आपदा राहत : केंद्र-राज्य की हिस्सेदारी में न फंस जाए घर बसाने का काम

Disaster Relief
ख्यमंत्री बोले, केंद्र सरकार जमीन नहीं देगी, तो हम कैसे बसाएंगे उजड़े हुए घर
शिमला: Disaster Relief: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में एक ही रात कई जगह बादल फटने से तबाही आई है। राहत बचाव कार्य तेजी से चल रहा है, अभी सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि कितना नुकसान हुआ है। शुरुआत में दिख रहा है कि सराज विधानसभा क्षेत्र के साथ-साथ करसोग और धर्मपुर में सैकड़ों परिवार बेघर हो गए हैं। मुख्यमंत्री ने बेघर हुए लोगों के लिए राहत शिविर लगाए हैं और किराए के मकान में रहने के लिए 5 हजार महीना किराया सरकार की ओर से देने की बात की है। मुख्यमंत्री ने बेघर हुए लोगों से वायदा किया है कि चिंता न करें, हम सभी का घर बसाएंगे। अब घर बसाने के लिए सरकार को जमीन चाहिए। जिन गांवों के लोग बेघर हुए हैं, वहां हिमाचल सरकार की जमीन नहीं है, वहां फारेस्ट लैंड है और फारेस्ट लैंड केंद्र सरकार की है। केंद्र सरकार ही घर बनाने के लिए जमीन दे सकती है। जिससे सवाल उठता है कि कहीं आपदा में बेघर हुए प्रभावितों के घर बसाने का काम केंद्र व राज्य की हिस्सेदारी में न उलझ जाए और घर बनाने में देरी हो।
मुख्यमंत्री ने साफ किया, केंद्र जमीन देगी, तभी हम बसा पाएंगे उजड़े हुए लोगों के घर
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दो दिन लगातार सराज और नाचन विधानसभा के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में दौरा किया है। इससे पहले धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में हुए नुकसान का जायजा लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बादल फटने की घटनाओं से भारी नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री ने आपदा से बेघर हुए लोगों से वायदा किया है कि सभी का घर सरकार बसाएगी। मुख्यमंत्री ने साथ में यह भी कहा कि यहां की जमीन सरकार की नहीं है। केंद्र सरकार जमीन देगी तो हम घर बनाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि गांवों से दूर सरकार की जमीन है लेकिन लोग जिस गांव में रहते थे, वहीं बसना चाहते हैं, वह दूर नहीं जाना चाहते। इस कारण लोगों को अपने गांव में बसाने के लिए फारेस्ट लैंड की जरुरत होगी। फारेस्ट लैंड केंद्र सरकार ही देती है। जब तक केंद्र सरकार जमीन नहीं देगी, हम घर कैसे बसा पाएंगे।
भाजपा के 7 सांसदों से आग्रह, प्रधानमंत्री के पास जाकर दिलाएं जमीन
मुख्यमंत्री ने भाजपा के 7 सांसदों से आग्रह किया है कि वह आपदा प्रभावितों के घर बसाने के लिए मदद करें और प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के पास जाकर हिमाचल में आपदा प्रभावित लोगों के घर बसाने के लिए केंद्र से जमीन दिलवाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों की संपत्तियां आपदा में नष्ट हो गई हैं, उन्हें राज्य सरकार द्वारा जहां भी संभव हो सकेगा, भूमि उपलब्ध करवाई जाएगी। हालांकि वन भूमि के आबंटन के लिए केंद्र सरकार की अनुमति आवश्यक है और इस संबंध में राज्य सरकार केंद्र को प्रस्ताव भेजेगी। मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश के सभी भाजपा सांसदों से वन भूमि पर आपदा प्रभावितों के पुनर्वास के लिए केंद्र सरकार से अनुमति दिलवाने में सहयोग करने की अपील की। उन्होंने कहा कहा कि हिमाचल प्रदेश का 68 प्रतिशत भू-भाग वन क्षेत्र है और आपदा में जिन लोगों ने अपनी भूमि गंवाई है, उन्हें विशेष अनुमति के माध्यम से वन भूमि पर पुनर्वासित किया जा सकता है। भाजपा सांसदों को इस विषय में अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री नड्डा और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा, केंद्र सरकार करेगी पूरी मदद
मंडी जिले के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने भी दौरा किया। नड्डा ने जनता से वायदा किया है कि केंद्र सरकार पूरी तरह आपदा प्रभावितों की मदद करेगा। केंद्र सरकार पूरी तरह राज्य सरकार की साथ खड़ी है। पहले भी आपदा में केंद्र सरकार ने भारी मदद की है। इस बार भी जो भी जरुरत होगी, केंद्र सरकार हर संभव मदद करेगी। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार सराज के विकास के लिए केंद्र सरकार को प्रपोजल भेज। वह केंद्र सरकार के पास जाएंगे और आपदा प्रभावितों की मदद के लिए बजट लाएंगे। मंडी संसदीय क्षेत्र की सांसद कंगना रणौत ने भी कहा कि वह केंद्र सरकार से आपदा राहत के लिए विशेष पैकेज के लिए आग्रह करेंगी।
आपदा से भारी नुकसान, राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी
मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि मंडी जिले में आपदा से भारी नुकसान हुआ है। अभी तक के अनुमान के अनुसार करीब 800 करोड़ से अधिक के नुकसान की रिपोर्ट है। आपदा के कारण अब तक 15 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 27 लोग लापता हैं। आपदा से 1,184 घर, 710 गौशालाएं और 201 दुकानें प्रभावित हुई हैं तथा 780 पशु भी मारे गए हैं। राहत एवं पुनर्वास कार्यों में सहायता के लिए ज़िला प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को 2,657 राशन किट और 3,603 तिरपाल वितरित किए हैं। इसके अतिरिक्त, 17 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जिनमें 677 लोग ठहरे हैं।