A women's police station in Haryana: हरियाणा में ऐसा महिला थाना: जहां मुकदमे कम, समझौते हुए ज्यादा, 8 महीने में 797 शिकायतें, सिर्फ 42 केस दर्ज

हरियाणा में ऐसा महिला थाना: जहां मुकदमे कम, समझौते हुए ज्यादा, 8 महीने में 797 शिकायतें, सिर्फ 42 केस दर्ज

 हरियाणा में ऐसा महिला थाना: जहां मुकदमे कम

A women's police station in Haryana:

A women's police station in Haryana: महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए बनाए गए जिले के महिला थाना में पिछले 8 महीनों में मुकदमे कम और समझौते ज्यादा हुए। ऐसा हम नहीं, बल्कि विभाग द्वारा आरटीआई के जवाब में उपलब्ध करवाए गए आंकड़े बता रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी से 31 अगस्त तक कुल 797 महिलाएं अपनी शिकायत लेकर महिला थाना पहुंचीं। अपनी शिकायतों में किसी ने घरेलू हिंसा की बात कही, किसी ने छेड़छाड़ और रेप के आरोप लगाए। किसी ने मायके और ससुराल के झगड़े बताए, तो किसी ने पति-पत्नी के रिश्ते बचाने की गुहार लगाई।

हैरानी की बात यह रही कि पुलिस ने इन 797 शिकायतों में से 755 को आपसी समझौते के आधार पर दफ्तर दाखिल कर दिया। वहीं, तीन एफआईआर में आरोप गलत मिलने पर केस कैंसिल कर दिए गए। सिर्फ 42 मामलों में ही आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। यानी केवल 5 प्रतिशत शिकायतों को ही केस का दर्जा मिला।

आंकड़े साफ बता रहे हैं कि महिलाएं थाने में तो पहुंच रही हैं, मगर इंसाफ तक उनकी डगर अधूरी रही। सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब पुलिस की जांच में एक भी शिकायत झूठी नहीं पाई गई, तो फिर इतनी बड़ी संख्या में शिकायतें ठंडे बस्ते में क्यों डाल दी गईं? दूसरी तरफ, जिन मामलों की जांच में आरोप झूठे साबित हुए, उन महिलाओं के खिलाफ धारा 182 के तहत कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह सवाल महिला थाना की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।

घरेलू हिंसा के मामले सबसे ज्यादा: वीना

वहीं महिला थाना प्रभारी सब इंस्पेक्टर वीना का कहना है कि उनके पास सबसे ज्यादा मामले घरेलू हिंसा के आते हैं। इनमें पति-पत्नी के झगड़ों को लेकर महिलाएं शिकायत दर्ज करवाती हैं। हम शिकायत प्राप्त होने के बाद दोनों पक्षों की तीन बार काउंसलिंग करवाते हैं। यदि बात नहीं बनती तो उन्हें एडीआर सेंटर भेजा जाता है, जहां तीन बार और काउंसलिंग होती है। ज्यादातर मामलों में पति-पत्नी आपस में समझौता कर लेते हैं। इस तरह करीब 85 से 90 फीसदी मामलों में आपसी रजामंदी करवा कर घर टूटने से बचाया जाता है। केवल उन्हीं मामलों में मुकदमा दर्ज किया जाता है, जहां समझौते की गुंजाइश बिल्कुल खत्म हो जाती है। हालांकि, पोक्सो जैसे गंभीर अपराधों में पुलिस तुरंत केस दर्ज करती है और कोई ढील नहीं बरतती। चार चौंकाने वाले मामले: महिला थाना कैथल में आई कई शिकायतें बाद में पुलिस जांच में बेबुनियाद साबित हुईं। जिको कैंसिल व दफ्तर दाखिल किया गया।

पहला मामला:

भैंस के पैसे मांगने पर रेप का केस:

सदर थाने के अंतर्गत आने वाले एक गांव की महिला ने एक व्यक्ति पर रेप का आरोप लगाया। जांच में पता चला कि महिला ने जिस व्यक्ति पर आरोप लगाया, उसने उसे उधार पर भैंस बेची थी और पैसे मांगने गया था। महिला ने पैसे देने से बचने के लिए रेप का केस दर्ज करवा दिया। पुलिस जांच में आरोप झूठा पाया गया और मामला कैंसिल कर दिया गया।

दूसरा मामला:

आधार कार्ड और डेथ सर्टिफिकेट के लिए झूठी शिकायत:

सिविल लाइन थाना क्षेत्र की एक महिला ने अपने जेठ पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया। जांच में पता चला कि महिला को अपनी सास का आधार कार्ड और ससुर का डेथ सर्टिफिकेट चाहिए था ताकि जमीन अपने नाम करवा सके। दस्तावेज़ न मिलने पर उसने झूठी शिकायत दर्ज करवा दी। पुलिस जांच के बाद मामला दफ्तर दाखिल कर दिया गया।

तीसरा मामला:

दुकान तोड़ने के विवाद में छेड़छाड़ का आरोप:

कलायत थाना क्षेत्र की एक महिला ने एक दुकानदार पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया। दरअसल, महिला का भतीजा गाड़ी से दुकानदार की दुकान से टकरा गया और उसकी दुकान का दरवाजा टूट गया। इसी विवाद को दबाने के लिए महिला ने छेड़छाड़ का केस दर्ज करवा दिया। पुलिस जांच में सभी आरोप निराधार पाए गए और शिकायत को बंद कर दिया गया।

चौथा मामला:

युवक की आत्महत्या के बाद दी रेप की शिकायत:

सिविल लाइन क्षेत्र की एक महिला ने पहले एक युवक पर रेप का आरोप लगाया और बाद में शिकायत वापस ले ली। इसके बाद जब युवक ने महिला से तंग आकर जहर खाकर आत्महत्या कर ली तो महिला फिर थाने पहुंच गई और उसके खिलाफ रेप की शिकायत दे दी। युवक की मौत के बाद सामने आए वीडियो में उसने महिला पर प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए थे। पुलिस जांच में यह मामला भी फर्जी साबित हुआ और शिकायत को दफ्तर दाखिल कर दिया गया।

महिला थाना एसएचओ सब इंस्पेक्टर वीना ने बताया कि हमारा मकसद महिलाओं की शिकायत पर तुरंत एफआईआर दर्ज करना नहीं बल्कि पहले काउंसलिंग कराकर घर-परिवार बचाना है। कई बार छोटी-छोटी बातों पर परिवार टूटने की कगार पर पहुंच जाता है। इसलिए हम पहले बातचीत से समाधान करवाते हैं। जहां मामला गंभीर होता है, वहां तुरंत केस दर्ज किया जाता है।