Kalashtami 16 December

Kalashtami 16 December: भगवान काल भैरव के क्रोध से बचने के लिए कालाष्टमी पर न करें यह काम

Kalashtami

Kalashtami 16 December

Kalashtami 16 December पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भगवान काल भैरव Lord Kal Bhairav को समर्पित कालाष्टमी Kalashtami पर्व मनाया जाएगा। कई जगहों पर इस दिन काल भैरव जयंती भी मनाई जाती है। मान्यता है कि कालाष्टमी Kalashtami के दिन भैरव देव की विधिवत पूजा करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है और उन्हें संकटों से मुक्ति मिलती है।

इस वर्ष कालाष्टमी Kalashtami पर्व 16 दिसंबर 16 December को मनाया जाएगा। मान्यता है कि भगवान शिव के रौद्र रूप की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है और अज्ञात भय का नाश हो जाता है। साथ ही भैरव देव की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। लेकिन भक्तों को इस दिन कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए और कुछ नियमों का पालन करना चाहिए।

कालाष्टमी पर न करें यह काम Do not do this work on Kalashtami

शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान काल भैरव Lord Kal Bhairav जिस भक्त से प्रसन्न हो जाते हैं, उसके जीवन खुशियों का अम्बार लग जाता है। लेकिन जो उन्हें क्रोधित करता है, उसे जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कालाष्टमी Kalashtami  के दिन तामसिक पूजा करने से बचें। ऐसा इसलिए क्योंकि इसका दुष्प्रभाव आपको परेशान कर सकता है। साथ ही इस दिन किसी की बुराई करने से बचना चाहिए। कालाष्टमी Kalashtami  के दिन अन्न का अपमान करना पाप के समान होता है। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि इस दिन रसोई घर में झाड़ू का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए।

कालाष्टमी पर करें यह काम Do this work on Kalashtami

Lord Kal Bhairav भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए कालाष्टमी Kalashtami  के दिन 'ऊँ कालभैरवाय नम:' का 108 बार जाप करें। साथ ही इस दिन विधिवत भगवान काल भैरव Lord Kal Bhairav की पूजा करें। मान्यता है कि बेलपत्र पर चंदन और कुमकुम से 'ऊँ नम: शिवाय' लिखने से और फिर इस पत्र को भगवान काल भैरव Lord Kal Bhairav को अर्पित करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके साथ जीवन में धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

काल भैरव देवता के मंत्र Mantr of Lord Kal Bhairav
* अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्।
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि ।।
* ऊँ शिवगणाय विद्महे, गौरीसुताय धीमहि। तन्नो भैरव प्रचोदयात ।।

 

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