बच्चा पैदा करो या 5 करोड़ दो: बेटे-बहू के खिलाफ कोर्ट पहुंचे मां-बाप, दायर की याचिका, हरिद्वार का है यह अनोखा केस

बच्चा पैदा करो या 5 करोड़ दो: बेटे-बहू के खिलाफ कोर्ट पहुंचे मां-बाप, दायर की याचिका, हरिद्वार का है यह अनोखा केस

Haridwar Parents move court against son and daughter-in-law

Haridwar Parents move court against son and daughter-in-law, demand grandchildren or Rs 5 cr compens

Haridwar News: आजकल माता-पिता और बच्चों के बीच विवाद की कई खबरें सामने आती हैं| लेकिन इन खबरों में विवाद की कड़ी या तो सम्पत्ति के बंटवारे से जुड़ी होती है या फिर बच्चों के गलत आचरण से और या फिर उनकी पत्नी के गलत बर्ताव से| मगर उत्तराखंड के हरिद्वार से तो अनोखा ही केस सामने आया है| हरिद्वार में एक बुजुर्ग दंपती ने अपने बेटे-बहू के खिलाफ इसलिए कोर्ट का रुख किया है क्योंकि वह बच्चा पैदा नहीं कर रहे हैं|

जी हां, बिलकुल ऐसी ही बात है| बुजुर्ग दंपती ने कोर्ट में बाकायदा याचिका डाली है| बुजुर्ग दंपती ने याचिका में कहा है कि बेटे-बहू उनकी पोता या पोती की मांग पूरी नहीं कर रहे हैं| बुजुर्ग दंपती ने कोर्ट में पोता या पोती देने या फिर उन्हें मुआवजे के तौर पर 5 करोड़ देने की मांग की है| अब देखना यह होगा कि कोर्ट इस पूरे मामले में क्या करता है|

पिता एसआर प्रसाद क्या कहते हैं?

कोर्ट में इस प्रकार की याचिका लेकर पहुंचने वाले पिता एसआर प्रसाद का कहना है कि उन्होंने अपने बेटे की शादी 2016 में की थी| जिसके बाद उन्हें उम्मीद थी कि अब पोते या पोते की किलकारी घर में गूंजेगी| लेकिन करीब 6 साल हो जाने पर भी बेटे-बहू ने बच्चा पैदा नहीं किया| पिता एसआर प्रसाद कहते हैं कि उन्होंने अपना सारा पैसा अपने बेटे को दे दिया| उसे अमेरिका तक भेजा| बेटे के लिए अपना सबकुछ लगा दिया| यहाँ तक कि अब उनके पास अब पैसे भी नहीं हैं। उन्होंने घर बनाने के लिए बैंक से कर्ज लिया है। एसआर प्रसाद का कहना है कि वह आर्थिक और व्यक्तिगत रूप से परेशान हैं। फिलहाल, वह इस उम्र में अब पोता-पोती का साथ चाहते हैं| बहू-बेटे पोती-पोता दें, लड़का हो या लड़की इससे कोई मतलब नहीं है। और अगर नहीं देना चाहते तो 5 करोड़ का हर्जाना भरें|

वकील का क्या कहना?

एसआर प्रसाद के वकील एके श्रीवास्तव का कहना है कि यह घटना समाज की सच्चाई को बयां करती है। हम अपने बच्चों पर खूब खर्च करते हैं| उन्हें लायक बनाते हैं| बच्‍चों की भी जिम्‍मेदारी बनती है कि वे अपने माता-पिता की इच्छाओं को पूरा करें| उन्हें कष्ट न दें| उनकी देखभाल करें| वकील एके श्रीवास्तव ने कहा कि एसआर प्रसाद ने अपने बेटे-बहू से मांग की है कि या तो एक साल के भीतर पोता-पोती या पांच करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए|