Former Registrar and Superintendent arrested for irregularities in issuing D-Pharmacy Certificate

विजीलैंस ब्यूरो द्वारा डी-फार्मेसी सर्टिफिकेट जारी करने में अनियमितताएं करने के दोष अधीन पंजाब फार्मेसी कौंसिल के दो पूर्व रजिस्ट्रार और सुपरीटेंडैंट गिरफ़्तार  

Former Registrar and Superintendent arrested for irregularities in issuing D-Pharmacy Certificate

Former Registrar and Superintendent arrested for irregularities in issuing D-Pharmacy Certificate

Former Registrar and Superintendent arrested for irregularities in issuing D-Pharmacy Certificate- चंडीगढ़, 9 दिसंबरI  पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने राज्य में भ्रष्टाचार के विरुद्ध शुरु की गई अपनी मुहिम के दौरान पंजाब स्टेट फार्मेसी कौंसिल (पी.एस.पी.सी.) में बड़े घोटाले का पर्दाफाश करते हुए दो पूर्व रजिस्ट्रारों और एक सुपरीटेंडैंट को कथित तौर पर निजी फार्मेसी संस्थाओं के सहयोग से उम्मीदवारों की रजिस्ट्रेशन करने और फार्मासिस्टों को सर्टिफिकेट जारी करने से सम्बन्धित गंभीर अनियमितताओं के दोष अधीन गिरफ़्तार किया है।  

 इस संबंधी जानकारी देते हुए आज यहाँ राज्य विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि विजीलैंस एनक्वायरी नं. 04/2019 के दौरान हुई पूछताछ के उपरांत गिरफ़्तार किए गए मुलजिमों में प्रवीन कुमार भारद्वाज और डॉ. तेजबीर सिंह (दोनों पूर्व रजिस्ट्रार), और अशोक कुमार लेखाकार (मौजूदा सुपरीटेंडैंट) शामिल हैं।  

 उन्होंने आगे बताया कि प्रवीन कुमार भारद्वाज ने 2001 से 2009 और 24.12.2013 से 25.3.2015 तक पी.एस.पी.सी. के रजिस्ट्रार के तौर पर सेवाएं निभाईं, जबकि डॉ. तेजबीर सिंह 23.8.2013 से 24.12.2013 तक इस पद पर रहे। विजीलैंस जांच के अनुसार लेखाकार अशोक कुमार भी इस घोटाले में शामिल था।  

 उन्होंने बताया कि जांच के दौरान फार्मासिस्टों की रजिस्ट्रेशन के दौरान सत्यापन प्रक्रिया में लापरवाही का पता लगा है। इसके अलावा सामान्य निरीक्षण के दौरान कई नकली डी-फार्मेसी सर्टीफिकेटों का भी पता लगा है। इस जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि पंजाब के 105 फार्मेसी कॉलेजों में चल रहे डी-फार्मेसी कोर्स के लिए दाखि़ला प्रक्रिया के दौरान उक्त दोषी रजिस्ट्रारों और कर्मचारियों द्वारा सख़्त प्रोटोकोल और अनिवार्य शैक्षिक योग्यताओं को अनदेखा किया गया था।  

 पंजाब राज्य तकनीकी शिक्षा बोर्ड, जो राज्य के सरकारी कॉलेजों में डी-फार्मेसी कोर्स के दाखि़लों की ऑनलाइन काउंसलिंग करवाता है, उस काउंसलिंग के दौरान प्राईवेट संस्थाओं में खाली सीटें रह जाती हैं। इन सीटों को भरने के लिए प्राईवेट कॉलेजों ने कथित तौर पर उक्त रजिस्ट्रारों और पी.एस.पी.सी. के कर्मचारियों की मिलीभुगत से अन्य राज्यों के विद्यार्थियों को अनिवार्य माइग्रेशन सर्टिफिकेट प्राप्त किए बिना, इन उम्मीदवारों से बड़ी रिश्वत लेकर कथित तौर पर दाखि़ला दिया। इसके अलावा, प्राईवेट तौर पर मेडिकल या नॉन-मेडिकल स्ट्रीमों में 10+2 करने वाले कई विद्यार्थियों को भी अपेक्षित 10+2 शैक्षिक योग्यताओं के साथ डी-फार्मेसी कोर्स में दाखि़ला दिया गया, जबकि योग्यता के अनुसार 10+2 रेगुलर तौर पर और साइंस के प्रैक्टिकल में भाग लेकर पास की होनी चाहिए।  

प्रवक्ता ने बताया कि जांच के दौरान यह बात भी सामने आई है कि पंजाब स्टेट फार्मेसी कौंसिल के अधिकारियों और कर्मचारियों ने रिश्वत के बदले निजी फार्मेसी कॉलेजों के साथ मिलीभुगत करके बिना अनिवार्य माइग्रेशन सर्टिफिकेट और 10+2 सर्टीफिकेटों के सत्यापन किए बिना दाखि़लों की इजाज़त दी। इसके अलावा, भारत में काउंसिल ऑफ बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (सी.ओ.बी.एस.ई.) द्वारा मान्यता प्राप्त शिक्षा बोर्डों द्वारा जारी सर्टीफिकेटों की मंजूरी और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के सम्बन्ध में अनियमितताएं सामने आई हैं। पी.एस.पी.सी. के अधिकारियों और कर्मचारियों ने प्राईवेट कॉलेजों के प्रिंसिपल और प्रबंधकों की मिलीभुगत के साथ इन उम्मीदवारों की रजिस्ट्रेशन करवा कर सर्टिफिकेट जारी किये और ऐसे नकली सर्टीफिकेटों के आधार पर उनको अलग-अलग विभागों में नौकरी मिली या मेडिकल की दुकानें स्थापित करने में मदद की।  

अधिक जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि मुलजिम प्रवीन कुमार भारद्वाज को 31.3.2011 को फज़ऱ्ी दाखि़लों, नकली सर्टीफिकेटों, रिकॉर्ड में हेराफेरी और डिस्पैच रजिस्टर में गलतियों के दोष में निलंबित कर दिया गया था। हालाँकि, बाद में उसको 24.12.2013 को रजिस्ट्रार के तौर पर दोबारा नियुक्त कर दिया था, परन्तु 25.3.2015 को हाईकोर्ट की रिट पटीशन के कारण उसकी सेवाओं को ख़त्म कर दिया गया था।  

 प्रवक्ता ने आगे बताया कि डायरैक्टर, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान (डी.आर.एम.ई.), और अमृतसर, फरीदकोट और पटियाला के मेडिकल कॉलेजों द्वारा किए गए सत्यापन के दौरान दाखि़लों और पी.एस.पी.सी. की रजिस्ट्रेशन प्रक्रियाओं में काफ़ी अनियमितताओं का पता लगा। अमृतसर और फरीदकोट के कॉलेजों की रिपोर्टों ने पी.एस.पी.सी. में दाखि़लों और रजिस्ट्रेशन में हेराफेरी का खुलासा किया है।  

 उन्होंने आगे बताया कि जांच के दौरान 2005 से 2022 के दरमियान 143 विद्यार्थियों के नकली सर्टीफिकेटों का पर्दाफाश हुआ है। इन विद्यार्थियों ने पंजाब तकनीकी शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों/कर्मचारियों के साथ अपने संबंधों का फ़ायदा उठाते हुए प्राईवेट कॉलेजों में डी-फार्मेसी के डिप्लोमे मुकम्मल किये।  

 पी.एस.पी.सी. को 2016 से 2023 तक सत्यापित रिपोर्टों पर टिप्पणियों की विनती करने सम्बन्धी कई पत्र भेजे गए, परन्तु इसके बावजूद पी.एस.पी.सी. लम्बित जांच का हवाला देते हुए ज़रूरी टिप्पणियाँ देने में असफल रहा। इसके अलावा, प्रदान की गई सूचियों की अनुपस्थिति के कारण कुछ जिलों की रिपोर्टों की पुष्टि करने में सरकारी मेडिकल कॉलेज पटियाला की भूमिका भी अस्पष्ट रही है। कुल 3078 सत्यापनों में से, पी.एस.पी.सी. ने पहचाने गए फज़ऱ्ी दस्तावेज़ों के बारे में कोई जानकारी दिए बिना केवल 453 फार्मासिस्टों के बारे में टिप्पणियाँ दी हैं।  

 इसके अलावा, बाहर के राज्यों के शिक्षा बोर्डों से 10+2 करने के बावजूद पंजाब राज्य तकनीकी शिक्षा बोर्ड और प्राईवेट कॉलेजों से डिप्लोमा पूरा करने के उपरांत डी-फार्मेसी सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों संबंधी भी अनियमितताओं का पता लगा, जो पी.एस.पी.सी. द्वारा सत्यापित और रजिस्ट्रेशन के मौके पर की गई गलतियों को दिखाता है।  

 उन्होंने बताया कि रजिस्ट्रार के तौर पर डॉ. अभिन्दर सिंह थिंद, डॉ. तेजबीर सिंह और प्रवीन कुमार भारद्वाज की मिलीभुगत के कारण बहुत से नकली फार्मेसी सर्टिफिकेट जारी किये गए, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा को खतरे में डाला गया।  

 राज्य के पाँच ज़ोनों ने अनियमितताओं को उजागर करते हुए डी.आर.एम.ई. को सत्यापित रिपोर्टें सौंपी। हालाँकि, फरीदकोट के अलावा पी.एस.पी.सी. की रिपोर्ट अभी भी लम्बित है, जिस कारण रिपोर्टों में इन अनियमितताओं के बारे में स्पष्ट फ़ैसला सामने नहीं आया।  

 फार्मेसी कौंसिल ऑफ इंडिया (पी.सी.आई.), नयी दिल्ली के एक पत्र में, फार्मासिस्ट रजिस्ट्रेशन के लिए हरेक आवेदन की पड़ताल करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया हुआ है, जिसमें शैक्षिक प्रमाण पत्रों के सत्यापन और फार्मेसी एक्ट 1948 के अंतर्गत कानूनी शर्तों की पालना करना शामिल है, परन्तु पी.एस.पी.सी. रजिस्ट्रार और कर्मचारियों ने इन अनिवार्य शर्तों को बिल्कुल नजरअन्दाज कर दिया। इसके अलावा, यह पता लगा कि प्रवीन कुमार भारद्वाज ने समकालीन समय के रजिस्ट्रार का पद न होने के बावजूद कथित तौर पर हिमाचल स्टेट फार्मेसी कौंसिल के विद्यार्थियों के लिए दो फार्मेसी सर्टीफिकेटों पर दस्तखत किये थे।  

 उपरोक्त अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए उक्त के खि़लाफ़ एफ.आई.आर. 17 तारीख़ 8.12.23 को आई.पी.सी. की धारा 420, 465, 466, 468, 471, 120-बी के अंतर्गत विजीलैंस ब्यूरो के थाना आर्थिक अपराध शाखा लुधियाना में मुकदमा दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि विजीलैंस ब्यूरो द्वारा और अधिक पड़ताल के दौरान पी.एस.पी.सी. के और अधिकारियों, कर्मचारियों और क्लर्कों के साथ-साथ प्राईवेट कॉलेजों के साथ जुड़े व्यक्तियों की भूमिकाओं की भी जांच की जायेगी।