परम पूज्य श्रमण अनगाराचार्य श्री 108 विनिश्चयसागर जी गुरूदेव के 25वें दीक्षा दिवस एवं 50वें जन्म दिवस

परम पूज्य श्रमण अनगाराचार्य श्री 108 विनिश्चयसागर जी गुरूदेव के 25वें दीक्षा दिवस एवं 50वें जन्म दिवस

25th Initiation Day

25th Initiation Day

चंडीगढ़। 25th Initiation Day: परम पूज्य गणाचार्य 108श्री विरागसागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती  शिष्य परम पूज्य श्रवण अनगाराचार्य 108श्री विनिश्चयसागर जी महाराज के प्रखर वक्ता जिनवाणी पुत्र परम पूज्य क्षुल्लक श्री105 प्रज्ञांशसागर जी महाराज की पावन सानिध्य में परम पूज्य श्रमण अनगाराचार्य श्री 108 विनिश्चयसागर जी गुरूदेव के 25वें दीक्षा दिवस एवं 50वें जन्म दिवस (स्वर्णिम रजत महोत्सव वर्ष) के उपलक्ष्य में हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में  श्री भक्तामर महामंडल विधान एवं भक्तामर दीपार्चनम् का आयोजन दिनांक 10 /02/2023 को भक्ति भाव पूर्वक संपन्न किया गया जिसका मांगलिक कार्यक्रम में मंगलाष्टक, दिग्बंधन, सकलीकरण, इन्द्र प्रतिष्ठा, मंडप प्रतिष्ठा, कलश स्थापना, अष्ट मंगल द्रव्य स्थापना, अभिषेक, शांतिधारा, नित्य पूजन आदि के पश्चात् भक्तामर महामण्डल विधान भक्तामर दीपार्चन का आराधन किया गया है जिसमें बाल ब्रह्मचारी प्रतिष्ठाचार्य पुष्पेन्द्र भैया जी दिल्ली का निर्देशन रहा।

भक्तामर महामंडल विधान में परम पूज्य क्षुल्लक श्री प्रज्ञांशसागर जी महाराज जी ने कहा जिनेंद्र भगवान की भक्ति मुक्ति की प्रदाता है एवं संकट को हरण करने वाली है व्यक्ति के जीवन में धर्म से बढ़कर कोई चीज नहीं है आचार्य श्री मानतुंग महाराज ने भक्ति की तो 48 ताले टूट गए आचार्य श्री कुमुदचंद्र जी ने कल्याण मंदिर स्तोत्र की भक्ति की तो शिवलिंग से फटकर पारसनाथ भगवान निकल आए  एकीभाव स्तोत्र से जिनेंद्र देव की भक्ति की तो मुनि श्री का शरीर कंचन वर्ण का हो गया जिनेंद्र भगवान की भक्ति ही एक समर्थ है जो दुर्गति से निकालकर की मुक्ति में भेज देती है इसलिए जिनेंद्र भगवान की भक्ति, व्यक्ति को मुक्ति प्रदाता है हम अपने जीवन में जिनेंद्र देव की भक्ति करते रहें वही हमारे जीवन को सार्थक करने वाली है  उस व्यक्ति के जीवन में सुख आए बिना नहीं रह सकता है वर्तमान संसार में कभी सुख होता है कभी दुख होता है कभी  खुशी आती है कभी गम आते हैं सभी के मन में भगवान की करना सीखना  चाहिए जिंदगी में सुख आए तो भी कचोरी की तरफ फूलना नहीं चाहिए और दुख आए तो हाथी सूड़ की तरह सिकुड़ना नहीं चाहिए मगर आदमी बड़ा बेईमान है जीवन में सुख आता है तो गुब्बारे की तरह फूल जाता है और दुख आए तो कांटे की तरह चुपते ही फुटकर रोने लग जाता है जो जिनेंद्र देव की भक्ति नहीं करता है उस व्यक्ति के लिए दु:ख नहीं आता है और जो जिनेंद्र देव की भक्ति करता है उसके जीवन में हमेशा सुख बना रहता है इसलिए हमें अपने जीवन को सार्थक करना है तो भक्तामर दीप अर्चना एवं भक्तामर महामंडल विधान के माध्यम से आदिनाथ की स्तुति करना है आदिनाथ के गुणगान करना है।

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