पाकिस्तान समर्थित TRF को अमेरिका ने घोषित किया आतंकवादी संगठन, पहलगाम हमले के लिए माना जिम्मेदार

पाकिस्तान समर्थित TRF को अमेरिका ने घोषित किया आतंकवादी संगठन, पहलगाम हमले के लिए माना जिम्मेदार

What is TRF?

What is TRF?

हैदराबाद: What is TRF?: अमेरिकी विदेश विभाग ने गुरुवार को द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की ओर से जारी एक बयान में इस तथ्य को स्वीकार किया गया कि संगठन ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ली थी. बता दें कि इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी.

टीआरएफ को आतंकवादी संगठन घोषित किए फैसले का स्वागत करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "भारत-अमेरिका काउंटर टेररिज्म कोओपरेशन की मजबूत पुष्टि. मार्को रुबियों और अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट का आभार, जिन्होंने लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के एक प्रॉक्सी TRF को एक विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) और स्पेशियली डेजिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट (SDGT) घोषित किया. इसने 22 अप्रैल के पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी. आतंकवाद को लेकर जीरो टोलरेंस."

कब हुआ था द रेजिस्टेंस फ्रंट का गठना?

द रेजिस्टेंस फ्रंट का गठन जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के निरस्त किए जाने के बाद हुआ था. शुरुआत में यह एक ऑनलाइन यूनिट के रूप में काम करता था. हालांकि, छह महीने के भीतर ही यह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) समेट विभिन्न गुटों के आतंकवादियों को इंटिग्रेट करके एक फिजिकल ग्रुप में डेवलप हो गया.

TRF के गठन के पीछे ISI

ऐसा माना जाता है कि टीआरएफ का गठन पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी ISI ने किया गया था. इसका उद्देश्य 2018 में पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में शामिल किए जाने के बाद लश्कर-ए-तैयबा से अंतरराष्ट्रीय ध्यान हटाना था.

भारत ने घोषित किया आतंकी संगठन

भारत ने 2023 में टीआरएफ को आधिकारिक तौर पर आतंकवादी संगठन घोषित किया था. 2019 में अपनी स्थापना के बाद से समूह ने भारत में कई हमलों को अंजाम दिया और यह क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खतरे के रूप में उभरा.

TRF के संस्थापक का नाम

कश्मीरी आतंकवादी और प्रतिरोध मोर्चे TRF का संस्थापक शेख सज्जाद गुल है. सज्जाद 14 जून 2018 को श्रीनगर में प्रमुख पत्रकार शुजात बुखारी और उनके दो निजी सुरक्षा अधिकारियों की हत्या में शामिल था. आतंकवाद में उसकी संलिप्तता की वजह से गृह मंत्रालय ने 2022 में उसे गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवादी घोषित किया था.

कैसे काम करता है आतंकी संगठन?

टीआरएफ में कोई फिदायीन हमलावर नहीं होता. इसके कैडरों की बहुत कम तस्वीरें उपलब्ध हैं. संगठन जमीनी कार्यकर्ताओं के आधार बनाए गए नेटवर्क की मदद से टारगेट चुनते हैं. संगठन में कार्यकर्ताओं की एक ऐसे नस्ल तैयार की गई है जो सुरक्षा बलों के रडार पर नहीं हैं. इसके चलते सुरक्ष बलों के लिए संगठन के वर्कर्स का पता लगाना मुश्किल हो जाता है.

टेक्नोलॉजी का सहारा लेते हैं आतंकवादी

TRF जम्मू-कश्मीर के लोगों को सरकार के खिलाफ आतंकवादी संगठनों में शामिल करने और उकसाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सहारा लेता है.समूह लोगों को बरगलाने के लिए मनोवैज्ञानिक ऑपरेशन चलाता और अपने मैसेज को सोशल मीडिया प्रचारित करता है. अधिकारियों का कहना है कि टीआरएफ ने कश्मीर में सीआरपीएफ और सेना पर हमलों को शूट करने के लिए गोप्रो जैसे बॉडी कैमरों का इस्तेमाल किया.

TRF के प्रमुख हमले

अप्रैल 2020 में कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में लाइन ऑफ कंट्रोल के पास एक चार दिवसीय गोलीबारी की सूचना मिलने के बाद टीआरएफ का नाम पहली बार सामने आया. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से पांच घुसपैठियों ने केरन के दुर्गम इलाके में जमी बर्फ में पांच दिनों से ज्यादा समय तक कब्जा करके सुरक्षाकर्मियों को चौंका दिया.

इस दौरान सेना की ओर से कई दिनों तक चली गोलीबारी के बाद अच्छी तरह प्रशिक्षित और प्रेरित आतंकवादी मारे गए.वहीं, मुठभेड़ में एक जूनियर कमीशंड अधिकारी सहित पांच सैनिकों ने अपनी जान गंवाई.

30 अक्टूबर 2020 को दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में टीआरएफ के आतंकवादियों ने बीजेपी के तीन कार्यकर्ताओं की गोली मारकर हत्या कर दी. घटना के कुछ ही मिनटों बाद द रेजिस्टेंस फ्रंट ने हमले की जिम्मेदारी ली.

26 नंवबर 2020 को TRF के आतंकवादियों ने श्रीनगर के लवेपोरा इलाके के पास सेना की 2 राष्ट्रीय राइफल्स पर हमला किया. इस दौरान संगठन फायरिंग को शूट भी किया. इसमें श्रीनगर-बारामुल्ला राजमार्ग पर दो सैनिकों को नजदीक से गोली मारते और हथियार छीनते हुए दिखाया गया.

20 अक्टूब 2024 को जम्मू-कश्मीर के गंदेरबल जिले के सोनमर्ग इलाके में एक निर्माण स्थल पर आतंकवादियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें एक डॉक्टर और छह प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई.

26 फरवरी 2023 को कश्मीरी पंडित संजय शर्मा पर आतंकवादियों ने उन पर गोली चला दी. शर्मा को अस्पताल ले जाया गया लेकिन गोली लगने के कारण उनकी मौत हो गई. शर्मा की हत्या के पीछे आतंकवादी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) थी.

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने वहां घूमने आए पर्यटकों पर हमला कर दिया. इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी. टीआरएफ ने इस हमले की जिम्मेदारी ली.