Strong Earthquake in Afghanistan| अफगानिस्तान में भूकंप से भारी तबाही, 2000 लोगों की मौत; हजारों लोग घायल

अफगानिस्तान में भूकंप से तबाही, 2000 लोगों की मौत; मलबे में तब्दील हुए गांव के गांव, ढह गईं इमारतें

Very Strong Earthquake in Afghanistan Thousands Deaths

Very Strong Earthquake in Afghanistan Thousands Deaths

Strong Earthquake in Afghanistan: तालिबान शासित अफगानिस्तान भूकंप की तबाही बार-बार झेल रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक बार फिर अफगानिस्तान में बहुत भीषण भूकंप आया है. जिसके चलते भारी तबाही हुई है। भूकंप में लगभग 2000 लोगों की मौत हो गई है। जबकि हजारों लोग घायल बताए जा रहे हैं। भूकंप की चपेट में आए लोगों को अभी भी रेसक्यू किया जा रहा है। आगे मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है। जिंदा बचे लोग बेहद दहशत में हैं। उनका कहना है अचानक इमारतें पहले हिलीं और फिर उनके चारों ओर ढह गईं।

गांव के गांव तबाह, घर ढह गए

बताया जा रहा है कि, भूकंप ने पश्चिमी अफगानिस्तान के कई गांवों को बुरी तरह से तबाह कर दिया है। घर के घर ढह गए हैं और मलबे तले लोग दब गए। जिसके चलते ज्यादा जनहानि हुई। गांवों के अलावा कुछ शहरों में इमारतें भी गिरी हैं। इमारतों के मलबे में भी लोग दबे हैं। वहीं रिक्टर स्केल पर भूकंप की अधिकतम तीव्रता 6.3 मापी गई है। बताया जा रहा है कि, भूकंप के झटके एक बार नहीं लगे। थोड़ी-थोड़ी देर में अलग-अलग तीव्रता के तीन से चार बार भूकंप के झटके आए।

Strong Earthquake in Afghanistan
Strong Earthquake in Afghanistan

 

भूकंप का केंद्र रहा हेरात

भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के हेरात में रहा है। यह हेरात शहर से लगभग 40 किलोमीटर उत्तर पश्चिम अफगानिस्तान और ईरानी सीमा के पास था। यही वजह रही कि भूकंप ने हेरात से लगभग 40 किमी (25 मील) दूर कई गांवों को तबाह कर दिया।

अफगानिस्तान में भूकंप से मारे जा चुके कई लोग

बता दें कि, इससे पहले भी अफगानिस्तान में भूकंप से कई लोग मारे जा चुके हैं। यहां अधिकतर भूकंप आता है और लोगों को मौत के घाट उतार देता है। पिछले कुछ सालों में अफगानिस्तान में भूकंप/प्राकृतिक आपदा का प्रकोप बहुत तेज़ी से बढ़ा है।

तुर्की-सीरिया का विनाशकारी भूकंप याद है

इसी साल फरवरी में तुर्की-सीरिया में लगभग 7.6 तीव्रता का भूकंप आया था। इस विनाशकारी भूकंप में 25000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। जबकि हजारों लोग घायल हुए थे। इस विनाशकारी भूकंप के चलते दोनों ही देशों में बड़ी तादाद में इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गईं थीं। जहां इमारतें गिरने के साथ बड़ी संख्‍या में लोग भारी मलबे के नीचे दब गए। यही वजह रही कि, मरने वालों का आंकड़ा इतना ज्यादा बढ़ गया। गाड़ियों में मौजूद लोग भी मारे गए। तुर्की और सीरिया की स्थिति देख कई देशों ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया था। भारत भी मदद के लिए पहुंचा हुआ था। भारत से रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए NDRF की टीमों के साथ अन्य टीमें भेजी गईं थीं। इसके अलावा दवाइयों सहित अन्य राहत सामग्री भी भारत से भिजवाई जा रही थी।