मिलिए उत्तराखंड की कविता से, अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी पर फहराया तिरंगा; पहले भी कई कीर्तिमान

Kavita Chand Endurance Athlete

Kavita Chand Endurance Athlete

देहरादून: Kavita Chand Endurance Athlete: उत्तराखंड की एक और बेटी ने इतिहास रच दिया है. अल्मोड़ा जिले की रहने वाली 40 साल की कविता चंद ने न सिर्फ देवभूमि का नाम ऊंचा लिया, बल्कि उन्होंने भारत का नाम भी रोशन किया है. 40 साल की कविता चंद ने अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट विंसन पर भारत का तिरंगा फहराया है. माउंट विंसन की समुद्र तल से ऊंचाई 4,892 मीटर है.

कविता चंद मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के धारा नौला की रहने वाली हैं. वर्तमान में वो मुंबई में रह रही हैं. कविता चंद एंड्योरेंस एथलीट हैं. कविता चंद 12 दिसंबर 2025 को माउंट विंसन के शिखर पर पहुंच गई थीं. उत्तराखंड के सुदूर दुर्गम गांव से निकलकर दुनिया की सबसे दुर्गम चोटियों तक पहुंचने के उनके इस सफर को गर्व के साथ सराहा जा रहा है.

कविता का लक्ष्य सेवन समिट्स: अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट विंसन पर फतह करना कविता के 'सेवन समिट्स' लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इस समिट के तहत दुनिया के सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों को फतह किया जाता है. इससे पहले उन्होंने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रस को भी फतह किया था.

दुनिया की सबसे मुश्किल चोटियों में एक: माउंट विंसन (Mount Vinson) अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी है, जिसकी ऊंचाई करीब 4892 मीटर (16,050 फीट) है. "सेवन समिट्स" (सभी सात महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियां) में से एक है, जो अत्यधिक ठंड, एकांत और बर्फीले परिदृश्य के लिए जाना जाती है. यहां पर तापमान करीब माइनस -50 डिग्री तक चला जाता है.

तीन दिसंबर को शुरू हुआ था सफर: कविता का माउंट विंसन का सफर तीन दिसंबर को शुरू हुआ था. तीन दिसंबर को कविता भारत से रवाना हुई थीं और चार दिसंबर को चिली के पुंटा एरेनास पहुंचीं. इसके बाद कविता ने सात दिसंबर दोपहर को यूनियन ग्लेशियर से आगे के लिए उड़ान भरी. सात दिसंबर को ही कविता लगभग 2,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित विंसन बेस कैंप पहुंचीं.

अनुभवी पर्वतारोही भरत थम्मिनेनी का मिला सहयोग: कविता ने यूनियन ग्लेशियर से बेस कैंप तक का अंतिम सफर स्की-डिजाइन छोटे विमान से लगभग 40 मिनट में पूरा किया गया, जो अंटार्कटिका अभियानों से जुड़ी जटिल लॉजिस्टिक्स को दिखाता है. इस अभियान का नेतृत्व प्रसिद्ध हाई-एल्टीट्यूड गाइड मिंग्मा डेविड शेरपा ने किया. भारतीय दल को अनुभवी पर्वतारोही भरत थम्मिनेनी और उनकी एक्सपेडिशन कंपनी ''बूट्स एंड क्रैम्पनट'' सहयोग रहा.

इन्हीं के मार्ग दर्शन में नौ सदस्यीय भारतीय टीम ने शिखर तक सफलतापूर्वक पहुंच बनाई, जहां सावधानीपूर्वक प्लानिंग, उचित एक्लिमेटाइजेशन और मौके पर मजबूत कॉर्डिनेशन ने अति-प्रतिकूल अंटार्कटिक परिस्थितियों से निपटने में निर्णायक भूमिका निभाई.

माउंट विंसन के शिखर पर भारतीय तिरंगा लहराना शब्दों से परे एक अहसास है. मैं उम्मीद करती हूं कि यह उपलब्धि पेशेवरों को यह विश्वास दिलाएगी कि फिटनेस, महत्वाकांक्षा और करियर की सफलता एक साथ आगे बढ़ सकती हैं.
-कविता चंद, एंड्योरेंस एथलीट

एंड्योरेंस रनिंग के क्षेत्र में भी अपनी अलग पहचान बनाई: पर्वतारोहण के अलावा कविता ने एंड्योरेंस रनिंग के क्षेत्र में भी अपनी अलग पहचान बनाई है. वह एक समर्पित मैराथन धावक हैं और अपनी आयु वर्ग में दिल्ली और मुंबई हाइरॉक्स 2025 प्रतियोगिताओं की विजेता रह चुकी हैं. इसके साथ ही वह प्रतिष्ठित एबॉट वर्ल्ड मैराथन मेजर्स सिक्स स्टार चैलेंज की छह में से तीन मैराथन पूरी कर चुकी हैं.

कॉरपोरेट करियर छोड़ पर्वतारोहण अपनाया: पूर्व में मीडिया क्षेत्र से जुड़ी रहीं कविता ने 2024 में अपने कॉरपोरेट करियर से हटकर पूरी तरह फिटनेस को समर्पित होने का निर्णायक कदम उठाया, जिसे वह अपने जीवन का टर्निंग पॉइंट मानती हैं. उन्होंने 2017 में दौड़ना शुरू किया और 2024 में पर्वतारोहण अपनाया, जो उनके अपेक्षाकृत हालिया लेकिन तेजी से विकसित होते एथलेटिक सफर को दर्शाता है.

मां बनने के बाद भी नहीं रुका सफर: मां बनने के बाद गंभीर फिटनेस को अपनाने वाली कविता आज उन पेशेवरों के लिए एक प्रेरणास्रोत बनकर उभरी हैं, जो संतुलन, मानसिक दृढ़ता और दीर्घकालिक स्वास्थ्य की तलाश में हैं. कविता के पति दीपक चंद ठाकुर जो एनपीएसटी (NPST) के सीईओ और सह-संस्थापक हैं, उनके पूरे सफर में निरंतर सहयोग और समर्थन का मजबूत स्तंभ रहे हैं.