A mess in the Janaushadhi Store! : चंडीगढ़ के सेक्टर 16 स्थित गवर्नमेंट मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में चल रही सरकारी दवाइयों के जन औषधि स्टोर को अचानक ही बंद कर दिया गया। यह तब हुआ जब चंडीगढ़ प्रशासन के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग के निदेशक से आरटीआई के तहत इसके संबंध मेंजानकारी मांगी गई। हैरानी की बात यह है कि इस जनऔषधि स्टोर को निर्धारित कॉन्ट्रैक्ट समय से बहुत पहले ही बंद कर दिया गया, बल्कि नियमों की भी इसमें खुलकर धज्जियां उड़ाई गई।
A mess in the Janaushadhi Store!: चंडीगढ़ के आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. राजेंद्र के सिंगला ने 5 फरवरी को एक आरटीआई आवेदन के माध्यम से निदेशक कार्यालय से इस हॉस्पिटल में चल रहे जन औषधि स्टोर से जुड़े दस्तावेज मांगे थे। मांगी गई जानकारी में शामिल थे, अखबारों और वेबसाइट पर दिया गया विज्ञापन जिसके तहत टेंडर मांगे गए। प्राप्त टेंडरों का तुलनात्मक विवरण, आवंटन केनियम व शर्तें, तथा ब्यूरो ऑफ इंडिया के साथ हुए पत्राचार की प्रतियां भी आरटीआई में मांगी गई।
A mess in the Janaushadhi Store!: जीएमएसएच-16 के इंस्पेक्टर तथा सूचना अधिकारी अलॉटमेंट लैटर तथा नियम व शर्तों के अतिरिक्त, मांगी गई सभी जानकारियां मुहैया करवाने में पूरी तरह विफल रहे। दिलचस्प बात यह सामने आई कि आरटीआई आवेदन के 23 दिनों के भीतर ही जन औषधि स्टोर को बंद कर कर दिया गया तथा खाली दुकान का कबजा 28 फरवरी को इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी की चंडीगढ़ ब्रांच को सौंप दिया गया।
पांच वर्ष के लिए आवंटित हुआ था स्टोर
इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी की चंडीगढ़ शाखा ने 7 अक्टूबर 2019 को इसी हॉस्पिटल की एक फर्म हॉस्पिटल मेडिकल एंड सर्जिकल स्टोर को 5 वर्ष के लिए जन औषधि स्टोर आवंटित किया था, जिसमें पहले 3 वर्ष का कॉन्ट्रैक्ट था। इसे बाद में 2 वर्ष के लिए बढ़ाया जाना था। तदनुसार, तीन व्यक्तियों जिसमें रविन्द्र नाथ, सुमित भट्टी और प्रदीप कुमार को ड्रग कंट्रोलर-कम-लाइसेंसिंग प्राधिकरण द्वारा 5 वर्ष की अवधि के लिए ड्रग्स बेचने के लिए लाइसेंस मिला था। अब न केवल जन औषधि स्टोर को तुरंत बंद कर दिया गया है, बल्कि लाइसेंसी अमृत सिंगला ने ड्रग कंट्रोल ऑफिसर को निवेदन किया है कि इन तीनों का नाम फरवरी अंत से लाइसेंस की लिस्ट से हटा दिया जाए। अचानक हुई इस प्रतिक्रिया से मामले में गड़बड़झाले की बू आ रही है।
प्रधानमंत्री कार्यालय से छानबीन की मांग
प्रधानमंत्री कार्यालय को आज भेजी अपनी शिकायत में सिंगला ने अनुरोध किया गया कि चंडीगढ़ प्रशासन के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग तथा इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी के नियंत्रण और प्रभाव से बाहर वाली किसी जांच एजेंसी द्वारा पूरे मामले की छानबीन करवाई जाए ताकि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके।
शर्तों का उल्लंघन कर किया स्टोर बंद
कॉन्ट्रैक्ट में निर्धारित शर्तों के अनुसार जन औषधि को बंद करने के लिए 30 दिन का लिखित नोटिस अनिवार्य था, लेकिन संदेहास्पद हालातों के चलते जल्दी-जल्दी में मात्र 19 दिन का नोटिस देकर ही जन औषधि को बंद कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि तय शर्तों के मुताबिक रेड क्रॉस सोसाइटी को जन औषधि परिसर के पुन: आवंटन के कारण हुआ नुकसान भी वर्तमान लाइसेंसी ने ही देना है। सिंगला ने खुलासा किया है कि भारत के फार्मा ब्यूरो द्वारा इस योजना के तहत उपलब्ध करवाई जाने वाली अधिकांश दवाएं इस स्टोर पर मिलती ही नहीं थी। आरोप है कि इस दुकान को खोला ही साथ लगती दवाइयों की प्राइवेट दुकान के व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए गया था। पहले सूचना अधिकारी द्वारा जन औषधि के लिए दिए विज्ञापन और मांगे गए टेंडर इत्यादि का उपलब्ध न करवाना, और अब इस दुकान को तुरंत बंद कर देना इस तरफ इशारा करते हैं कि दाल में जरूर कुछ काला है। नागरिकों को भारत सरकार द्वारा प्रदत्त लाभों से वंचित करके कैसे जनता के टैक्सों से वेतन पाने वाले अधिकारी जनता के हितों के खिलाफ कार्य कर रहे हैं, यह मामला इस कड़वे सच का एक प्रत्यक्ष प्रमाण है।