गेहूं के बाद अब चावल कर सकता है परेशान, देखें क्या है कारण

India

After wheat, now rice can bother

नई दिल्ली। उत्तर भारत (North India) में इस बार कम बारिश की वजह से धान की रोपाई में कमी देखी गई है। ऐसे में आशंका है कि चावल का उत्पादन कम हो सकता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है।
 

गेहूं के निर्यात पर भारत सरकार की तरफ से रोक लगाए जाने के बाद दुनिया के बड़े हिस्से में खाद्यान्न का संकट देखने को मिला। अब चावल को लेकर भी दुनिया को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल का निर्यातक है। इस बार बारिश की कमी की वजह से धान की खेती में काफी कमी देखी जा रही है। वहीं कम उत्पादन की भी आशंका है। 
 

बढ़ती महंगाई और खाद्यान्न संकट के बीच धान के उत्पादन में कमी एक बड़ी समस्या बन सकती है। कम बारिश की वजह से इस बार धान की फसल में 13 फीसदी की कमी देखी गई है। देश के कुल उत्पादन का एक चौथाई पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में होता है। इस बार इन प्रदेशों में भी धान की रोपाई कम हुई है।
 

व्यापारियों को इस बात की चिंता 
 

व्यापारियों (merchants) को इस बात की चिंता है कि धान का कम उत्पादन एक तो महंगाई बढ़ा सकता है दूसरा एक्सपोर्ट पर बैन भी लग सकता है। भारत सबसे पहले देश के अंदर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। वहीं भारत दुनियाभर का 40  फीसदी चावल निर्यात करता है। ऐसे में कई ऐसे देशों में खाद्यान्न संकट खड़ा हो सकता है जो भारत पर निर्भर हैं। भारत ने गेहूं और गन्ने के निर्यात पर पहले ही रोक लगा दिया है। 
 

जानकारों के मुताबिक चावल की कुछ प्रजातियों के मूल्य बढ़ चुके हैं। पश्चिम बंगाल, ओडिशा औऱ छत्तीसगढ़ में कम बारिश की वजह से बांग्लादेश से चावल की मांग बढ़ गई है। इसकी निर्यात की कीमत बढक़र बढक़र 400 डॉलर प्रति टन हो गई है जो कि दो महीने पहले 365 डॉलर प्रति टन थी। 
यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनियाभर में गेहूं की कमी हो गई थी।

इसके बाद कई देशों को उम्मीद थी की चावल से यह कमी पूरी की जा सकेगी। लेकिन उन्हें निराशा हासिल हो सकती है। भारत के कई हिस्सों में कमजोर मॉनसून की वजह से धान की फसल में कमी देखी जा रही है। हालांकि अब भी कई विशेषज्ञों को उम्मीद है कि बारिश होती है तो रोपाई भी बढ़ सकती है। भारत दुनिया के 100 देशों को चावल निर्यात करता है। बांग्लादेश, चीन, नेपाल और मध्य एशिया के कुछ देश बड़े ग्राहक हैं।