Jagdeep Dhankhar Speech: 'भगवान करे कोई नैरेटिव चक्रव्यूह में न फंसे'; इस्तीफे के बाद धनखड़ का पहला भाषण

'भगवान करे कोई नैरेटिव चक्रव्यूह में न फंसे'; इस्तीफे के बाद पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ का पहला भाषण और बड़ा बयान, किस ओर निशाना?

Jagdeep Dhankhar First Speech after resignation viral news

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Jagdeep Dhankhar Speech: भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे चुके जगदीप धनखड़ एक बार फिर से एक्टिव नजर आए हैं। इस्तीफे के बाद धनखड़ ने पहला सार्वजनिक भाषण दिया है और इस पहले भाषण के साथ ही उन्होंने एक बड़े बयान से राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। चर्चाओं का दौर गर्म है। दरअसल जगदीप धनखड़ भोपाल में आयोजित एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में पहुंचे थे। इसी कार्यक्रम में उन्होंने लोगों को संबोधित किया और बोलते हुए कहा कि कोई भी नैरेटिव चक्रव्यूह में न फंसे। उनके इतना कहते ही वहां ठहाकों के साथ तालियां बज उठीं।

जगदीप धनखड़ ने कहा- "भगवान करें कोई नैरेटिव के चक्कर में ना फंस जाए, इस चक्रव्यूह में कोई फंस गया तो निकलना बड़ा मुश्किल है। हालांकि, उन्होंने तुरंत यह भी कहा कि मैं अपना उदाहरण नहीं दे रहा हूं। वहीं धनखड़ ने कहा कि दिन पर दिन बढ़ती और बदलती टेक्नोलॉजी, इंटरनेट और AI के इस जमाने में बदलाव के साथ कई चुनौतियां हैं. आज ऐसा समय आ गया है जहां लोग नैतिकता और आध्यात्मिकता से दूर होते जा रहे हैं। वहीं धनखड़ के बोलते समय जब उन्हें समय का ध्यान दिलाया गया तो उन्होंने कहा कि मैं फ्लाइट पकड़ने की चिंता से अपना कर्तव्य नहीं छोड़ सकता और और मेरा हाल का इतिहास इसका उदाहरण है।''

धनखड़ ने किस ओर साधा निशाना?

फिलहाल धनखड़ का यह बयान तीर की तरह आगे बढ़ने का काम कर रहा है और राजनीतिक स्तर और लोगों के बीच हलचल पैदा कर रहा है। धनखड़ ने साफतौर पर भले ही कुछ नहीं कहा हो लेकिन उनके इस बयान का इशारा और निशाना लोग अपने हिसाब से समझ रहे हैं। माना जा रहा है कि उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे के सापेक्ष में ही धनखड़ ने यह सब कहा है। फिलहाल धनखड़ किस पर इशारा कर गए हैं। यह सोचने वाली बात है। मसलन धनखड़ यह कहना चाह रहे थे नैरेटिव वॉर अक्सर आपको अपनी ओर खींच सकती है, और सच्चाई को धुंधला कर सकती है। वहीं काँग्रेस ने पूछा है, - वो कौन था जिसने जगदीप धनखड़ को चक्रव्यूह में फंसाया था..?

21 जुलाई 2025 को जगदीप धनखड़ ने दिया इस्तीफा

21 जुलाई की रात जगदीप धनखड़ (74 साल) ने भारत के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया था। उन्होंने पद छोड़ने के पीछे खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया था। लेकिन धनखड़ का इस तरह इस्तीफा जल्दी से किसी को हजम नहीं हुआ और इस पर कई सवाल उठे। विपक्षी नेताओं ने इस्तीफे को लेकर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की। धनखड़ अगस्त 2022 से 21 जुलाई 2025 तक उपराष्ट्रपति रहे। 11 अगस्त को धनखड़ ने भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। धनखड़ का कार्यकाल 2027 में पूरा होना था।

राजस्थान के किठाना गांव में जन्मे धनखड़

जगदीप धनखड़ का जन्म 1951 को राजस्थान के झुंझनु जिले के किठाना गांव में हुआ था। वह जाट परिवार से ताल्लुक रखते हैं। धनखड़ की शुरुवाती पढ़ाई राजस्थान में ही हुई और इसके बाद जयपुर में राजस्थान विश्वविद्यालय से उन्होंने फिजिक्स में स्नातक किया। इसके बाद धनखड़ ने कानून की पढ़ाई के लिए एलएलबी कोर्स में एडमिशन ले लिया और कानून डिग्री हासिल की. इसके बाद धनखड़ ने वकालत शुरू कर दी। उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में बतौर वकील प्रैक्टिस की। इसके बाद वह धीरे-धीरे राजनीतिक सफर में आ गए।

जगदीप धनखड़ का सियासी सफर

जगदीप धनखड़ ने राजनीति में आने के बाद पहला चुनाव 1989 में झुंझनु से लोकसभा का जीता। वह पहली बार झुंझनु से लोकसभा सांसद बने। इसके साथ ही 1990 में वह संसदीय मामले के केंद्रीय राज्य मंत्री बनाए गए। इसके बाद वह 1993 से 1998 तक राजस्थान के किशनगढ़ से विधायक भी रहे। वहीं 2019 में सक्रिय राजनीति से दूर होकर जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने। वह 30 जुलाई 2019 से 18 जुलाई 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे।इसके बाद धनखड़ ने अगस्त 2022 में NDA उम्मीदवार के रूप मे उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ा था।