमिंग क्या?
भारतीय समय के मुताबिक, साल 2025 का यह दूसरा और आखिरी 'सूर्य ग्रहण' 21 और 22 सितंबर की मध्य रात्रि के बीच रहेगा। यानि यह आंशिक सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 को रात 11 बजे के आसपास शुरू होगा और फिर रात 3 बजकर 24 मिनट के करीब समाप्त होगा। इस सूर्य ग्रहण की अवधि 4 घंटे से ज्यादा की होगी। वहीं ज्योतिषीय दृष्टिकोण से सूर्य ग्रहण की इस घटना का सभी राशियों पर असर (Surya Grahan Impact) पड़ने वाला है। मेष से लेकर मीन तक सभी राशियां प्रभावित होंगी। सूर्य के प्रभाव वाली राशियों पर ज्यादा असर पड़ने वाला है।
भारत में नहीं दिखेगा सूर्य ग्रहण
पहले आंशिक सूर्य ग्रहण की तरह यह सूर्य ग्रहण भी भारत में नहीं देखा (Surya Grahan Visible In India?) जा सकेगा। क्योंकि इस खगोलीय घटना के वक्त देश में रात का समय होगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) न्यूजीलैंड, पूर्वी मेलानेशिया, दक्षिणी पोलिनेशिया और पश्चिम अंटार्कटिका में नजर आएगा।
बता दें कि साल 2024 में भी उपच्छाया चंद्र ग्रहण, पूर्ण सूर्यग्रहण, आंशिक चंद्र ग्रहण और वलयाकार सूर्य ग्रहण की चार खगोलीय घटनायें हुईं थीं। आखिरी बार 8 अप्रैल 2024 को पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखा था। हालांकि, इसे भारत में नहीं देखा गया था। 54 सालों में यह अब तक का सबसे लंबा पूर्ण सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) था।
सूर्य ग्रहण का सूतक काल भारत में नहीं
फिलहाल यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा और इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल (Surya Grahan Sutak Kaal) भी भारत में नहीं माना जाएगा. शास्त्रों की माने तो जहां ग्रहण दिखता है वहीं उसका असर होता है। वहीं सूतक के नियम (Surya Grahan Sutak Kaal Niyam) लागू होते हैं. बता दें कि, ग्रहण में सूतक का विशेष महत्व होता है। सूतक काल ग्रहण के समय से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है।
हिंदू धर्म में ग्रहण को शुभ समय नहीं माना गया है। इसलिए सूतक काल के दौरान सभी शुभ व मांगलिक कार्य रोक दिए जाते हैं। वहीं घर के सभी पानी के बर्तन, दूध और दही में कुश या तुलसी का पत्ता डाला जाता है। ग्रहण के समय खाना-पीना भी वर्जित होता है। फिलहाल, भारत में सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 21 Sept 2025) न दिखने से और सूतक न होने से यहां लोग बेझझिक अपने दैनिक कार्य कर सकेंगे।
29 मार्च को लगा साल का पहला सूर्य ग्रहण
इससे पहले साल 2025 का जो पहला सूर्य ग्रहण था वो भी पूर्ण ग्रहण नहीं था। साथ ही 29 मार्च को पड़ा यह आंशिक सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई दिया था। क्योंकि भारतीय समय के मुताबिक, यह आंशिक सूर्य ग्रहण रात 2 बजकर 20 मिनट के आसपास शुरू हुआ था और 6 बजकर 13 मिनट के करीब समाप्त हो गया था। आंशिक सूर्य ग्रहण की अवधि लगभग 3 घंटे से ज्यादा की थी। इस सूर्य ग्रहण को नॉर्थ-वेस्ट अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, ग्रीनलैंड, आईस लैंड, उत्तरी अटलांटिक महासागर, पूरे यूरोप और उत्तर-पश्चिमी रूस में देखा गया।
क्यों लगता है सूर्य ग्रहण?
पृथ्वी पर हमें दो तरह के ग्रहण दिखते हैं। एक होता है सूर्य ग्रहण और दूसरा होता है चंद्र ग्रहण। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण को लेकर कई अलग-अलग तथ्य बताए गए हैं लेकिन साइंस के अनुसार जब चांद पृथ्वी का चक्कर लगाते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है तो सूर्य ग्रहण होता है। इसी प्रकार जब चांद और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो चंद्र ग्रहण होता है। चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा तिथि पर होता है। जबकि सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या तिथि पर होता है।
कितने प्रकार के होते हैं सूर्य ग्रहण?
सूर्य ग्रहण कितने प्रकार (Surya Grahan Ke Prakar) के होते हैं? बता दें कि, सूर्य ग्रहण चार प्रकार के होते हैं। पूर्ण सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण, वलयाकार सूर्य ग्रहण और संकर सूर्य ग्रहण। पूर्ण सूर्य ग्रहण में जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है और कुछ समय के लिए दिन में अंधकार छा जाता है। आंशिक सूर्य ग्रहण में जब चंद्रमा सूर्य का केवल एक हिस्सा ढकता है, जिससे सूर्य का कुछ भाग ही दिखाई देता है।
वहीं वलयाकार सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) में जब चंद्रमा सूर्य के केंद्र को ढक लेता है लेकिन किनारे प्रकाशित रहते हैं, जिससे सूर्य एक चमकती अंगूठी (रिंग ऑफ फायर) की तरह दिखता है। वहीं संकर सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) में यह दुर्लभ ग्रहण होता है, जिसमें पृथ्वी के अलग-अलग स्थानों से पूर्ण और वलयाकार ग्रहण दोनों दिखाई दे सकते हैं।
सूर्य ग्रहण देखना चाहिए?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूर्य पर लगे ग्रहण की घटना को नहीं देखना चाहिए। हालांकि, साइंस के अनुसार सूर्य ग्रहण देखा जा सकता है लेकिन इस दौरान सुरक्षा का पालन करना जरूरी है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि सूर्य ग्रहण को देखने के दौरान आंखों की सुरक्षा बहुत जरूरी है। विशेष चश्मे, फिल्टर के जरिए सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) देखना चाहिए। सुरक्षा का ध्यान न रखने से आंखों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है।
ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या नहीं?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को पैरों को मोड़कर नहीं बैठना चाहिए। ग्रहण के दौरान उन्हे घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए. अगर घर में गाय-भैंस जैसे पालतू जनवार हैं तो उन्हें भी अंदर ही रखें। इसके साथ ही ग्रहण के दौरान सुई में धागा नहीं डालना चाहिए। वहीं किसी भी प्रकार की सामग्री को काटना या छीलना नहीं चाहिए। कुछ छौंकना या बघारना नहीं चाहिए। खाना-पीना नहीं करना चाहिए। सोना नहीं चाहिए। ग्रहण के दौरान शोर न करके शांति रखनी चाहिए और भगवान का भजन करना चाहिए।
ग्रहण खत्म होने के बाद क्या करें?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, ग्रहण के खत्म होने के बाद मकान, पूजा घर, दुकान, प्रतिष्ठान की साफ सफाई कर अच्छे से धुलाई करें। संभव हो तो पूरे घर को नमक के पानी से धोएं। इसके बाद खुद भी स्नान कर देवी देवताओं को स्नान कराएं। इसके बाद खाद्य पदार्थों पर गंगाजल छिड़क कर उनको शुद्ध करें और फिर सेवन करें। आप देखते होंगे कि ग्रहण सूतक शुरू होने के दौरान बंद किए मंदिर ग्रहण के खत्म होने के बाद धुले जाते हैं और भगवान व सभी देवी-देवताओं के वस्त्र भी बदले जाते हैं।