IAS अभिषेक को थमाई चार्जशीट, शासन ने जमीन अधिग्रहण में लापरवाही व घूसखोरी पर पूछे सवाल
Charge Sheet handed over to IAS Abhishek
Charge Sheet handed over to IAS Abhishek: सस्पेंड आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. सोलर कंपनी से सब्सिडी के एवज में रिश्वत मांगने और भटगांव जमीन अधिग्रहण घोटाले के मामले में उनके खिलाफ नियुक्ति विभाग ने आरोपपत्र दाखिल किया है. अभिषेक प्रकाश ने दोनों आरोपपत्र प्राप्त कर लिए हैं और उन्हें एक माह के भीतर इनका जवाब देना होगा.
इन्वेस्ट यूपी के तत्कालीन सीईओ अभिषेक प्रकाश को 20 मार्च 2025 को सोलर कंपनी से रिश्वत मांगने के आरोप में सस्पेंड किया गया था. उन पर एसएईएल सोलर पॉवर कंपनी के प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के बदले रिश्वत मांगने का आरोप है. इस मामले में गोमतीनगर थाने में कंपनी की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया गया था. पुलिस ने बिचौलिए निकांत जैन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.
भटगांव जमीन अधिग्रहण घोटाला
सूत्रों के अनुसार अभिषेक प्रकाश ने कंपनी संचालकों को निकांत जैन से संपर्क करने को कहा था. मेरठ के शांतिनगर निवासी निकांत जैन ने प्रोजेक्ट की कुल लागत का 5 प्रतिशत हिस्सा रिश्वत के रूप में मांगा था. इस मामले ने प्रदेश में खासी सुर्खियां बटोरीं, जिसके बाद अभिषेक प्रकाश को तत्काल सस्पेंड कर दिया गया. दूसरा मामला 2021 का है, जब लखनऊ के भटगांव में डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का खुलासा हुआ.
नियमों की अनदेखी का आरोप
आरोपपत्र के अनुसार, अभिषेक प्रकाश ने नियम-कायदों को ताक पर रखकर फर्जीवाड़े को अंजाम दिया. जिन लोगों के पास जमीन नहीं थी, उन्हें फर्जी पट्टों के आधार पर मालिकाना हक दिया गया. इसके बाद यह जमीन नौकरशाहों और राजनेताओं के नजदीकियों के नाम हस्तांतरित की गई. इन नजदीकियों ने यूपी स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) के साथ जमीन की बिक्री का अनुबंध कर मुआवजे के रूप में मोटी रकम हड़पी.
आरोपपत्र में अभिषेक प्रकाश पर फर्जी पट्टों के आधार पर संक्रमणीय भूमिधर अधिकार देने और शासकीय धन को नुकसान पहुंचाने जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं. नियुक्ति विभाग ने अभिषेक प्रकाश को दोनों मामलों में दायर आरोपपत्रों का जवाब देने के लिए एक माह का समय दिया है. इन मामलों ने न केवल नौकरशाही में हड़कंप मचा दिया है, बल्कि प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को भी कठघरे में ला खड़ा किया है.