Demand raised for the benefits of manrega and construction workers

सीटू ने मनरेगा और निर्माण मज़दूरों के लाभ बहाल करने के लिए मुख्यमंत्री से उठायी मांग

Demand raised for the benefits of construction workers

Demand raised for the benefits of construction workers

शिमला: हिमाचल प्रदेश राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड द्धारा मनरेगा और निर्माण मज़दूरों के लाभ पिछले सात महीनों से गैरकानूनी तरीके से रोकने और उन्हें तुरन्त बहाल करने के लिए आज मज़दूर संगठन सीटू और मनरेगा व निर्माण मज़दूर फेडरेशन का सयुंक्त प्रतिनिधिमंडल आज मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू से ओकओवर शिमला में मिला। जिसमें सीटू के राष्ट्रीय सचिव डॉक्टर कश्मीर सिंह ठाकुर राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा महासचिव प्रेम गौतम निर्माण फेडरेशन के राज्य अध्यक्ष जोगिंदर कुमार और महासचिव तथा बोर्ड सदस्य भूपेंद्र सिंह और सुरेश राठौर शामिल हुए। भूपेंद्र सिंह द्धारा जारी प्रेस नोट में कहा कि बोर्ड से पंजीकृत निर्माण और मनरेगा और निर्माण मज़दूरों की सहायता राशी बोर्ड के सचिव ने पिछले सात महीने से गैर कानूनी तरीक़े से रोक रखी है जिससे लाखों मज़दूरों को मिलने वाली सहायता और पंजीकरण के लाभ रोक दिए हैं।जिसके बारे बार बार बोर्ड के सचिव से इसे जारी करने बारे मांग करने और 3 अप्रैल को नवगठित बोर्ड की मीटिंग में फैसला हो जाने के बाद भी ये रुके हुए काम शुरू नहीं किये हुए हैं जिसकारण आज सीटू और निर्माण फेडरेशन ने इसे जल्दी शुरू करने बारे मुख्यमंत्री से मुलाक़ात की और उनसे विस्तृत चर्चा की और माँगपत्र सौंपा।जिसके बारे ने इस रुके कार्य को शुरू करने का आश्वासन दिया है। भूपेंद्र सिंह ने बताया कि राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड में 2017 के बाद क़ानून के प्रावधानों के तहत मनरेगा और निर्माण मज़दूरों का पंजीकरण हुआ है लेकिन इनके लाभ गैर कानूनी तौर पर रोकने के लिए बोर्ड के अधिकारी जिम्मेदार हैं। जिन्होंने बोर्ड और सरकार की अनुमति के बिना ही सारा काम रोक दिया है यूनियन ने इन अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्यवाई करने की भी मांग मुख्यमंत्री से की है।यूनियन ने उनसे मांग की है कि मज़दूरों का पंजीकरण और नवीनीकरण जल्दी शुरू किया जाए और पिछले दो सालों की लंबित सहायता राशी जल्दी जारी करने की मांग उठायी है।कियूंकि इस रोक के कारण मज़दूरों के बच्चों को मिलने वाली छात्रवृति, विवाह शादी,बीमारी के ईलाज हेतु, प्रसूति सहायता और पेंशन इत्यादि सभी प्रकार की सहायता रोक दी गई है।बोर्ड के अधिकारियों ने ग़लत तरीक़े एक और फ़ैसला इस दौरान लिया है जिसमें निजी रिहायशी मकानों में काम करने वाले मज़दूरों को सेस/उपकर अदा करने की शर्त लगा दी है जो क़ानून के ख़िलाफ़ है।इसी प्रकार मज़दूर यूनियनों को रोज़गार प्रपत्र जारी करने और सत्यापित करने के अधिकार को भी समाप्त कर दिया गया है।एक्सपर्ट कमेटी में केवल अधिकारियों को ही रखा गया है जबकि इसमें मज़दूर यूनियनों के सदस्य भी होने चाहिये।बोर्ड के पैसे का पिछले समय में प्रचार प्रसार के नाम पर दुरूपयोग हुआ है उसकी जांच की भी मांग उठायी गयी।उन्होंने ये भी कहा कि यदि 15 दिनों में बोर्ड के रुके हुए काम को बहाल नहीं किया जाता है तो यूनियन मई माह में शिमला में विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होगी।इसलिये यूनियन ने मुख्यमंत्री को इस मुद्दे पर तुरन्त हस्तक्षेप करने की मांग की है।

जानिए माकपा ने किसे कहां से बनाया प्रत्याशी

नगर निगम शिमला के चुनावों का शंखनाद होने के बाद भाजपा और कॉंग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की सूची जारी की है वहीं माकपा भी चुनावी समर में उतारने के लिए पूरी तरह से तैयार है। माकपा ने भी नगर निगम के चुनावों में अपने प्रत्याशियों की सूची जारी की है। जिसमे वॉर्ड नंबर 5- समरहिल से वीरेंद्र ठाकुर, 6- टूटू दीक्षा ठाकुर, 13- कृष्णा नगर अमित कुमार और वॉर्ड नंबर 24- सांगटी से कपिल देव शर्मा को प्रत्याशी बनाया है।

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