जीएमएसएसएसएस-35डी चंडीगढ़ के स्पोर्ट्स टीचर कुलदीप को "डॉक्टर ऑफ फिलोसॉफी" की उपाधि से सम्मानित किया गया

जीएमएसएसएसएस-35डी चंडीगढ़ के स्पोर्ट्स टीचर कुलदीप को "डॉक्टर ऑफ फिलोसॉफी" की उपाधि से सम्मानित किया गया

Doctor of Philosophy

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पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के 73वें दीक्षांत समारोह में कुलपति ने कुलदीप को पीएचडी डिग्री देकर सम्मानित किया

चंडीगढ़: Doctor of Philosophy: पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ द्वारा 73वें दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। इस दीक्षांत समारोह में पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाबचंद कटारिया मुख्यातिथि के तौर पर उपस्थित रहे। उन्होंने वहां उपस्थित सभी शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों को उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी। इस दीक्षांत समारोह में गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सैकंडरी स्कूल सेक्टर-35/डी चंडीगढ़ के डीपीई (स्पोर्ट्स टीचर) कुलदीप को पंजाब विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर रेणु विग एवं डीन एजुकेशन प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने "डॉक्टर ऑफ फिलोसॉफी" की उपाधि देकर सम्मानित किया। कुलदीप ने डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल एजुकेशन, पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से देव समाज कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर नीरू मलिक के मार्गदर्शन में चंडीगढ़ के द्रोणाचार्य अवार्डी श्री शिव सिंह के जीवन पर रिसर्च कर पीएचडी डिग्री हासिल की।

श्री शिव सिंह चंडीगढ़ में जन्मे पहले द्रोणाचार्य अवार्डी हैं, जिन्होंने देश के लिए ओलंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप, कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स, एशियन चैंपियनशिप जैसे कईं ओर अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के खेलों के लिए प्रशिक्षण केंद्रों एवं कैम्पों के माध्यम से देश को विभिन्न मैडलिस्ट एवं महान बॉक्सर तैयार किये। ऐसे सभी खिलाड़ियों ने देश-विदेशों में भारत का नाम रौशन किया।

कुलदीप की यह केस स्टडी द्रोणाचार्य अवार्डी श्री शिव सिंह के जीवन, करियर और उनके योगदान का विश्लेषण करती है, जिनकी अथक लगन ने कई दशकों तक भारतीय बॉक्सिंग को आकार दिया। दस्तावेजी विश्लेषण और व्यक्तिगत वृत्तांतों पर आधारित यह अध्ययन खेल जगत में एक कोच, मार्गदर्शक और राष्ट्र निर्माता के रूप में उनकी यात्रा को उजागर करता है। साहित्य का सारांश मुक्केबाजी कोचों के सीमित अकादमिक अध्ययन को रेखांकित करता है, जिससे इस शोध की आवश्यकता सिद्ध होती है। प्रमुख निष्कर्षों से पता चलता है कि द्रोणाचार्य अवार्डी श्री शिव सिंह का कोचिंग दर्शन, अनुशासन, तकनीकी उत्कृष्टता और खिलाड़ी-केंद्रित प्रशिक्षण पर आधारित था। वैज्ञानिक विधियों, मानसिक तैयारी और नैतिक मूल्यों के उनके अनूठे मिश्रण ने कई मुक्केबाजों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त करने के योग्य बनाया। यह अध्ययन आगे उनके बलिदानों को भी उजागर करता है, जैसे कि आकर्षक विदेशी प्रस्तावों के बजाय राष्ट्रीय सेवा को प्राथमिकता देना और जमीनी स्तर से लेकर उच्च स्तर तक प्रतिभाओं को निखारने की उनकी क्षमता, जो उनकी विरासत की पहचान हैं। रिसर्च के निष्कर्ष इस बात पर बल देते हैं कि द्रोणाचार्य अवार्डी श्री शिव सिंह निस्वार्थ सेवा, पेशेवर ईमानदारी और खेल कोचिंग में उत्कृष्टता के आदर्श हैं। उन्होंने पदक विजेता तैयार करने तक ही सीमित न रहकर, भारत में मुक्केबाजी की संस्कृति पर अपना अमिट प्रभाव छोड़ा है। शोध से पता चलता है कि दूरदर्शी कोचिंग न केवल खिलाड़ियों को बल्कि व्यापक खेल परिवेश को भी किस प्रकार बदल सकती है।

पंजाब विश्वविद्यालय के इस दीक्षांत समारोह में पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाबचंद कटारिया, कुलपति प्रोफेसर रेणु विग, डीयूआई प्रोफेसर योजना रावत, रजिस्ट्रार प्रोफेसर वाईपी वर्मा, डीन एजुकेशन प्रोफेसर गुरमीत सिंह, प्रोफेसर दलविंदर सिंह, डिपार्टमेंट ऑफ़ फिजिकल एजुकेशन के चेयरमैन प्रोफेसर नंदलाल सिंह सहित कुलदीप के परिवारिक सदस्य भी उपस्थित रहे।