सैयद अली शाह गिलानी के पोते को सरकारी नौकरी से निकाला गया

सैयद अली शाह गिलानी के पोते को सरकारी नौकरी से निकाला गया

सैयद अली शाह गिलानी के पोते को सरकारी नौकरी से निकाला गया

सैयद अली शाह गिलानी के पोते को सरकारी नौकरी से निकाला गया

श्रीनगर।  कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी के नाती अनीस उल इस्लाम और डोडा के एक अध्यापक फारूक अहमद बट को जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शनिवार को सरकारी सेवा से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। दोनों को उनकी अलगाववादी गतिविधियों का हवाला देते हुए राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए खतरा बताते हुए सेवामुक्त किया गया है। बीते छह माह में दो दर्जन सरकारी अधिकारियों व कर्मियों की राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के कारण सेवाएं समाप्त की जा चुकी हैं। इनमें हिजबुल मु़जाहिदीन के सरगना मुहम्मद यूसुफ उर्फ सलाहुदीन के दो बेटे भी शामिल हैं।

अनीस और मुश्ताक अहमद बट को सेवामुक्त करने की दो अधिसूचनाएं देर शाम गए महाप्रशासनिक विभाग जम्मू कश्मीर ने जारी की हैं। उपराज्यपाल संतुष्ट हैं कि अनीस और मुश्ताक के खिलाफ आरोपों की जांच अनिवार्य नहीं है। दोनों को तत्काल प्रभाव से सेवामुक्त करने पर उन्होंने मुहर लगा दी है।

टेरर फंडिंग मामले में  तिहाड़ जेल में हैं पिता 

अनीस कट्टरपंथी दिवंगत नेता सैयद अली शाह गिलानी की सबसे बड़ी बेटी के पुत्र हैं। अनीस के पिता मुहम्मद अल्ताफ शाह उर्फ फंतोश इस समय टेरर फंडिंग के सिलसिले में तिहाड़ जेल में बंद हैं। फंतोश ने कथित तौर पर पीडीपी के नेता वहीद परा से भी तीन करोड़ रुपये 2016 के हिंसक प्रदर्शनों के दौरान प्राप्त किए थे। अनीस को 2016 में जब शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआइसीसी) में बतौर रिसर्च आफिसर नियुक्त किया था तो काफी हंगामा हुआ था। उन्हें पीडीपी-भाजपा की तत्कालीन गठबंधन सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर 12 लाख सालाना के वेतन पर नियुक्त किया था। सूत्रों ने बताया कि रिसर्च आफिसर नियुक्त होने से चंद माह पूर्व अनीस 31 जुलाई, 2016 से सात अगस्त, 2016 तक पाकिस्तान की यात्रा पर था। वहां उसने आइएसआइ के कर्नल यासिर से अपने नाना सैयद अली शाह गिलानी के निर्देशानुसार बैठक की।

2005 में बतौर अध्यापक के तौर पर हुई थी नियुक्ति 

अनीस उल इस्लाम के अलावा जिस फारूक अहमद बट को आज सेवामुक्त किया है, वह जिला डोडा का रहने वाला है। वह 2005 में संविदा के आधार पर स्कूल शिक्षा विभाग में बतौर अध्यापक नियुक्त हुआ था। वर्ष 2010 में उसकी सेवाओं को नियमित कर दिया गया। उसका एक भाई सफदर अली आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में इस समय जेल में है जबकि उसका एक भाई मुहम्मद अमीन बट लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर है। वह गुलाम कश्मीर में बैठकर रामबन-किश्तवाड़ में आतंकी गतिविधियों का संचालन कर रहा है। फारुक अहमद बट भी अपने भाई के निर्देशानुसार आतंकी गतिविधियों के लिए डोडा में नेटवर्क तैयार करने में लिप्त था। वह खुद भी एक बड़े आतंकी हमले को अंजाम देने की साजिश को अमली जामा पहनाने वाला था।