तेजस्वी का वार: मोदी जी बिहारी मतदाताओं को खैनी समझकर रगड़ना चाहते हैं

तेजस्वी का वार: मोदी जी बिहारी मतदाताओं को खैनी समझकर रगड़ना चाहते हैं

Tejaswi yadav

 

Bihar Poll: बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही सियासी बयानबाज़ी तेज़ हो गई है। बीजेपी और महागठबंधन दोनों ही जनता को साधने की कोशिश में जुटे हैं। इसी बीच आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का एक बयान चर्चा में है जिसमें उन्होंने कहा कि “मोदी जी बिहारी मतदाताओं को धोखा देना चाहते हैं। यहाँ खैनी को रगड़कर खाया जाता है और उसी तरह बिहारी जनता को रगड़ा जा रहा है।”

 

खैनी से तुलना क्यों?

 

बिहार में खैनी सिर्फ़ एक आदत नहीं बल्कि कई लोगों की दिनचर्या का हिस्सा है। तेजस्वी ने इसी प्रतीक का इस्तेमाल कर मोदी सरकार पर तंज कसा। उनका कहना है कि जैसे खैनी को रगड़े बिना उसका असर नहीं होता, वैसे ही भाजपा बिहारी जनता को चुनाव में सिर्फ़ इस्तेमाल कर रही है।

 

बेरोज़गारी और पलायन का मुद्दा

 

तेजस्वी यादव लगातार बिहार की बेरोज़गारी, शिक्षा और पलायन के मुद्दे उठाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने युवाओं को सिर्फ़ जुमले दिए, नौकरी नहीं। लाखों बिहारी रोज़गार की तलाश में दिल्ली, मुंबई और पंजाब जैसे राज्यों में भटकते हैं, लेकिन बिहार में उद्योग लगाने की कोई ठोस कोशिश नहीं की गई।

 

विकास बनाम जमीनी हकीकत

 

बीजेपी बिहार में अपने विकास के मॉडल की बात कर रही है। सड़क, बिजली और डिजिटल इंडिया जैसे मुद्दों को आगे रखा जा रहा है। मगर तेजस्वी का सवाल है कि “जब शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति बदहाल है, जब किसान आज भी उचित दाम के लिए संघर्ष कर रहा है, तो किस विकास की बात हो रही है?”

 

चुनावी गर्माहट और युवाओं का मूड

 

तेजस्वी यादव जानते हैं कि बिहार की सबसे बड़ी ताक़त युवा वोटर हैं। यही वजह है कि उन्होंने मोदी सरकार को बेरोज़गारी और किसान मुद्दे पर घेरा। उनके इस बयान का मकसद युवाओं को यह दिखाना है कि केंद्र सरकार ने वादों को पूरा नहीं किया।

 

बिहारी अस्मिता बनाम चुनावी रणनीति

 

बिहार चुनाव हमेशा से जातीय समीकरण और बिहारी अस्मिता के इर्द-गिर्द घूमते रहे हैं। तेजस्वी का यह बयान बीजेपी की रणनीति को सीधे चुनौती देता है। वे यह साबित करना चाहते हैं कि भाजपा सिर्फ़ भावनाओं और बड़े-बड़े नारों से चुनाव जीतना चाहती है, जबकि असली मुद्दों को नज़रअंदाज़ कर रही है।

 

नतीजा क्या होगा?

तेजस्वी यादव का बयान चुनावी शतरंज की एक चाल है। इसका असर कितना होगा, ये तो नतीजे बताएंगे। लेकिन इतना साफ़ है कि जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं, बयानबाज़ी और तेज़ होगी और बिहार की जनता तय करेगी कि कौन सच में उनके मुद्दों पर काम करेगा और कौन सिर्फ़ खैनी की तरह रगड़कर चुनाव जीतना चाहता है।