A major scam in the purchase of paddy in Karnal, a loss of Rs 39.24 crore due to करनाल में धान खरीद में बड़ा घोटाला, कागजों में ढुलाई दिखाकर 39.24 करोड़ का नुकस

करनाल में धान खरीद में बड़ा घोटाला, कागजों में ढुलाई दिखाकर 39.24 करोड़ का नुकसान

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A major scam in the purchase of paddy in Karnal, a loss of Rs 39.24 crore due to

करनाल जिले में धान खरीद और ढुलाई को लेकर बड़े स्तर पर गड़बड़ी और घोटाले के संकेत मिले हैं। अब तक सामने आई जांच रिपोर्ट के अनुसार, 112 वाहनों के जरिए 570 फेरों में 1.65 लाख क्विंटल धान की ढुलाई केवल कागजों में दिखाई गई, जबकि जमीनी स्तर पर धान की वास्तविक ढुलाई हुई ही नहीं। इस फर्जीवाड़े से सरकारी खजाने को करीब 39.24 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है।

डीसी–एसपी की संयुक्त जांच में हुआ खुलासा

72 पन्नों की विस्तृत शिकायत के आधार पर जिला प्रशासन ने गंभीरता दिखाते हुए डीसी और एसपी स्तर की संयुक्त जांच करवाई। जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। रिकॉर्ड के मुताबिक संबंधित वाहनों ने कुल 4,41,781 किलोमीटर का सफर तय किया, लेकिन वास्तविकता में धान की ढुलाई नहीं हुई।

जांच में यह भी सामने आया कि कुछ मामलों में एक ही वाहन को एक दिन में 800 से 1000 किलोमीटर तक चलते हुए दिखा दिया गया, जो पूरी तरह अव्यावहारिक है और रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की ओर साफ इशारा करता है।

फर्जी वाहन नंबर भी पाए गए

जांच में कई वाहन नंबर पूरी तरह फर्जी पाए गए। कुछ नंबर ऐसे वाहनों के निकले जो ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल या अन्य श्रेणियों से संबंधित थे और जिनका धान ढुलाई से कोई संबंध नहीं था।

उदाहरण के तौर पर—

  • HR-69H-8447 को एक दिन में 871 किमी

  • HR-45M-7435 को 870 किमी

  • HR-64C-3276 को 1033 किमी

  • HR-45G-4957 को 888 किमी

  • HR-56A-1992 को 905 किमी

चलता हुआ दिखाया गया, जो साफ तौर पर रिकॉर्ड में हेरफेर को दर्शाता है।

पहले भी सामने आ चुका है धान घोटाला

यह पहला मामला नहीं है। वर्ष 2022 में भी करनाल में 2 करोड़ 56 लाख 98 हजार 708 रुपये के धान घोटाले के मामले में तत्कालीन मार्केट कमेटी सचिव सहित 7 लोगों पर केस दर्ज किया गया था। उस मामले की जांच अभी भी जारी है।

निगरानी व्यवस्था पर उठे सवाल

ताजा खुलासे ने धान खरीद और ढुलाई प्रणाली की निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला केवल वित्तीय नुकसान तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें प्रशासनिक लापरवाही और संभावित मिलीभगत की आशंका भी जताई जा रही है।

अब सभी की निगाहें प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं कि इस बार दोषियों के खिलाफ कितनी सख्त और पारदर्शी कार्रवाई की जाती है।