भारत रत्न संत विनोबा भावे की 127वीं जयंती गांधी स्मारक भवन चंडीगढ़ में बडे़ श्रद्धापूर्वक ढंग से मनाई गई

भारत रत्न संत विनोबा भावे की 127वीं जयंती गांधी स्मारक भवन चंडीगढ़ में बडे़ श्रद्धापूर्वक ढंग से मनाई गई

 भारत रत्न संत विनोबा भावे की 127वीं जयंती गांधी स्मारक भवन चंडीगढ़ में बडे़ श्रद्धापूर्वक ढंग से मनाई गई

भारत रत्न संत विनोबा भावे की 127वीं जयंती गांधी स्मारक भवन चंडीगढ़ में बडे़ श्रद्धापूर्वक ढंग से मना

चंडीगढ़: गांधी स्मारक निधि एवं सांस्कृतिक विभाग चंडीगढ़ की ओर से भारत रत्न संत विनोबा भावे की 127वीं जयंती गांधी स्मारक भवन चंडीगढ़ में बडे़ श्रद्धापूर्वक ढंग से मनाई गई। समारोह में मुख्य अतिथि डाॅ मनीष शर्मा, चेयरपर्सन, गांधी तथा शांति विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय एवं विशिष्ट अतिथि श्रीमती पाॅपी शर्मा, आंचलिक प्रमुख, सेन्ट्रल बैंक आॅफ इंडिया उपस्थित रहे । कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. सरिता मेहता, अध्यक्ष विद्याधाम ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ जिसे सोमेश जी ने प्रस्तुत किया। 
    मुख्य अतिथि डाॅ मनीष शर्मा ने विनोबा जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि बाबा विनोबा ने साढ़े तेरह वर्ष तक पदयात्रा की तथा 36500 मील की दूरी तय की। इस यात्रा में उन्होंने 44 लाख एकड़ जमीन भूदान मंे प्राप्त करके गरीबों में बांट दी। उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि हमारे देश से प्रति वर्ष हजारों नौजवान पश्चिम की ओर पलायन कर रहे हैं जिसे हमें रोकना होगा एवं अपने देश के नौजवानों को हमारी संस्कृति, सभ्यता  एवं महापुरूषों के बारे में बताना होगा। उन्होंने कहा कि आज ही के दिन 11 सितंबर 1906 को गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में प्रथम सत्याग्रह किया था। उन्होंने आगे बताया कि आज ही के दिन स्वामी विवेकानंद जी ने शिकागो में ऐतिहासिक भाषण दिया था। 
 विशिष्ट अतिथि श्रीमती पाॅपी शर्मा ने विनोबा जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मुझे अति प्रसन्नता हुई यह जानकर कि जिन महापुरुषों की जीवनियों को हमने अपने पाठ्यक्रम से लगभग हटा दिया है, उनके दिवस को गांधी स्मारक भवन बहुत ही श्रद्धा के साथ मना रहा है।
डाॅ. एम.पी डोगरा ने कहा कि हमें अपनी भावी पीड़ी को अपनी संस्कृति एवं सभ्यता के बारे में अवश्य अवगत कराना चाहिए। 
डाॅ. सरिता मेहता ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि विनोबा जी कहते थे कि अगर विज्ञान और आत्मज्ञान का जोड़ मिल जाए तो यह दोनों मिलकर इस पृथ्वी पर स्वर्ग का निर्माण कर सकते हैं।
देवराज त्यागी ने विनोबा जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि विनोबा जी ने अपने जीवन में छह आश्रमों का निर्माण भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में किया। विनोबा जी कहते थे कि मेरे जीवन के सभी कार्य दिलों को जोेड़ने वाले हैं।
श्रीमती सपना सोवत एवं प्रतिभागियों ने देशभक्ति से ओतप्रोत बहुत ही सुंदर कार्यक्रम प्रस्तुत किया। अनीश गर्ग ,राशि श्रीवास्तव, संगीता शर्मा कुंद्रा एवं डेजी बेदी ने कविताओं के माध्यम से विनोबा जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। 
इस समारोह में दिवित त्यागी, सतनाम सिंह रंधावा, संजय शर्मा, बलदेव राज खुराना, कंचन त्यागी, अक्षा त्यागी, आर.के चन्ना, मुकेश अग्रवाल, योगेश बहल, रूपचंद चावला, मनोरमा श्रीवास्तव, रमा देवी, नीरजा राव, आनंद राव, गुरप्रीत,  अमित कुमार, महेन्द्र सिंह, विक्की , ईश्वर अग्रवाल आदि ने भाग लिया। 
सुश्री पापिया चक्रवर्ती ने मंच का संचालन किया।