रामपुर तिराहा कांड: रेप केस में PAC के दो जवान 30 साल बाद दोषी करार, सजा 18 मार्च को

रामपुर तिराहा कांड: रेप केस में PAC के दो जवान 30 साल बाद दोषी करार, सजा 18 मार्च को

Rampur Tiraha incident

Rampur Tiraha incident

मुजफ्फरनगर। Rampur Tiraha incident: उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर आंदोलन करने वाली एक महिला से सामूहिक दुष्कर्म के 29 वर्ष बाद मुजफ्फरनगर के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह ने दो आरोपितों को दोषी करार दिया है। दोनों पीएसी में सिपाही पद से सेवानिवृत्त हैं। 18 मार्च को सजा सुनाई जाएगी।

पृथक उत्तराखंड राज्य के गठन की मांग को लेकर 30 वर्ष पूर्व आंदोलन हुआ था। एक अक्टूबर, 1994 को बड़ी संख्या में आंदोलनकारी बसों में सवार होकर उत्तराखंड से दिल्ली के लिए रवाना हुए थे। रामपुर तिराहा पर पुलिस ने बैरिकेडिंग कर आंदोलनकारियों के वाहनों को रोक लिया था। टकराव होने पर पुलिस की फायरिंग में सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी, जबकि कई महिलाओं के साथ दुष्कर्म के आरोप लगे थे।

हाई कोर्ट में मिसलेनियस रिट पिटीशन फाइल की थी

जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव शर्मा और सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता परविंदर सिंह ने बताया कि उत्तराखंड संघर्ष समिति ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में मिसलेनियस रिट पिटीशन फाइल की थी। इसके बाद लखनऊ सीबीआई, एसआईटी के एसपी एसआर अग्रवाल ने 25 जनवरी 1995 में एफआईआर कराई थी।

रामपुर तिराहा पर रात एक बजे बस रोकी

सामूहिक दुष्कर्म के एक मामले की विवेचना सीबीआई देहरादून ने की थी। इसमें सामने आया कि उत्तराखंड संघर्ष समिति के आह्वान पर रैली में भाग लेने के लिए एक महिला उत्तराखंड के श्रीनगर से दिल्ली के लिए बस संख्या यूपी-411 में सवार हुई थी। रामपुर तिराहा पर दो अक्टूबर, 1994 की रात एक बजे बस को रोक लिया गया था। महिला का आरोप था कि कुछ पुलिसकर्मियों ने बस की हेडलाइट व शीशे तोड़ दिए थे।

दो सिपाहियों ने बस में चढ़कर सामूहिक दुष्कर्म किया

इसके बाद दो सिपाहियों ने बस में चढ़कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और एक हजार रुपये लूट लिए। सीबीआइ ने इस मामले में पीएसी के सिपाही मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप को आरोपित बनाते हुए एफआइआर दर्ज कराई थी। दोनों उत्तर प्रदेश के एटा जिले के रहने वाले हैं। सीबीआई ने चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी।

मामले में 15 गवाह पेश किए

अप्रैल, 2023 में हाई कोर्ट ने इस मुकदमे की सुनवाई के लिए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह को अधिकृत किया था। सीबीआई के लोक अभियोजक धारा सिंह मीणा ने इस मामले में 15 गवाह पेश किए। प्रदेश के तत्कालीन डीजीपी प्रदीप कुमार और गृह सचिव डा. दीप्ति विलास की भी गवाही कराई गई। कोर्ट ने शुक्रवार को सामूहिक दुष्कर्म, छेड़छाड़, लूट और शील भंग करने के आरोप में दोनों आरोपितों पर दोष सिद्ध कर दिया।

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