सोनीपत में 8 लोगों को जिम्मेदार ठहरा युवक ने खाया जहर, देखें क्या है मामला

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सोनीपत। हरियाणा के सोनीपत में जमीन पर फर्जीवाड़ा कर बैंक से लोन लेने वालों के खिलाफ कई महीनों से कार्रवाई के लिए भटक रहे युवा किसान सुनील (young farmer Sunil) ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। वह हताश था कि जिला परिवेदना समिति की बैठक में उसके मामले में मंत्री मूलचंद ने जांच के आदेश दे दिए, लेकिन अधिकारी फिर भी मामले को रफा दफा करने में लगे थे। सुसाइड नोट में उसने 8 लोगों को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है। शव को पोस्टमार्टम के लिए खानपुर पीजीआई ले जाया गया है।

ये था विवाद
सोनीपत के गांव शहजादपुर के युवा किसान सुनील कुमार के पिता भगवत दयाल ने अपनी जमीन पर लैंड मॉर्गेज बैंक से ऋण लिया था। बाद में भगवत दयाल की मौत हो गई और जमीन उसके बेटे सुनील के पास आ गई। सुनील का आरोप है कि उसके पिता की मौत के बाद इंद्रपाल नाम के शख्स ने फर्जी तरीके से उनकी जमीन पर लोन ले लिया। उन्होंने किला नंबर 26/1 पर सोनीपत लैंड मॉर्गेज बैंक से लोन लिया था, लेकिन इंद्रपाल नाम के शख्स ने यूनियन बैंक से फर्जी तरीके उनकी जमीन पर ही लोन लिया है।

उसे ही भेज दिया जेल
सुनील कुमार ने अब जहरीला पदार्थ खा लिया। उसे गंभीर हालत में पीजीआई खानपुर ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। उसने जहर खाकर जान देने से पहले सुसाइड नोट लिखा, जिसमें इंद्रपाल, उसके रिश्तेदार विजय, प्रवीन, इंद्रपाल का बेटा विनोद हैं समेत 8 लोगों के नाम हैं। सुनील कुमार कई महीनों से जमीन पर धोखाधड़ी से लोन लेने वाले इंद्रपाल के खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के चक्कर काट रहा था। उसका आरोप है कि इन लोगों ने अधिकारियों को रिश्वत खिलाकर उसके खिलाफ ही केस दर्ज करा कर जेल भेज दिया।

मंत्री के सामने रखा मामला

शहजादपुर के सुनील कुमार की जमीन पर धोखे से ऋण लेने की शिकायत अप्रैल महीने में जिला परिवेदना समिति की बैठक में शिकायतें सुनने आए परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा के सामने रखी गई थी। मंत्री ने इस पर जांच के आदेश दिए थे। कहा जा रहा है कि सुनील की शिकायत को अधिकारी अब भी दबाने में लगे थे। जांच के लिए एक कमेटी भी बनाई गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वह हताश हो गया था और न्याय मिलने का कोई रास्ता न देख कर उसने जहर खा कर जान दे दी।

इसलिए चुना मौत का रास्ता

सुसाइड नोट में सुनील कुमार ने इंद्रपाल समेत आठ लोगों को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है। जिस तरह से उसने सुसाइड नोट लिख कर आत्महत्या की है, उससे पता चलता है कि उसे लगने लगा था कि जीते जी न्याय नहीं मिलने वाला। आरोपियों के खिलाफ वह कार्रवाई कराने को तुला था, लेकिन कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही थी। उसे लगने लगा था कि शायद मरने के बाद आरोपियों पर कार्रवाई हो।