ध्वस्त हुए जीएसटी कलेक्शन के सारे रिकॉर्ड, अप्रैल में सरकार की झोली में आए 1.68 लाख करोड़

ध्वस्त हुए जीएसटी कलेक्शन के सारे रिकॉर्ड, अप्रैल में सरकार की झोली में आए 1.68 लाख करोड़

ध्वस्त हुए जीएसटी कलेक्शन के सारे रिकॉर्ड

ध्वस्त हुए जीएसटी कलेक्शन के सारे रिकॉर्ड, अप्रैल में सरकार की झोली में आए 1.68 लाख करोड़

नई दिल्ली। अप्रैल, 2022 के महीने में सकल जीएसटी राजस्व 1,67,540 करोड़ रुपये रहा, जिसमें सीजीएसटी 33,159 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 41,793 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 81,939 करोड़ रुपये (वस्तुओं के आयात पर एकत्रित 36,705 करोड़ रुपये सहित) और उपकर 10,649 करोड़ रुपये (माल के आयात पर एकत्रित 857 करोड़ रुपये सहित) शामिल है। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है। मंत्रालय ने कहा, "अप्रैल 2022 में सकल जीएसटी संग्रह अब तक का सबसे ज्यादा संग्रह है, जो अभी तक के उच्चतम संग्रह 1,42,095 करोड़ रुपये (मार्च महीने के) से 25,000 करोड़ रुपये अधिक है।"

मंत्रालय ने बताया कि सरकार ने IGST से 33,423 करोड़ रुपये CGST और 26962 करोड़ रुपये SGST का निपटान किया है। नियमित निपटान के बाद अप्रैल 2022 के महीने में केंद्र और राज्यों का कुल राजस्व सीजीएसटी के रूप में 66,582 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के तौर पर 68,755 करोड़ रुपये का है। अप्रैल 2022 के महीने का राजस्व पिछले साल के इसी महीने में जीएसटी राजस्व से 20% अधिक है। महीने के दौरान, माल के आयात से राजस्व 30% अधिक था और घरेलू लेनदेन (सेवाओं के आयात सहित) से राजस्व पिछले वर्ष के इसी महीने के दौरान इन स्रोतों से हुए राजस्व की तुलना में 17% अधिक है।

मंत्रालय ने कहा कि पहली बार सकल जीएसटी संग्रह 1.5 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया है। मार्च 2022 के महीने में कुल 7.7 करोड़ ई-वे बिल सृजित हुए, जो फरवरी 2022 के महीने में उत्पन्न 6.8 करोड़ ई-वे बिल से 13% अधिक है। यह व्यावसायिक गतिविधि में तेज गति को दर्शाता है। इसके साथ ही, मंत्रालय ने बताया कि अप्रैल 2022 के महीने में 20 अप्रैल 2022 को एक दिन में अब तक का सबसे अधिक कर संग्रह आया। इसी दिन, शाम 4 बजे से शाम 5 बजे तक एक घंटे के दौरान उच्चतम संग्रह आया।

मंत्रालय ने जानकारी दी कि 20 अप्रैल 2022 को 9.58 लाख ट्रांजेक्शन के माध्यम से 57,847 करोड़ रुपये का भुगतान आया और 4 से 5 बजे के दौरान 88,000 ट्रांजेक्शन के माध्यम से लगभग 8,000 करोड़ रुपये का भुगतान मिला।