Kejriwal Interim Bail- केजरीवाल पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला; शराब घोटाले में अंतरिम जमानत दी, ED के विरोध पर पानी फिरा

केजरीवाल पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला; शराब घोटाले में अंतरिम जमानत दी, ED के विरोध पर पानी फिरा, तिहाड़ से बाहर आएंगे

Delhi CM Arvind Kejriwal Gets Interim Bail From Supreme Court Update

Delhi CM Arvind Kejriwal Gets Interim Bail From Supreme Court Update

Kejriwal Gets Interim Bail: दिल्ली शराब घोटाले में गिरफ्तार सीएम अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बहुत बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को 1 जून तक ले लिए अंतरिम जमानत दे दी है। 2 जून को केजरीवाल को सरेंडर करना होगा। हालांकि, केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि, दिल्ली सीएम को 4 जून को चुनाव परिणाम घोषित होने तक अंतरिम जमानत दी जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी की यह अपील खारिज कर दी। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुनवाई की।

चुनाव प्रचार के चलते केजरीवाल को अंतरिम जमानत

बता दें कि, केजरीवाल को यह राहत लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दी गई है। ताकि वह चुनाव प्रचार का हिस्सा बन सकें। केजरीवाल पर सुप्रीम कोर्ट के इस बड़े फैसले से आम आदमी पार्टी में खुशी की लहर दौड़ गई है। पार्टी ने केजरीवाल की रिहाई को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। किसी भी वक्त केजरीवाल तिहाड़ जेल से बाहर आ सकते हैं। इसके बाद केजरीवाल जल्द ही चुनाव मैदान में प्रचार करते दिखेंगे। इस बीच यह तय है कि, वह बीजेपी और पीएम मोदी को कड़े तरीके से आड़े हाथों लेंगे। केजरीवाल के बाहर आने से चुनावी माहौल बदल सकता है।

केजरीवाल पर चुनाव प्रचार में कोई पाबंदी नहीं

अरविंद केजरीवाल के एक अन्य वकील शादान फरासत ने मीडिया को बताया कि, चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल पर किसी भी तरह की पाबंदी सुप्रीम कोर्ट ने नहीं लगाई है। चुनाव प्रचार में केजरीवाल क्या कह सकते हैं और क्या नहीं कह सकते हैं? इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। यानि केजरीवाल अन्य सामान्य नेताओं की तरह चुनाव प्रचार कर पाएंगे और उन्हें मुखर होकर कुछ भी बोलने की अनुमति होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने ED को दिया बड़ा झटका

वहीं इस बीच ईडी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। ईडी ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दिए जाने का विरोध किया था। ईडी ने हलफनामा दाखिल करते हुए कहा था कि, नेताओं को चुनाव प्रचार करने के लिए जमानत नहीं दी जा सकती है। क्योंकि चुनाव प्रचार करना न तो मौलिक अधिकार है, न ही संवैधानिक अधिकार और यहां तक कि ये कानूनी अधिकार भी नहीं है। इस आधार पर जमानत देने से गलत संदेश जाएगा।

ईडी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि, अब तक किसी भी नेता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है। चुनाव प्रचार के पीछे केजरीवाल को जमानत देने की बात पर ईडी ने दलील दी थी कि, पिछले पांच साल में 123 चुनाव हो चुके है। अगर चुनाव में प्रचार के आधार पर नेताओं को अंतरिम ज़मानत दी जाने लगी तो न तो किसी राजनेता को गिरफ्तार किया जा सकता है और ना ही उसे न्यायिक हिरासत में रखा जा सकता है। क्योंकि देश में पूरे साल कहीं न कहीं चुनाव की प्रक्रिया चलती रहती है।

ईडी का कहना था कि, अगर केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिलती है तो इस आधार पर दूसरे मामलों में जेल में बंद राजनेता भी ऐसी ही राहत की मांग कर सकते हैं। मसलन केजरीवाल को अन्तरिम ज़मानत देना भेदभावपूर्ण होगा। ईडी ने कहा था कि, केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से एक ऐसा उदाहरण पेश होगा जिसके तहत बेईमान राजनेता गुनाह करके, चुनाव की आड़ में जांच से बचने की कोशिश करेंगे।

केजरीवाल को यह अनुमति नहीं

इससे पहले 7 मई को जब सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुनवाई पूरी की थी तो इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कहा था कि, हम नहीं चाहते हैं कि अगर केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिले तो वह इस दौरान सीएम की आधिकारिक जिम्मेदारियां निभाएं। यानि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया था कि, अगर केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी जाती है तो इस दौरान वह सीएम की आधिकारिक जिम्मेदारियां नहीं निभाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल के वकील से कहा था कि केजरीवाल को जमानत चुनाव के चलते दिये जाने की बात है। उनके एक सीएम होने के चलते नहीं। क्योंकि ऐसा होने पर इसके व्यापक प्रभाव हो सकते हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी पर केजरीवाल के वकील ने कहा था कि हम हलफनामा पर लिखित में देने के लिए तैयार हैं कि केजरीवाल सीएम ऑफिस का कोई काम नहीं करेंगे। वह किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे। लेकिन एलजी की तरफ से ज़ोर न दिया जाए.

केजरीवाल को जमानत देने के पीछे सुप्रीम कोर्ट का तर्क

मालूम रहे कि, केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ आई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने 3 मई को सुनवाई करते हुए कहा था कि हम केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने पर विचार कर सकते हैं। क्योंकि चुनाव का समय है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के इतना कहने पर ईडी ने इस बात पर विरोध जताया था।

जिसके बाद 7 मई को सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने टिप्पणी की थी कि यह एक असाधारण स्थिति है कि चुनाव चल रहा है और दिल्ली का एक चुना हुआ मुख्यमंत्री जेल में है। इसलिए यह कोई सामान्य मामला नहीं है। जस्टिस खन्ना का कहना था कि अरविंद केजरीवाल कोई आदतन अपराधी नहीं हैं। उनके खिलाफ कोई और केस नहीं है। हम ऐसे असाधारण मामलों में पहले भी जमानत पर सुनवाई करते रहे हैं और जमानत देते रहे हैं।

जस्टिस खन्ना का कहना था कि हम अरविंद केजरीवाल की अंतिम जमानत पर इसलिए विचार कर रहे हैं क्योंकि चुनाव है। अगर चुनाव ना होता तो हम इस पर विचार नहीं करते। जस्टिस खन्ना का कहना था कि राष्ट्रीय चुनाव हार 5 साल में आते हैं, यह कोई फसल नहीं है जो हर 6 महीने में बोई जाती हो। हमें यह भी देखना होगा कि ये समय वापस नहीं आएगा। यह मामला बिल्कुल अलग है।

केजरीवाल को गिरफ्तार करना, राजनीति से प्रेरित नहीं- ED

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ईडी से पूछा था कि जब 2 साल से शराब घोटाले की जांच चल रही थी तो चुनाव के नजदीक ही केजरीवाल को क्यो गिरफ्तार किया गया? क्या जांच इतनी देरी से यह पता लगा पाई केजरीवाल इसमें शामिल हैं? अगर ऐसा है तो यह अच्छी बात नहीं है।

इसके बाद ईडी ने कोर्ट को बताया था कि जब आबकारी नीति से जुड़े घोटाले की जांच शुरू हुई थी तब शुरुआती चरण में अरविंद केजरीवाल पर फोकस नहीं था और ईडी उन पर गौर नहीं कर रही थी, लेकिन जब जांच आगे बढ़ी तो उनकी भूमिका स्पष्ट हो गई।

ईडी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि यह राजनीति से प्रेरित मामला नहीं है। हमें राजनीति की चिंता नहीं है, हमें सबूतों की चिंता है और हमारे पास सबूत हैं। इसी बीच ED ने शिकायत की थी कि संजय सिंह अपनी जमानत का दुरुपयोग कर रहे हैं।

1 अप्रैल से तिहाड़ जेल में बंद हैं केजरीवाल

ईडी ने शराब घोटाले में सीएम अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। इससे पहले ईडी ने सीएम हाउस पहुंचकर छानबीन और लगभग दो घंटे तक केजरीवाल से पूछताक्ष की थी। वहीं गिरफ्तारी के बाद ED ने 22 मार्च को केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया था। जहां कोर्ट ने दिल्ली सीएम को 28 मार्च तक ED रिमांड पर भेजा था।

इसके बाद केजरीवाल की रिमांड दोबारा 1 अप्रैल तक बढ़ा दी गई। वहीं 1 अप्रैल को कोर्ट ने केजरीवाल को 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया।​​​​​​ इसके बाद कोर्ट ने दूसरी बार 23 अप्रैल तक केजरीवाल की न्यायिक हिरासत बढ़ा दी थी। इसके बाद से केजरीवाल की न्यायिक हिरासत लगातार बढ़ती ही जा रही है। अब केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 20 मई तक बढ़ाई गई है।