प्रेमानंद महाराज के पास पहुंचे बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री; वृंदावन पहुंच दर्शन किए, जैसे ही कहा- मायाजाल में फंसे थे, मिला ये जवाब

Bageshwar Dham Dhirendra Shastri met Premanand Maharaj in Vrindavan

Dhirendra Shastri Vrindavan: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने पहली बार वृंदावन संत प्रेमानंद जी महाराज से मुलाकात की है। उन्होंने वृंदावन में श्री हित राधा केली कुंज आश्रम पहुंचकर महाराज जी के दर्शन किए और उनके स्वास्थ्य को लेकर उनका कुशलक्षेम जाना। साथ ही इस दौरान धीरेंद्र शास्त्री और प्रेमानंद महाराज के बीच आध्यात्मिक चर्चा भी हुई। प्रेमानंद महाराज ने धीरेंद्र शास्त्री को अहंकार और अभिमान नष्ट कर दैन्य स्वाभाव बनाकर जीवन जीने की सीख दी।  

वहीं प्रेमानंद महाराज ने धीरेंद्र शास्त्री को हदय से आशीर्वाद देते हुए कहा कि आपका स्वस्थ शरीर और स्वस्थ बुद्धि रहे और आप जगत मंगल की कामना के साथ डंके की चोट पर भगवान का गुणगान करते रहें। आपको कोई परास्त नहीं कर सकता। मस्त रहिए। प्रेमानंद महाराज ने धीरेंद्र शास्त्री से कहा कि हमारा आपका संबंध तो भगवान से पहले ही हो चुका है, अब उन और लोगों को भी भगवान से संबंध को लेकर जाग्रत करना है। जो ये संबंध भूले हुए हैं।

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धीरेंद्र शास्त्री ने कहा- मायाजाल में फंसे थे

वहीं जब धीरेन्द्र कृष्ण ने प्रेमानंद महाराज को बताया कि वह मुंबई में थे और मायाजाल में फंसे थे, तब प्रेमानंद महाराज ने कहा कि आप भगवान के पार्षद हैं और पार्षद माया में घुसकर माया से मुक्त करते हैं न कि माया में फँसते हैं। प्रेमानंद महाराज ने कहा कि जहां आप जाएं वहां भगवत नाम का प्रचार प्रसार करें, इससे माया दूर हो जाती है। भगवत नाम में इतना सामर्थ्य है कि सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, ज्ञान-विज्ञान से यह कभी नहीं हो सकता।

Dhirendra Shastri Vrindavan

सनातन पर दिया ज्ञान

धीरेन्द्र कृष्ण ने प्रेमानंद महाराज को दिल्ली से वृंदावन तक निकलने वाली पदयात्रा के विषय में भी बताया और सहयोग मांगा। इसके जवाब में प्रेमानंद महाराज ने कहा कि बताइये हम हदय से क्या सहयोग कर सकते हैं। क्योंकि शरीर तो बीमार है। वहीं प्रेमानंद महाराज ने कहा कि सनातन ब्रहम है, सनातन वायु है, सनातन सूर्य है, सनातन आकाश है और सनातन धरती है। इसके बिना किसी की सत्ता ही नहीं है। यह स्वयंभू है। यह किसी व्यक्ति द्वारा बनाया गया नहीं है। वायु और सूर्य के प्रकाश में जो भी जी रहा है वो सनातन में ही है।

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